ख्वाहिशों का घर
ख्वाहिशों का घर
प्रीति व जतिन दोनों एक साथ कॉलेज में पढ़ते हैं थे जो दूसरे से प्यार भी करते थे कॉलेज की पढ़ाई समाप्त होते ही जतिन की ख्वाहिश थी कि वह एक बहुत बड़ा आर्किटेक्चर बने और बड़ी बड़ी बिल्डिंग के नक्शे बनाएं। प्रीति को आर्टिकल लिखने का शौक था वह कविताएं कहानियां लिखती रहती थी।
प्रीति ने अपने पिताजी को जतिन के बारे में बता दिया और उससे विवाह करने की इच्छा भी उनके सामने रखी। प्रीति के पिता ने जतिन को बुलाया और उसे कहां कि वह उनकी कंपनी ज्वाइन कर ले जिससे आगे प्रीति को किसी प्रकार की परेशानी ना हो। जतिन ने उनको जवाब दिया कि वह एक बहुत बड़ा आर्किटेक्चर बनना चाहता है यह उसकी व उसके माता-पिता की बहुत बड़ी ख्वाहिश है और वह यह पूरी करके ही शादी करेगा। प्रीति के पिता को यह बात नागवार हुई और उन्होंने प्रीति से ना मिलने की उसको सलाह दी। प्रीति को भी यह कह दिया कि वह तुम्हारे लिए अच्छा साथी नहीं है इसे अपनी ख्वाहिशों की फ़िक्र है न की तुमसे शादी करने की ।और उसकी शादी शीघ्र ही एक समझदार लड़के विवेक से कर दी।
प्रीति व विवेक की शादी को 5 बरस हो गए। विवेक ने आज एक आर्किटेक्चर को अपने नए मकान के लिए बुला रखा है। प्रीति को भी आर्किटेक्चर से मिलवाया आर्किटेक्चर और कोई नहीं जतिन ही था। प्रीति ने जतिन से ज्यादा बात नहीं की उसने घर के नक्शे के लिए भी विवेक से कह दिया आपको जैसा सही लगे वैसा बनवा लेना। और प्रीति ने एक बार भी जतिन से बात नहीं की।
नया घर बन गया जतिन ने जाते-जाते एक छोटा सा पत्र प्रीति को पकड़ाया और वह चला गया।
पत्र में लिखा था
प्रीति मैं जानता हूं तुम मुझसे नाराज हो तुम्हारे पिता नहीं चाहते थे कि हम मिले इसलिए मैं बिना मिले आगे की पढ़ाई करने और ख्वाहिशों को पूरा करने के लिए चला गया। जब मैं सफल होकर शहर आया तो जब तक तुम्हारी शादी हो चुकी थी। मैं पत्र इसलिए लिख रहा हूं कि हमने कभी चाहतों से बड़े घर का एक सपना देखा था विवेक जी व तुम्हारा नया मकान बनकर तैयार हो गया है। वह भी तुम्हारी ख्वाहिशें जैसा ही है जैसा तुम हमेशा मुझे बताया करती थी। तुम्हें संगीत का शौक था मैंने ड्राइंग रूम में एक कोना तुम्हारे लिए मध्यम म्यूजिक का बनाया है जिसमें तुम सुकून से हल्के संगीत में, पास में एक टेबल रखी है जिसमें तुम अपना लेखन कार्य जारी रखो ।तुम्हारे कमरे की बड़ी खिड़कियों के पास एक बड़ा झूला लगा दिया है जिसमें तुम अपने खाली समय में आराम कर सको।
आशा करता हूं तुम्हें पसंद आएगा तुम विवेक जी के साथ हमेशा सुखी और खुश रहना मैं उनसे मिला हूं वह बहुत अच्छे और समझदार व्यक्तित्व के इंसान हैं उन्होंने हर बार यही कहा कि प्रीति की पसंद की हर चीज घर में होनी चाहिए। हो सके तो मुझे मेरी गलतियों के लिए क्षमा कर देना ।तुम्हारा जतिन।
पत्र पढ़ते ही प्रीति ने तुरंत कार निकाली और वह अपना नया घर देखने के लिए निकल पड़ी। सच में घर बहुत खूबसूरत और उसके ख्वाहिशों का था जैसा वह सोचा करती थी। घर में शिफ्ट होते ही प्रीति ने अपना लेखन कार्य शुरू किया और साल भर के अंदर उसने अपना नोवेल "ख्वाहिशों का घर" लिख दिया ।आज उसका लोकार्पण है और वह एक प्रसिद्ध लेखिका के रूप में जाने जाने लगी है। इसके लिए वह हमेशा जतिन की शुक्रगुजार रहेगी। आज उसकी पुस्तक का लोकार्पण है।

