Bhawna Kukreti

Tragedy

4.6  

Bhawna Kukreti

Tragedy

"कोरोना लाॅकडाऊन-4(आपबीती)"

"कोरोना लाॅकडाऊन-4(आपबीती)"

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203



सुबह के 6:25 हो रहे हैं , आज कल मुझे मेरा कमरा हॉस्पिटल के प्राईवेट रुम जैसा लगता है। डेटोल की खूश्बू, दवाईयों के पैकेट, हैण्ड सेनिटाइज़र, मास्क साईड टेबल पर रखे हुए हैं। मैं लेटी हुई पंखा, दीवारें , खिड़की और मोबाइल देखती रह्ती हूं।वाश रुम जाती हूं तो कुछ देर ऐसे ही वहाँ बनी रह्ती हूं। लेटे लेटे बोर हो रही हूं।


7:30 हो गया है ।मम्मी जी सुबह नीचे कूड़ा रखने गयी थीं। परी और मोलिका के घर काम करने वाली मोहिनी को घर ले आईं थीं।अब वो कल से रोज सुबह 6 बजे आया करेगी और सिर्फ झाड़ू पोछा करेगी। इन्होने उसे मेरे से मिल वाया।मेरा मन नही राज़ी था। लेकिन मम्मी जी से अब नही हो पा रहा।और फिर 14 अप्रेल अभी बहुत दूर है।उन्हे पहले उम्मीद थी की डॉक्टर मुझे बैड रेस्ट ओवर कह देंगें। लेकिन अब तो काफी लम्बा बैड रेस्ट बोल दिया है। वे बूढ़ी हैं और बहुत थक जाती हैं।


8 बज गये हैं कोई काम नहीं है मेरे पास सिवाय लेटने के । अभी पिछले दिनो राघव की मम्मी आई थीं,अपने बेटे के लिये 7वीं की किताबें लेने।मार्केट बन्द था और घर पर बच्चे पढ लें यही सोच कर । उन्होने मेरा मेसेज ग्रुप मे पढ़ा था की अपनी हाऊस मेड को मम्मी जी की हैल्प के लिये भेज दो।बता रहीं थीं की उन्होने अपनी मेड को लॉक डाऊन तक मना कर दिया है नहीं तो भेज देती। लोक डाऊन मे सुबह की छूट जारी है अब सुबह का वक्त कभी कभी समान्य दिनो की तरह सुनाई देने लगता है।वैसे ही सब्जी वाले की, दूध वाले की, सफाई वाले की आवाज आ रही है।

मम्मी जी नीचे वाली से बालकनी मे खड़ी सम्झा रहीं हैं।मुँह ढक कर रहिये, और कहीं मत जाईये।


इस वक्त मोबाइल मे टाईम 9 am दिखा रहा है।ये अपनी टीम को कॉन्फ्रेंसिंग मे ब्रीफ कर रहे हैं। छुट्टी पर हैं पर छूट्टी पर नहीं हैं। बेटा किचन मे गया था। वहां अभी कुछ बना नहीं है, दादी जी हिसाब से खाना बनाती है तो रात का भी कुछ बचा नहीं है। ।आज जल्दी जाग गया था सो आज उसे जल्दी भूख लग आई है। दोनो , पापा-बेटा आज कल बडी देर मे नाश्ता करते हैं, शायद इसिलिये भी अभी तक कुछ नहीं बना होगा। वैसे मम्मी जी ने सुबह सबको चाय और बिस्किट दिऐ हैं ।

मम्मी जी नहा कर आ गईं हैं । वो अब मैगी चढा कर उनके पास गया है।बता रहा है की सबके लिये आज वो मैगी बना रहा है। वो अचानक बेहद नाराज सुनाई दे रहीं हैं कह रहीं हैं" हे भगवान अभी सारा बर्तन मांज कर आये हैं, सारा दिन बर्तन ही मंजवाओ सब।" बेटा कह रहा है मैं मांज दूँगा।शायद आज ब्रेड जैम का नाश्ता सोचा हो मम्मी जी ने। अब खुद ही कह रही हैं की बस आज भर की बात है कल से काम वाली आयेगी बर्तन झाड़ू करने।मेरी साँसें गहरी होने लगी है।


