किस्सा मोची का
किस्सा मोची का


आज का अनुभव बहुत ही दर्ददायक व असहनीय था। दरअसल हुआ यह कि मेरे बैग का एक व्हील टूट गया था अतः मैं मोची की दुकान पर नया व्हील लगवाने गई। उसने मुझे बैग रखकर जाने व आधे घंटे बाद आने के लिए कहा। उसके कहे अनुसार में जब आधे घंटे बाद उसकी दुकान पर पहुंची तो निराशा ही हाथ लगी।
दरअसल उसने टूटे चक्के को तो बदल दिया था लेकिन दूसरे व्हील को जानबूझकर बैग से काटकर अलग कर दिया था और कहने लगा, आपके बैग का दूसरा व्हील भी टूट गया है।
मैं दूसरा व्हील भी बदल देता हूं। इस क्रूरता और अमानवियताा को देखकर अंदर से काफी तकलीफ हुई।और तो और कहते वक्त वह जो कुटिल मुस्कान दे रहा था लगा पुलिस को बुलाकर उससे पूरा सच उगलवा लूं लेकिन मैं दूसरा व्हील बदलने की कोई आवश्यकता नहीं है, कह कर पैसे देकर चली आई। कहते हैं न जो जैसा कर्म करेगा उसे उसका वैसा ही फल भी भोगना होगा। अतः कर्म फल के भरोसे उसे छोड़ दिया।कुछ लोग कुछ पैसे अधिक कमाने के लालच में किस हद तक नीचे गिर सकते हैं इसका जीवंत उदाहरण यह मोची था।