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Tanuja Shukla

Others

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Tanuja Shukla

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पाती पितरों के नाम

पाती पितरों के नाम

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मैने अपने दादा दादी के साथ एक बहुत अच्छा समय गुजारा, हमारे दादा जी श्री रामाधीन चतुर्वेदी गाँव के जमीदार थे और हमारी दादी श्रीमती सर्वती देवी एक बहादुर महिला थीं उन्हें मैने बचपन में धार्मिक पुस्तकों का और उपन्यास का अध्ययन बडी तन्मयता के साथ करते देखा था 

मेरे पापा जी डाक के द्वारा हम सब भाई बहनो के लिए बाल धार्मिक साहित्य मंगाया करते थे और अपने लिये भी अपने स्तर के साहित्य मंगाते थे जब भी पापा हम सबको गर्मियों की छुट्टी में गाँव लेकर जाते थे हमारी दादी पापा से अपनी मन पसंद पुस्तकें अपने पढने के लिए लेतीं थीं पापा भी उनकी इस रूचि को देखकर उत्साह पूर्वक उन्हें पुस्तकें देते थे 

हम सब चाचा ताऊ के बच्चों में बडा स्नेह था, सब मिलकर खूबसारी शैतानियाँ और मस्ती करते थे ये सोचकर आज हम सब हैरान होते हैं कि दादी जी अपनी बहुओं को कभी कुछ नहीं कहती थीं और सब सास बहुयें बचचों और बडों को खिलापिलकर एक साथ बैठकर खाना खातीं थीं

बडे प्यारी हँसी थी हमारे दादा जी की बहुत ही यादगार समय बिताया था आज भी गाँव में तीन मंजिला इमारत जस की तस कायम है और अपनो के इंतजार मे......उनके आने की वाट जोह रहा है जो सब यहाँ वहाँ 

अपने अपने परिवारों के साथ विभिन्न स्थानों में रह रहे हैं |


ससुराल में आयी तो बडे बुजुर्गों को देखा तो नहीं पर सबके बारे में जाना सुना है तो सब हमारे पूज्य दादा श्री को बहुत याद करते हैं ।मैं उन सभी दिवंगत आत्माओं जो पितृलोक बासी हैं कि जाने अनजाने आपके संतति से जो अपऱाध बन पडे हों उन को नजर अंदाज कर सभी को सुखी, निरोगी, विवेकी, सदबुद्धि चिंरजीवी व हर प्रकार से संपन्न होने का आशीर्वाद प्रदान करें ।और सदा ही अपनी संतति पर अपनी छत्र छाया बनाये रखें सभी पाप, तापों और श्रापों का शमन करे।



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