अब बेटा सबको मैगी सर्व कर रहा है। मम्मी जी लाड से कह रहीं है " अरे मेरा बाबू ...तुम भी खा लो....मम्मा को भी देदो। वो कह रहा है " हां सबको दे रहा हूँ।" कमरे में लेटे लेटे बाहर के कमरे से आती आवाज सुन रही हूँ "उबाल दिया है, थोड़ा इसमे मटर डाले होते, टमाटर होता.."। वो शायद कढाई मांजने लगा है।मम्मी जी बाहर वाले कमरे से कह रहीं हैं, "बाबू रहने दो, पह्ले नाश्ता कर लो हम बाद मे कर देंगे।" वो कह रहा है, "हाँ हाँ करता हूं" पर लगा हुआ है मांजने मे ।


बेटा , मेरी और सबकी प्लेट ले आया है। फटाफट धो रहा है। मम्मी जी भी पीछे पीछे किचन में आ गईं हैं। शायद कढाई संभालने लगीं हैं , उसका " अरे?! मैने कहा न कर रहा हूं" सुनाई दिया है। मम्मी जी बाहर निकल आई हैं " बेकार ढेर पानी गिरा रहे हो।" ।हे ईश्वर मै कब ठीक होउंगी।


नौ बजकर अट्ठाईस मिनट हो रहे हैं, बेटा नाश्ता करने जा रहा है। मेरे बैड से सामने डायटिंग टेबल दिख रही है। मुस्कराता हुआ प्लेट मे मैगी लेकर बैठ रहा है।इन्होने आवाज लगाई है कि उनको पानी दे जाय। "अरे?!! " उसकी भूख, आवाज में परेशानी जता रही है।वो मुझे रुआंसा होकर देख रहा है। मुझे फिर एक गहरी सांस आई है।वो अब पानी देने उठ गया है।

नाश्ता कर के अब बेटा गुनगुनाते हुए अपनी प्लेट धो रहा है।उसे मैने आवाज दी है , गले लगाने और दुलार करने को ।


सवा ग्यारह हो गया। नाश्ते मे आज दही चूड़े का प्रोग्राम था।पर बेटे को नही पता था। ये अभी भी किसी से सहारनपुर मे कोरोना पेशेंट के लिए आइसोलेशन वार्ड के बाबत डिटेल कन्फर्म कर रहे हैं। वहां कोरोना पॉजिटिव के केसेज़ मिले हैं।मम्मी जी उनको डांट रही है ।पहले पानी पीलो तब बतिया लो।


5 बज गये , सब दोपहर की नींद ले कर जाग रहे हैं । बेटा आया है , चाय को पूछ रहा है। अभी FB पर पता चला की हमारे हरिद्वार मे जो सस्पेकट थे उनमे से सिर्फ 10 की जाँच आनी बाकी है बाकी सब नेगेटीव निकले हैं।बहुत राहत सी मिली। सड़क पर कुछ आदमियों की बातें करने की आवाजें आ रहीं हैं।आज अचानक हमारे स्कूल की भोजन माता का ख्याल आ गया।वे भी 60 के आस पास होंगी। उनको फोन किया। सीधा मेरा हाल पूछने लगीं।बता रहीं थी की गांव मे सब घरों मे ही पड़े हुए हैं। और सरकार की तरफ से कई बार छिड़काव हो चुका हैं।मैने उनके बच्चों को रोज एक पन्ना हिन्दी और अन्ग्रेजी की नकल लिखने को कहा और 20 तक पहाड़े याद करने को कहा।

यार! पिछले दो दिन से गले मे खराश है और आज पेट भी गडबड हो रहा है।चाय आ जाय बस गले मे आराम मिले।आज इन्जेक्शन भी लगना है। सच कमर दर्द के अलावा ये इन्जेक्शन भी एक सर दर्द ही हो गये हैं।आज सातवां लगेगा, अभी 3 बाकी हैं।


9 बजने वाला है, ये सहारनपुर अपनी ड्यूटी पर जाने को अपना बैग पैक कर रहे हैं । मन जाने कैसा हो रहा है।बेटे से कह रहे हैं की मम्मा का और दादी का ध्यान रखना और नयी आंटी जी आयेंगी तो धयान रखना। मम्मी जी उनको समझा रहीं हैं की बहुत सचेत रहना, समझदार हो। मैं लेटी उन सबकी बातें सुन रही हूं, दिल पर बहुत भारी सा कुछ आ गया है ऐसा लग रहा है। मम्मी जी ने टी वी ओन कर दिया है।फटाफट समाचार चल रहे हैं।मेरे दिल की धड़कन भी उसी रफ्तार से है मगर कोई सुन नहीं रहा...ईश्वर भी नही।



इन्तज़ार कर रही हूं इनका।


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