सुरशक्ति गुप्ता

Abstract

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सुरशक्ति गुप्ता

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कोरोना पर मुकदमा

कोरोना पर मुकदमा

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पात्र- मुजरिम - कोरोना

    पीडित - समस्त पीडित जन

    कोरोना का वकील 

    पीडित का वकील 

    न्यायाधीश 

 प्रथम दृश्य - कोर्ट रूम:

 न्यायाधीश का प्रवेश ;

जज अपनी कुर्सी पर बैठकर कोर्ट की कार्यवाही शुरू करते हुए,

 कोर्ट का नायाब आवाज लगाता है- कोरोना अदालत में हाजिर हो ;

कोरोना का आगमन 

जज का संकेत : 

कोरोना कटघरे में खड़ा होता है 

जज कोरोना के वकील की ओर देखकर कहते हैं कि आपके मुवक्किल के ऊपर जो आरोप है इस संबंध में आपका क्या जवाब है?

 कोरोना का वकील -जज साहब, मेरा मुवक्किल निर्दोष है मेरे साथी वकील इस पर बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं। पीड़ित का वकील -नहीं न्यायाधीश, कोरोना एक भयावह संक्रमण है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में तेजी से स्थानांतरण होता है, सर्दी, जुखाम, सुगंध ना आना, सांस लेने में तकलीफ, गला सूखना जैसी बीमारियां फैलाता है यह धीरे-धीरे मनुष्य के शरीर को दीमक की तरह खोखला कर उनके प्राण ले लेता है। कोरोना का वकील -बीच में ही पीड़ित के वकील की बात को काटते हुए; नहीं महोदय मेरे मुवक्किल ने ऐसा कुछ नहीं किया मनुष्य अपनी लापरवाही के कारण ही मृत्यु का शिकार हुआ है भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाकर मेलों का आयोजन कर, राजनीतिक पार्टियों, शादी बारात में अधिकांश लोगों की जमातो को जुटाकर यह लोग स्वयं मेरे मुवक्किल को अपने पास आने का न्योता देते हैं मेरे भावी क्लाइंट पर लगे आरोप झूठे हैं।

 पीड़ित का वकील - न्यायमूर्ति जी मैं साबित कर सकता हूं कि कोरोना पर लगाए गए सभी आरोप सत्य हैं मेरे पास साक्ष्य मौजूद हैं जिनके माध्यम से कोरोना को सजा दी जा सकती है। कोरोना का वकील मुस्कुराते हुए- तुम्हारे झूठे साक्ष्यों और गवाहों को यहां कोई नहीं मानेगा।

 पीड़ित पक्ष का वकील -यह तो वक्त बताएगा कि कौन कितना दोषी है? जज महोदय कोरोना के कारण शैक्षिक क्षेत्र, राजनीतिक,सामाजिक, आर्थिक यहां तक की न्याय व्यवस्था को गहरी चोट पहुंची है ,सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था थप सी पड गई है जिससे लोग बेरोजगार हो गए ,बहुत से परिवारों ने आर्थिक तंगी के कारण आत्महत्या तक कर ली , बहुत से बच्चो के अनाथ होने का आरोपी कोरोना है जिसने उनके माता- पिता को समय से पूर्व ही अपने भयावह आगोश मे ले लिया । कोरोना के कारण लोगों का आपसी संवाद छूट गया लोगों का रिश्ता एक दूसरे के प्रति हेय सा हो गया ,

 माता- पुत्र ,पिता -पुत्र ,स्त्री- पुरुष, बच्चे, व्यस्त सभी के संबंधों में मनमुटाव आ गया ।

न्यायाधीश -विभिन्न साक्ष्यों और गवाहों को मद्देनजर रखते हुए मैं कोरोना को आजीवन पूरी दुनिया से तड़ीपार होने की सजा सुनाता हूं और फिर कभी दोबारा इस दुनिया में किसी भी रूप में दस्तक ना देने की हिदायत देता हूं।


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