कोरोना वैक्सीन का भूत (भाग 3)
कोरोना वैक्सीन का भूत (भाग 3)
मीरा और उसका पति धीरज वैक्सिनेशन हॉल पहुँच गये ,अब मीरा के पास कोई चारा नही था ,वहाँ चुपचाप बैठने के अलावा ,काफी भीड़ थी लोगों की , कुछ आ रहे है , कुछ जा रहे है ,मीरा वहाँ बैठकर सबकों देख रही है ,कुछ देर बैठी रही , फिर अचानक से कुछ बैचेनी सी महसूस हुई ,तो वहाँ से खड़े होकर बाहर की तरफ आ गई ,उसे बाहर जाता देख धीरज भी उसके साथ बाहर आ गया ,ये देखने कि क्या हुआ ,
"क्या हुआ बाहर कैसे आ गई अचानक से ,तुम ठीक तो हो ?"
"हाँ जी ,मै बिल्कुल ठीक हूँ ,आप परेशान ना हो."
"ठीक है ,तुम बैठो मैं देखता हूँ ,और कितना समय लगेगा "
"जी ठीक है" .
धीरज अंदर जाता है ,जाकर एक डॉक्टर से बात करता है , क्या पहले मीरा को वैक्सीन लग सकती है ,क्योकि उसे थोड़ी बैचेनी सी महसूस हो रही है ,
डॉक्टर ने कहा ठीक है ,भेज दें ,
धीरज मीरा को लाने बाहर आता है ,"चलों मीरा तुम्हारा नम्बर आ गया."
"जी "ये बोलकर मीरा धीरज के साथ चल देती है ,डॉक्टर के कैबिन में जाते ही मीरा पसीने से नहा जाती है ,डर के मारे थरथर कांप रही है ,धड़कन बढ़ती जा रही है ,चेहरा एकदम लाल हो गया है ,कानों से जैसे आग निकल रही है , पसीने पोछते हुए कुर्सी की तरफ बढ़ रही है ,डॉक्टर ने बैठने का इशारा किया ,डॉक्टर की तरफ देखते ही पता नही क्या हुआ , अपना पूरा दम लगा कर वहाँ से बाहर भाग आई ,अपनी गाड़ी के पास आकर रुकी ,धीरज भी दौड़ते हुए मीरा के पीछे बाहर आ जाता है ,
"मीरा ,मीरा ,क्या हुआ तुम ठीक तो हो."
धीरज ने देख लिया था कि मीरा की हालत ज्यादा खराब है ,इसलिए उसने थोड़ा प्यार से बात करते हुए , मीरा को पानी पिलाया ,"मीरा ...शांत हो जाओ , कुछ नहीं हुआ , सब ठीक है ,चलों घर चलते हैं" प्यार से मीरा के सिर पर हाथ घुमाते हुए ,
"ठीक है । "
और वे लोग घर वापस आ जाते हैं। धीरज ,मीरा के लिए चाय बना कर लाते है ,अब मीरा थोड़ा राहत महसूस कर रही है ,
अब आगे देखते हैं , कि क्या मीरा का डर इसी तरह बना रहेगा ,या कुछ बदलाव होगा .......
