Tanuja Shukla

Classics

4.5  

Tanuja Shukla

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कृष्ण का संताप

कृष्ण का संताप

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आओ पार्थ भले आये, 

आखिरी विदाई देने को! 

कुरुक्षेत्र का कहा सुना, 

याद पुऩ: कर लेने को !


आ गया समय जीवन भर का, 

लेखा -जोखा विधिवत कर लें! 

क्या गलत किया क्या किया उचित, 

कुछ शोक -मोद से मन भर लें !


दिख रहा न कोई यदुवंशी, 

सब मुझसे पहले चले गये !

अब समय नहीं जो बना सकूँ 

बंधु -बांधव स्वजन नये !


सती साध्वी गांधारी का, 

सत्य हो गया  महाश्राप !

पुण्य मानता रहा जिसे, 

बन गया वही यह महा पाप! 


कौरव पांडव सहज बंधु ,

एक वृक्ष की दो डालें !

बन गये परस्पर महा शत्रु, 

खेल खेल अपनी चालें !


प्राय: लगता सारा जीवन, 

संघर्षों में ही तो बीता !

मातुल कारा से आज तलक, 

रचता आया कर्म गीता !


पाया बहुत पर खोया भी कुछ, 

यश अपयश की गठरी लेकर !

जा रहा ....... .     आज ,

धरती को रक्त वर्ण  देकर !


क्या गणना कितनी सुंदरियों को, 

असमय.  ही वैधव्य  मिला  !

कितनी मातायें मर मर कर  ,

जीती सपनों में सुत को जिला जिला !

क्रमश:


 


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