अनगिनत यादें
अनगिनत यादें
एक दिन शायद तुम याद करोगे.....
मेरा साधारण सा चेहरा
उस चेहरे में तुमसे बात करके जो आती थी रौनक!
बेतहाशा मोहब्बत, बेमतलब की वो सारी बातें!
मेरी वो आवाज़ जिसे सुनकर तुम्हें आती थी थोड़ी राहत!
वो अनगिनत कॉल औऱ मेसेज जिसका तुम्हें अब कोई मोल ना रहा!
इन मुस्कुराहटो के बीच दबी वो शरारते
तुम्हे अपना संजोकर रखने वाली वो चाहते
बस तुम तुम तुम और अब बस मौन ....
