Dhan Pati Singh Kushwaha

Inspirational

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Dhan Pati Singh Kushwaha

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कक्षा का तेनालीरमन -रीतू

कक्षा का तेनालीरमन -रीतू

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ओम प्रकाश ने नीतू मैडम से पूछा-"हमें अपने आचरण में कितनी गंभीरता या कितना हल्का- फुल्का मनोरंजक भाव मन में और व्यवहार में रखना चाहिए।"


नीतू मैडम ने मुस्कुराते हुए पूरी कक्षा को संबोधित करते हुए कहा-"हमारे जीवन में गंभीरता और मनोरंजन का बड़ा ही महत्वपूर्ण स्थान है लेकिन जैसा कि हम इसके पहले भी कई बार चर्चा कर चुके हैं कि परिवर्तन ही इस दुनिया का शाश्वत सत्य है। समय परिस्थिति वातावरण के अनुसार हमें किसी भी मामले में सोच समझकर अपने नीर- क्षीर विवेक का उपयोग करते हुए गंभीरता, मनोरंजन आदि तथ्यों का अपने व्यवहार और आचरण में समायोजित करते हुए समावेश करना चाहिए।"


आकांक्षा ने अपने मन की बात पूरी कक्षा के सामने रखते हुए नीतू मैडम से पूछा-"मैडम बहुत सारे राजाओं के दरबार में उनके मंत्री होते थे। राजा के दरबार में कुछ ऐसे व्यक्ति भी हुआ करते थे जो भरे दरबार में कभी-कभी विदूषक की भूमिका निभाते हुए सब का मनोरंजन भी करते थे और वही व्यक्ति कभी कभी वही व्यक्ति बड़ी ही सूझबूझ और विद्वता के साथ जटिल समस्याओं का चुटकी बजाते ही समाधान भी कर दिया करते थे। मैं यह जानना चाहती हूं एक ही व्यक्ति विदूषक और गंभीर समस्याओं के समाधान खोजने वाला बंद कर दोनों भूमिकाएं बड़ी ही खूबसूरती के साथ कैसे निभा सकता है? सामान्य रूप से किसी व्यक्ति में एक ही गुण ज्यादा प्रभावी होता है या तो वह गंभीर होता है या लोगों को के मन को गुदगुदाने वाला गंभीर पलों को हल्के-फुल्के ढंग से प्रस्तुत कर तनाव मुक्त करने का कार्य कर सकता है।"


सलोनी अपने मन के भावों को नियंत्रण में नहीं रख पाई। उसने केवल हाथ खड़ा किया और मैडम की अनुमति मिलने से पहले ही वह खड़ी होकर नीतू मैडम से पूछने लग गई-"दक्षिण भारत के विजयनगर साम्राज्य के राजा कृष्णदेव राय के दरबार में तेनाली रमन ऐसे ही व्यक्ति थे जो अपनी बुद्धिमत्ता और कुछ मनोरंजक किस्से कहानियों के लिए जाने जाते हैं।"


नीतू मैडम ने पूरी कक्षा को संबोधित करते हुए कहा ।लगता है, सलोनी तेनाली रमन के बारे में बहुत कुछ जानती है तभी उसके मन के विचार प्रकट होने को आतुर हो रहे हैं । सलोनी बेटा,तुम तेनालीरमन के बारे में क्या बता सकती हो?


"मैडम, कल मैंने तेनालीरमन की बुद्धिमत्ता से जुड़ी एक कहानी कॉमिक्स में पढ़ी थी। उस काॅमिक्स को पढ़ने के बाद मेरे मन में तेनालीराम उनके मन के बारे में और कुछ ज्यादा जानने की इच्छा हुई तो मैंने गूगल पर तेनालीरमन के बारे में कुछ खोजा और उसे खोजने के बाद मेरे मैंने कुछ जाना मैं वही कुछ पूरी कक्षा को बताना चाहूंगी।"-सलोनी बोली।

 

