किसकी गलती
किसकी गलती
घर का माहौल खुशनुमा था, ढोलक बज रही थी; नाच गाना चल रहा था, हो भी क्यों ना आखिर घर की इकलौती बेटी रागिनी की शादी थी और वो भी शहर के जाने माने व्यापारी मनीष गोयल के बेटे अर्पित गोयल से। सब इस रिश्ते से बहुत खुश थे। आज रागिनी की हल्दी थी और परसो शादी।
दूसरी तरफ लडके के घर में भी यही माहौल था। हंसी-मजाक, नाच-गाना चल रहा था। अर्पित और रागिनी की ये अरेंज मैरिज होने वाली थी, पर दोनों एक दूसरे को प्यार करने लगे थे, इसलिए देख कर कोई कह नहीं सकता था, कि अरेंज मैरिज है। ये हंसी ये मजाक ज्यादा समय तक रह नहीं पाया, क्यूंकि अर्पित का बहुत बुरा एक्सिडेंट हो गया, जिसमें उसकी हालत बहुत गंभीर है। रागिनी और उसकी फैमिली हॉस्पिटल पहुंचते है, रागिनी की होने वाली सास मालिनी गोयल रागिनी को वहां देख कर गुस्से में आ जाती है।
मालिनी - "तुम यहां क्या कर रही हो चली जाओ यहां से, मेरे बेटे को इस हालत में पहुंचा कर भी चैन नहीं मिला जो यहां चली आयी।"
रागिनी की मां - "ये आप क्या कह रही है बहनजी।"
मालिनी - "जो कह रही हूं बिल्कुल सही कह रही हूं; ये लड़की अपशगुनी निकली है, इसलिए मेरे बेटे की ये हालत हुई है।"
मालिनी की ये बातें सुनकर हर कोई हैरान हो जाता है, क्यूंकि मालिनी उच्च शिक्षित है और बैंक में ऑफिसर है; उनकी ये सोच देख कर हर कोई चकित है। माहौल को देखते हुए कोई किसी से कुछ नहीं कहता और रागिनी और उसकी फैमिली घर वापस आ जाती है।
पुलिस से पता लगता है, की ये एक्सिडेंट ज्यादा स्पीड में गाड़ी चलाने की वजह से हुआ है और अर्पित और उसके दोस्तों ने ड्रिंक की हुई थी, लेकिन अर्पित की मां तो बस रागिनी को ही अपने बेटे की इस हालत का जिम्मेदार मानती है।डॉक्टर्स के कोशिशों और अपनों के प्यार से अर्पित धीरे धीरे ठीक होने लगता है और दूसरी तरफ रागिनी अर्पित की ऎसी हालत का जिम्मेदार खुद को ही मानने लगी है और डिप्रेशन में जाने लगी है। अर्पित की मां ने ये रिश्ता तोड़ दिया है, पर अर्पित कुछ नहीं जानता, उसे बताया गया है कि रागिनी किसी से शादी करके विदेश चली गई है क्यूंकि उसे अर्पित का भरोसा नहीं था कि वो कब ठीक होगा। अर्पित को भरोसा नहीं हो पा रहा है की रागिनी ऎसा करेगी।
एक्सिडेंट के 6 महीने बाद जब अर्पित बिल्कुल ठीक हो जाता है, तो वो रागिनी के घर जाता है और वहां जाकर उसे सच्चाई का पता लगता है और एक बुरी खबर भी मिलती है कि रागिनी अब नहीं रही, क्यूंकि वो डिप्रेशन में जा चुकी थी और इसी कारण उसने सुसाइड कर ली, ये सुनकर अर्पित को बहुत बड़ा धक्का लगता है और इस बात का भी दुख होता है कि खुद उसकी मां रागिनी की मौत का कारण है।
"अरे आ गए बेटा? कहां चले गए थे तुम? एक लड़की का रिश्ता आया है तुम्हारे लिए; बहुत खूबसूरत और यहां के हीरा व्यापारी की बेटी है।" चहकते हुए मालिनी बोली।
"नहीं मम्मी मुझे कोई शादी नहीं करनी, आप जानती है कि रागिनी कि मौत हो चुकी है?" अर्पित ने पूछा।
ये खबर सुनकर मालिनी चौंक जाती है क्यूंकि उन्हें भी ये बात नहीं मालूम था, उन्हें भी सुनकर दुख होता है; लेकिन अगले ही पल डर भी लगता है कि कहीं अर्पित को सब पता तो नहीं लग गया। खुद को संभालते हुए बोलती है -
"नहीं बेटा मुझे नहीं पता था; कैसे हुआ ये सब और तुम्हें कैसे पता लगा?"
"मैं उसके घर गया था, घर में तो कोई नहीं मिला; पर पड़ोसी से पता चला है ये सब...” अर्पित ने झूठ बोला।
"ओह अच्छा! वैसे और क्या बताया पड़ोसी ने?”
