इच्छित जी आर्य

Drama

2.3  

इच्छित जी आर्य

Drama

कोरोना रिपोर्टिंग

कोरोना रिपोर्टिंग

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यत्र तत्र और सर्वत्र शांति का माहोल है। दिन के अंजोरिया और रात के अन्हरिया में ढिबुरी बुताकर खोजने पर भी अशांति का पता नहीं चल पा रहा है। लगता है अशांति कोरोना के डर से डेराकर तेवारी बाबा के भूसहुल में नुका गई है। लेकिन हम उसको खोज निकालेंगे।कहते हैं जहां न पहुंचे रवि, वहां पहुंचे पतरकार भकोसन. अब ध्यान से आँखों से सुनी और कानों देखा हाल सुनिए.....

21 दिनों के लॉकडाउन की वजह से गांव शहर और बस्ती ब्लॉकडाउन हो गये हैं। स्कूल, कालेज और तमाम तरह के सरकारी, प्राइवेट ऑफिस एवं फैक्ट्री बंद कर दिए गए हैं। सोने के लिए कम वक्त की शिकायत करने वाले 24 घंटे बिस्तर तोड़ रहे हैं। उनका कुंभकरण की तरह सोने वाला सपना इसी जनम में पूरा होता हुआ दिख रहा है। वो खाने के लिए उठते हैं और फिर सो जाते हैं। लफुआ लफारी सब का चानी हो गया है। विद्या से चार कोस दूर भागने वाला पढ़निहार विदारर्थी सरस्वती माई को दूसरे कमरे में कोरोनाटाइन कर तीसरे कमरे में लूडो, कैरम, चिड़िया उड़ तो गदहा उड खेल रहा है लेकिन किताब कापी को इंफेक्टेड समझ, उसको छू तक नहीं रहा है। पब्जी खेलने वालों का नसीब चानी से लेकर हीरा मोती तक हो गया है. सब बैटल 

ग्राउंड में दिन रात कोरोना से फाइट कर रहा है।

सब्जी और राशन की सप्लाई में कमी होने की वजह से गृहिणियों के चेहरे का संतोष छलक छलक कर बाहर आ रहा है फिर भी अपना बाजार बनाए रखने के लिए वो सिरियस होकर अपने पति,फटी अथवा हैंडपंप से दिन में तीन बार पूछ रही हैं। एजी, खाने में का बनाएँँ। इतना भाव देखकर हैंडपंप महोदय भी हर हराकर अपना भाव उडेल देना चाहते हैं पर सरकारी नल की तरह फुस्स होते हुए बोलना पड़ रहा है। चोखे भात बना दीजिए। समोसा रसगुल्ला और गुलाबजामुन का अकाल पड़ गया है। दिनभर पुड़ी जिलेबी भकोसनेवालों को ख्याली पुलाव से काम चलाना पड़ रहा है। चिकन और मटन बाजार से भागकर जंगल में आजादी का सांस ले रहे हैं।जंगल में मंगल करने वाले में अब घर में ही बुध और बिअफे मना रहे हैं। प्यार के स्टॉक मार्केट में गांव का निफ्टी लुढ़क कर जमीन से भी नीचे चला गया है तो शहर का डीजीटल प्यार छलांग मारकर आसमान के उस पार चला गया है। गाँव के प्यार की ब्रांड अंबेसडर बबीतवा ना तो कोरोना के डर से बाहर निकल पा रही और ना हीं बाप के डर से घर में फोन उठा पा रही है। जबकि शहरी बाबू, सोना, लोहा, टीना एक जीबी पर सेकेंड़ के हिसाब से 24×7 प्यार ट्रांसफर कर रही हैं। घरवाली बाहरवाली प्रोग्राम के सक्सेसफुल क्लाइंट भी एहतिआतन इस गेम से एक्जिट मार चुके हैं और जो डटे हैं वो साइलेंट मोड़ पर जा चुके हैं। काहे कि जब बेलना वाइब्रेंट मोड़ पर आता है तो पुलिस के बेंय से भी जादा चिपकता है और आजकल तो घर से बहरी भागने का भी ऑप्सन नहीं है।

