माँ श्राद्ध
माँ श्राद्ध
शीर्षक : श्राद्ध मां का!
पृथ्वी पर सब पराए हो सकते हैं परंतु मां कभी भी साथ नहीं छोड़ती है। एक छोटे से कस्बे की बात है ,एक लड़का अपनी मां से बहुत नफरत करता था परंतु मां तो मां होती है। वह उसकी नफरत को प्यार में बदल कर उसे स्नेह में परिवर्तित कर देती है। लड़के की मां के प्रति ईर्ष्या का कारण यह था, कि मां एक आंख से अंधी थी ।लड़के के विद्यालय में जब भी अभिभावक गोष्ठी होती थी, तो लड़का परेशान हो जाता था और मां के गोष्ठी में शामिल होने पर लड़के के दोस्त उसका बहुत मजाक उड़ाते थे ।
लड़का अपनी मां को अकेला छोड़ कर कर चला गया । वह अकेला खुश था ।कुछ समय पश्चात उसकी शादी हो गई। वह खुश था और सुखी जीवन व्यतीत करने लगा। कानी मां को वह भूल जाना चाहता था।
एक दिन अचानक उसकी मां उसके घर पहुंची। लड़का उन्हें देखकर घबरा गया और सोचने लगा कि अब फिर से वही अपमान सहना पड़ेगा, वह अपनी मां से बोला , "चाची किस से मिलना है ?" मां ने कहा ,"बेटा तू मुझे भूल गया, पर मैं तो नहीं भूली।" इतना कहकर वह वापस अपने कस्बे को चली गई।
एक दिन लड़का वापस अपने गांव गया और घर के दरवाजे पर बहुत भीड़ देखकर जब अंदर गया तो देखा कि मां की मृत्यु हो चुकी थी। उनके हाथ में एक पत्र था। झपटकर उसने अपनी मां के हाथ से पत्र लेकर पढ़ा, "पता है बेटा तूने हमेशा मुझसे नफरत की, परंतु मैं तो मां हूं ,इसलिए नफरत को प्यार समझ के पी लिया । बेटा ! बचपन में एक कार दुर्घटना में तुम्हारी एक आंख चली गई थी। बेटे की यह दुर्दशा मैं देख ना सकी और मैंने अपनी एक आंख तुझे दे दी। बेटा मां के इस नेत्रदान के बारे में जानकर अपने आप से लज्जित समझने लगा ।
अब वह मां का श्राद्ध करके प्रायश्चित करना चाहता था, और उसे अपने इस कृत्य से और भी आत्मग्लानि हो रही थी।
माँ की ममता का मोल दुनिया में कोई चुका नहीं सकता। दोस्तों, अपनी ही संतान से अपमानित होकर भी वह बदले में प्यार ही लुटाती है। माँ का निश्छल प्यार अनमोल है, उसे खोना मत।
