हम औरतें भी हद करती है
हम औरतें भी हद करती है
सुनो जी .............
आज मेरी हँसी रुकने का नाम नहीं ले रही, अब आप पूछोगे क्यों, ऐसा क्या हुआ जो इतना हँस रही हो। आज मैं बच्चों को लेकर पार्क गई थी। अब लॉक डाउन की वजह से काफी दिनों से बाहर नहीं निकल रही थी। तो आज सोचा थोड़ा बच्चों के बहाने घूम आऊँ। पार्क पहुँची, तो काफी भीड़ थी । खैर मॉस्क पहनकर ही गये थे बच्चे भी और मैं भी और लोगों ने भी मॉस्क पहन रखा था। अब पार्क पहुंचे तो सारी औरतें मुझे इस तरह से देख रही थी मानो बकरियों के झुंड में भेड़िया घुस गया हो और उन्हें खा ही जायेगा। अब मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि ये सब ऐसे व्यवहार क्यों कर रही हैं। पहले तो कभी ऐसा नहीं हुआ थोड़ा असहज महसूस हो रहा था। कहीं कपड़ों में कुछ गड़बड़ तो नहीं, कहीं कुछ लगा तो नहीं, हजारों ख्याल आ रहे थे दिमाग में। किसी तरह बच्चों को झूला झुला कर घर वापस आई। हाथ मुँह धुलकर बच्चों के भी अपने भी।
आईने के सामने खड़े होकर खुद को आगे - पीछे सब जगह देखा। क्या गड़बड़ हैं भाई सब कुछ तो ठीक था, फिर ऐसा क्या था जो सब ऐसे देख रही थी।फिर अचानक नजर चेहरे पर पड़ी भौंहें काफी घनी दिख रही थी। काफी दिनों से पार्लर बन्द था इसलिये भौंहें सेट नहीं कराई थी। अब समझ आया क्या मामला था। तब से हँसी रुक नहीं रही है। बच्चे छोटे हैं तो इस तरफ ध्यान ही नहीं गया कभी। हम औरतें भी ना हद करती हैं। मतलब कुछ भी।
पतिदेव जी भी तब से मुझे देखकर मुस्करा रहें हैं। बार -बार छेड़ रहे हैं। बकरियों के झुंड में भेड़िया।
वाह क्या नाम दिया है खुद को ।।