सड़क चौक चौराहे पर आदमी कम कुत्ता ज्यादा दिखाई दे रहा है लगता है कि पुलिस विभाग ने खुजली वाले कुत्तों को गुप्त रूप से ट्रेनिंग दिया है। हम पर्सनल एक्सपीरियंस के आधार पर बता रहे हैं कि आपके पिछवाड़े पर पुलिस का बेंत बाद में छपेगा पर बहरी निकले तो पहले कुत्ता सब फेंफिआ देगा। उनको देखकर भागने कोशिश गलती से भी ना करें। बिल्कुल पास जाएं। आदमी की तरह हाय हेलो नमस्ते बोलें। फिर हाथ-पांव जोड़ कर गिड़गिडाएँ। हो सकता है वो आप की स्थिति पर विचार कर आपको आगे जाने का मौखिक परमिशन ग्रांट कर दें। एक चौक पर मिले परमिशन को ऑल इंडिया परमिट समझने की गलती कतई ना करें। अगले चौक पर फिर से कुत्ता चेकिंग का सामना करना पड़ेगा।

अगर आप अपनी हुशियारी का नकली प्रमाण पत्र देते हुए बाजार तक पहुंच गए हैं तो स्वागत है! पुलिस अपने लाइसेंसी बेंतों में सैनिटाइजर बस आपके पिछवाड़े के लिए ही लगा रही है। पुलिसकर्मियों के इस अविस्मरणीय बेंतभांजी पराक्रम को देखते हुए लगता है कि मोहल्ला क्रिकेट का सारा चंपियन पुलिस में भर्ती हो गया है। उन सब का क्रिकेट खेलने का बरसों से दबाइल, जोताइल सपना अब जाकर रंग दिखा रहा है। कोई हेलिकॉप्टर शॉट मार रहा है तो कोई लांग आन पर छक्का। पूरी टीम के चेहरे पर विजयी मुस्कान चमक दे रही है और सुकून की बात यह है कि 11 नंबर का प्लेयर भी रहम नहीं कोई दिखा रहा है। वह भी बाल को सीधा बाउंड्री लाइन के बाहर पहुंचा रहा है वो भी बिना टिप्पा खाए। हर शहर बाजार में यह मैच बिना रुकावट के चल रहा है। बाकी का हाईलाइट तो आपको व्हाट्सएप वाले भी दिखा ही रहे हैं। 

व्हाट्सएप पर मैसेज से ज्यादा लोग भ्रम और अफवाह फैला रहे हैं। हर घर के रसायनशास्त्री लेमनचूस परसाद घर बैठे सेनीटाइजर बनाने की घरेलुविधी बता रहा है तो समाजशास्त्री एवं थोकचिंतक ढिबरी परसाद की बातें लोगों के मन में घनघोर चिंता पैदा कर रही हैं।

अगर वीडियो बनाने का यही रफ्तार जारी रहा तो घर बैठे कोरोना बनाने की विधि भी जल्दी ही ट्रेंंड़ करेगी। साल भर दूसरों की कविता शेयर करनेवाले भी आजकल कविता करने करने लगे हैं। वो अपना सड़ा पका और ऊबाऊ गाना भेजकर लोगों से अपना पिछले जनम का बदला निकाल रहे हैं। और ताज्जुब की बात ये है कि फुर्सत के मारे लोग भी इनको वाहवाही देकर कवि बना दे रहे हैं।

और अब आखिर में आप अपने घर में बैठ के दालमोट में दाल अलग करें, बीवी के बालों की संख्या ज्ञात करें, चिड़ियों को दाना डालें अथवा कोठिला में घुस के सो जाएं पर घर से बाहर ना निकले और साथ ही भगवान से उन सभी कोरोना फाइटर्स, पुलिस, स्वास्थ्य कर्मियों एवं सफाईकर्मियों की सलामती के लिए प्रार्थना करें जो आपकी और हमारी सलामती के लिए दिन रात लगे हुए हैं।

कैमरामैन टिल्लुआ के साथ जमीन में गड़ल संवाददाता भकोसना।


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