"स्वागत है।"-नीतू मैडम ने सलोनी का साहस बढ़ाते हुए कहा।


सलोनी ने बताना शुरू किया -"तेनालीरमन को तेनालीराम और तेनाली रामा नामों से भी जाना जाता है! उनका जन्म 16वीं शताब्दी में हमारे भारत देश के आंध्र प्रदेश राज्य के गुंटूर जिले के करलापाडू गांव में हुआ था। उनका जन्म एक तेलुगु ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वह तेलुगु साहित्य के महान ज्ञाता थे। अपनी वाकपटुता के कारण वह काफी विख्यात थे। ऐसा जाता है कि तेनालीरमन जब युवा ही थे तभी उनके पिताजी की मृत्यु हो गई थी और उनकी माता उन्हें लेकर अपने तेनाली नाम के गांव में अपने भाई के पास रहने चली गईं थीं। तेनालीरमन शिव जी के भक्त थे इसलिए उन्हें तेनालीराम लिंगा के नाम से भी जाना जाता था। कुछ लोगों का मत है कि कुछ समय के बाद उन्होंने वैष्णव धर्म अपना लिया था। उनकी स्कूली शिक्षा बहुत अच्छे से नहीं हो पाई लेकिन उनके मन में सीखने की तीव्र इच्छा और धुन थी। वह पहले शिव भक्त थे इसलिए वैष्णव अनुयायियों ने उन्हें एक वैष्णव की तरह नहीं स्वीकारा। किसी संत के कहने पर तेनालीरमन ने काली देवी की तपस्या की और काली देवी की कृपा के परिणाम स्वरुप ही एक उत्कृष्ट हास्य कवि बनने का वरदान काली माता से मिला। राजा के कृष्णदेव राय के दरबार में पहुंचकर उन्होंने अपने प्रभावशाली प्रदर्शन से राजा कृष्णदेव राय को प्रभावित कर दिया और राजा के दरबार में आठवें विद्वान - हास्य कवि के रूप में अपनी जगह बना ली। महाराज कृष्ण देव राय जब तक विजयनगर की राजगद्दी पर विराजमान रहे तब तक तेनालीराम उनके दरबार में हास्य कवि और एक मंत्री की के रूप में दरबार में रहे। वे गंभीर समस्याओं को भी बड़ी ही आसानी से हल कर देते थे और दरबार में लोगों की रुचि बनाए के लिए हास्य बिखेरते रहते थे।"


आकांक्षा ने मुस्कुराते हुए कहा-"फिर तो यह रितु हमारे इस दरबार का तेनाली रमन हुआ। सहपाठियों मैं बिल्कुल ठीक कह रही हूं, ना आप सब लोग मेरी बात से सहमत हैं ।"


"एकदम सही पकड़े हैं।"-पूरी कक्षा एक साथ बोली और बड़ी जोर का ठहाका गूंजा।


ओम प्रकाश ने कहा- मैडम , आकांक्षा का कहना बिल्कुल सही है। हमारी कक्षा में रितु पता नहीं कहां-कहां से नए-नए से चुटकुले हैप्पीनेस की कक्षा में सर की अनुमति लेकर सुनाता रहता है। लगभग सभी विषयों में इसकी बड़ी ही मजबूत पकड़ है। हम लोगों की अधिकतर समस्याओं का यह समाधान कर देता है। हममें से गणित के जो प्रश्न किसी को नहीं आ पाते उन्हें यह ब्लैक बोर्ड पर खड़े होकर एक कुशल अध्यापक की तरह समझा देता है। हिंदी, अंग्रेजी या संस्कृत पुस्तक को सस्वर वाचन इसकी जब बारी आती है तो यह पुस्तक बड़े ही नाटकीय हाव- भाव प्रदर्शित करते हुए पढ़ता है । कविताओं को यह बड़ी ही मनमोहक तरीके से गाकर प्रस्तुत करता है।यह रितु भाई का ही प्रभाव है कि हमारी कक्षा में नित नए-नए रितु बढ़ते ही जा रहे हैं।यह तो कक्षा के दूसरे बच्चों को भी सकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है। खेल कूद और सांस्कृतिक कार्यक्रम में भी इसकी बहुत ही प्रभावी भागीदारी रहती है।"


"तो तुम सब किसी राजा के दरबार के विदूषक को और विद्वानों के उदाहरण देने की बजाय अपनी कक्षा के विदूषक और विद्वान रितु के व्यवहार से प्रेरित हो रहे हो और तुम्हारी कक्षा से यह प्रेरणा हमारे विद्यालय के कोने कोने तक पहुंचे।ऐसा तुम सबको प्रयास करना है और मैं भी इस काम में भी तुम सब की जो भी संभव होगी वह मदद अवश्य करूंगी।"-नीतू मैडम ने पूरी कक्षा को प्रेरित करते हुए अपनी ओर से यह आश्वासन दिया।


जैसे ही कक्षा बदलने की घंटी बजी। सारी कक्षा एक साथ बोल उठी-" घंटी को भी इसी समय बजना था। मैडम, ऐसा लगता है कि जब आप की कक्षा होती है तो समय का पता ही नहीं लगता कितनी जल्दी बीत जाता है।"


नीतू मैडम हां तुषार से सब को मुस्कुराकर आशीर्वाद देती हुई दूसरी कक्षा की ओर चल दीं।


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