"उन्होंने बताया कि मैं रागिनी के लिए मनहूस था, इसलिए तो रागिनी मर गई।" अर्पित ने फिर झूठ बोला
मालिनी एक दम चौंक गई इस बात से; पर अगले ही पल उसे पड़ोसी पर गुस्सा भी आता है कि कैसे उसने उसके बेटे को मनहूस बोला। "अनपढ़ गवार है वो आदमी, जो उसने तुम्हें मनहूस बोला, जीना-मरना भगवान के हाथ में होता है इंसान के हाथ में नहीं।" मालिनी बोली और उस पल ये भी भूल गई की उन्होंने रागिनी के साथ क्या किया था।
"ये बात आपने उस वक़्त क्यूं नहीं सोची जब आप रागिनी पर इतना घटिया इल्ज़ाम लगा रही थी और इसी डिप्रेशन में आकर उसने सुसाइड कर लिया!” लगभग चीखते हुए अर्पित बोला। मालिनी हैरान हो जाती है। उसके मुंह से कोई शब्द नहीं निकल पाते। अर्पित आगे बोलता है, “क्या सोचकर आपने मेरी रागिनी के साथ ऎसा किया मम्मी? अगर आपकी नजर में वो अपशगुनी थी तो मैं तो बहुत बड़ा मनहूस हूं तभी तो रागिनी मर गई।" व्यंग्य से अर्पित ने कहा।
"नहीं बेटा ऎसा मत कहो,” रोते हुए मालिनी बोली।
"नहीं मम्मी यही सच है, अब मैं किसी से भी शादी नहीं करूंगा क्या पता कल को बेचारी दूसरी लड़की मेरे मनहूस होने के कारण मर जाए।" व्यंग्य से अर्पित बोला। मालिनी बस रो रही है कुछ कह नहीं पा रही है। आगे अर्पित बोला, “उस दिन जो एक्सिडेंट हुआ उसमें मेरी और मेरे दोस्तों की गलती थी, हमने मस्ती मस्ती में कार की स्पीड बढा ली और हमने ड्रिंक भी की हुई थी। हम संभल नहीं पाए और हमारा एक्सिडेंट हो गया; इसमें रागिनी कि क्या गलती थी मम्मी बताओ मुझे?” और फफक फफक कर रोने लगता है।
मालिनी को अपनी गलती का बहुत पश्चाताप होता है वो अर्पित को कहती है, “मुझसे गलती हो गई बेटा, मुझे माफ़ कर दे।"
"माफी मुझसे नहीं रागिनी के फैमिली से मांगिए; उन्हें बिना किसी कसूर कि सज़ा मिली है। उन्होंने अपनी मासूम सी बेटी खो दी। और हां मां मेरे लिए कोई लड़की मत देखिए मैं रागिनी के अलावा किसी को दिल में जगह नहीं दे पाऊंगा, रागिनी आपके नाम से अनाथ आश्रम खोलना चाहती थी, क्यूंकि वो दिल से आपको मां मानती थी, पर अफसोस आप ये सब समझ नहीं पाई। खैर उसका अनाथ आश्रम खोलने का सपना मैं पूरा करूंगा।मुझे अकेले ही अब सब देखना है इसलिए अभी से ही काम शुरू करना है...” और ये कहते हुए वो बाहर चला जाता है।
मालिनी उसे जाते हुए देखती है और सोचती है कि अपशगुनी तो मैं निकली जिसकी वजह से एक प्यारी सी लड़की की जिंदगी खत्म हो गई। उसके परिवार को पूरी ज़िंदगी का ग़म मिल गया क्यूंकि उनकी बेटी नहीं रही और मेरा बेटा पहले जैसा नहीं रहा, अब वो कभी पहले वाला अर्पित नहीं बन पाएगा ये मैं जानती हूं। मेरी एक गलत सोच की वजह से आज कितनी जिंदगियां बर्बाद हो गई, इसलिए अपशगुनी तो मैं हूं।
कहानी तो खत्म हो गई पर एक सवाल छोड़ गई की आखिर ये अपशगुन होता क्या है? अर्पित का एक्सिडेंट उसकी और दोस्तों की गलतियों के वजह से हुआ था। रागिनी कहां से बीच में आ गई। इसी अंधविश्वास को आज भी बहुत लोग मानते है, किसी का पति मर जाए तो बुराई पत्नी को मिलती है; उसे अपशगुनी कहा जाता है। और भी ना जाने क्या क्या, क्या ये सब करना ठीक है? इन अंधविश्वासों की वजह से ना जाने कितनी रागिनी की जिंदगी बर्बाद होती होगी। ये सब बिल्कुल भी ठीक नहीं है।
