कन्यादान का अधिकार

कन्यादान का अधिकार

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मृदुला व शीला बहनें थीं। शीला पढ़ाई पूर्ण करके विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत थी, घर की बड़ी बेटी जो थी सो बुजुर्ग माता-पिता की जिम्मेदारी भी निभानी थी, इसलिए अविवाहित थी, पर अपनी बहन की शादी अच्छे घर करी।

बड़े जतन करने के बाद मृदुला को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई, उसके पश्चात बेटी की प्राप्ति हुई, इसी क्रम में डेढ़ वर्ष में भी तीसरी बेटी की प्राप्ति हुई, तो शीला ने दूसरी बेटी के पालन-पोषण के फैसले के साथ कहा, "तुम पर सिर्फ मेरा ही अधिकार है, तुम्हारा कन्यादान मैं ही करूंगी।"


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