Priyanka Gupta

Inspirational

4.5  

Priyanka Gupta

Inspirational

किसी का दिल जीतना इतना मुश्किल भी नहीं

किसी का दिल जीतना इतना मुश्किल भी नहीं

5 mins
359


रश्मि की शादी एक संयुक्त परिवार में तय हुई थी। एकल परिवार में पली-बढ़ी रश्मि को संयुक्त परिवार बड़े ही आकर्षित करते थे। सांझा चूल्हा, सांझे दुःख, सांझे सुख, सांझी डाँट और सांझा प्यार| ज़िन्दगी के खट्टे, मीठे, कड़वे सभी अनुभवों का एक साथ मज़ा। हंसी-ठिठोली, एक दूसरे की टांग खिंचाई में वक़्त कैसे गुजर जाता है, पता ही नहीं चलता।

रश्मि के सपने भी ऐसे ही थे कि वह अच्छे से घर संभाले और घर में सभी का दिल जीत ले। जहाँ कुछ नजदीकी लोग रश्मि के मम्मी-पापा को समझा रहे थे कि संयुक्त परिवार में उनकी बेटी बंधनों के कारण खुश नहीं रहेगी, वहीँ रश्मि को बंधनों में बंधने की चाह थी। जब तक बंधन न हो तब तक आज़ादी का क्या मज़ा।

रश्मि तक उड़ते-उड़ते यह भी खबर आयी कि उसकी दादी सास बड़ी ही खुर्राट है और घर में उन्ही की चलती है। उसके ससुर जी और छोटे चाचा ससुर जी एक साथ रहते हैं, जबकि बड़े चाचा ससुर अलग रहते हैं। दादी सास की हुकूमत के कारण ही बड़े चाचाजी अलग हुए थे। लेकिन रश्मि इन सब के लिए मानसिक रूप से तैयार थी।

रश्मि ने अपनी बड़ी दीदी को अपने बड़े-बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए दिन-रात एक करके तैयारी करते हुए देखा था| तब ही तो उसकी दीदी इतनी प्रसिद्ध आर्किटेक्ट थी। दीदी एक बेस्ट आर्किटेक्ट के रूप में अपनी पहचान बनानी चाहती थी .वहीँ रश्मि बेस्ट होम मेकर के रूप में अपनी पहचान बनानी चाहती थी .दोनों के अलग -अलग सपने थे ,लेकिन सपने तो थे ही . रश्मि का सपना तो शुरू से ही एक भरे पूरे परिवार में रहते हुए घर के कार्यों को अच्छे से करना था।रश्मि की दीदी कई बार उसे कहती भी थी कि,"सर्वश्रेष्ठ होम मेकर बनना यह भी कोई सपना है .अच्छे से पढ़ाई -लिखाई कर और कुछ और बनने का सपना देख .ये तो हर लड़की बन ही जाती है ."

तब रश्मि कहती थी ,"दीदी ,हम लड़कियों को अपनी मर्ज़ी से सपने देखने कि भी इज़ाज़त क्यों नहीं है ?हम होम मेकर को सम्मान क्यों नहीं देते हैं .जिसको जो अच्छा लगे ,उसे वह करने देना चाहिए .पढ़ाई -लिखाई आपकी जितनी अच्छी तो नहीं ,लेकिन कर तो रही हूँ .फिर भी मेरा सपना आप से भले ही अलग हो ,लेकिन मुझे भी अपने सपने से उतना ही प्यार है .एक अच्छी होम मेकर बनना भी कोई आसान काम नहीं है .मैं तो बस इतना चाहती हूँ ,मैं जो भी करूँ दिल से करूँ और एक दिन जरूर आएगा जब होम मेकर को भी उतना ही सम्मान दिया जाएगा ;जितने की वह अधिकारी है ."

दीदी कहती थी ,"तू और तेरी बातें मेरी समझ से तो परे हैं .खैर तेरा सपना भी सच हो ."


रश्मि के लिए उसकी होने वाली दादी सास का दिल जीतना भी किसी बहुत बड़े और महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट के समान था।उसने सोच लिया था वह दादीजी को शिकायत का कोई मौका नहीं देगी और उनकी सोच को समझने का प्रयास करेगी और उनके अनुभवों से सीखने का .

वक़्त आने पर रश्मि की शादी हो गयी और वह अपने भरे-पूरे परिवार में आ गयी। जैसे-जैसे रश्मि अपनी दादी सास को जानती गयी वह उनकी हिम्मत, बुद्धिमानी, मेहनत और जुझारूपन की कायल होती गयी। उसकी दादी सास भरी जवानी में विधवा हो गयी थी, उन्हें पीहर या ससुराल कहीं पर भी कोई सहारा देने वाला नहीं था। अपने दम पर अपने बच्चों को पाला पोसा और उनकी शादियां की।

रश्मि की सास घर के काम काज में फूहड़ थी, दादी सास ने सिखाने की भी कोशिश की लेकिन वह सीखने की इच्छुक भी नहीं थी। उनके बच्चों को भी दादी सास ने ही पाला था। रश्मि ने नोटिस भी किया था कि उसके पति अपनी माँ से ज्यादा दादी के नज़दीक थे।

रश्मि की बड़ी चाची सास काम काज में बहुत होशियार थी और दादी सास के नज़दीक भी थी। लेकिन एक बार दादी सास ने अपनी एक सोने की चैन जो कि टूट गयी थी, उन्होंने उस चैन से अंगूठी बनवाकर लाने के लिए बड़ी चाचीजी को दी थी। बड़ी चाचीजी ने कुछ ज्यादा ही होशियारी दिखाते हुए उस चैन से दो अंगूठी बनवा ली और दादी जी को केवल एक अंगूठी लाकर दे दी। अपनी इस डेढ़ होशियारी के कारण बड़ी चाचीजी दादीजी के मन से उतर गयी और फिर अलग से रहने लग गयी।

फिर छोटी चाचीजी की कमियां भी बड़ी दोनों बहुओं की गलतियों के कारण ढक सी गयी थी। छोटी चाचीजी अंधों में कानी रानी जैसे थी। उसके बाद अब रश्मि घर में बहू बनके आयी थी। अपनी सुशीलता और सुघड़ता के कारण रश्मि जल्द ही अपनी दादी सास की आँखों का तारा बन गयी।दादी जी तब अपनी दोनों बहुओं से कहती थी कि," यह रश्मि इतनी गुणी और चतुर है कि इसके काम में कभी कोई गलती ही नहीं होती .जब यह गलती करेगी नहीं तो मैं इसे भला क्यों डाँटूंगी .तुम्हे सिखाने के लिए ही तो डांटती हूँ .मेरे से ज्यादा तुम्हारा अच्छा कौन सोच सकता है .मैं तो यही चाहती हूँ कि तुम्हारी गृहस्थी में सुख और शांति रहे .सब कुछ अच्छे से चले . "

हर इंसान का दूसरों के साथ व्यवहार दूसरों द्वारा उसके साथ किये जा रहे व्यवहार पर निर्भर करता है। किसी और की नज़रों में जो बुरा है, जरूरी नहीं वह आपके लिए भी बुरा हो। आज जब दादी जी का हाथ रश्मि के सर पर नहीं है, शादी से लेकर उनके ज़िंदा रहने तक दादीजी ने उसे एक भी दिन डाँट नहीं लगाई थी, बल्कि हमेशा उसका पूरा-पूरा ख्याल ही रखा था।

.........................................................................................................


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational