ख्वाहिशें
ख्वाहिशें
(एक्टिंग क्लास में समर, रूबी, लक्ष्मण आए हैं। कुछ और साथी भी है। कल हो चुके प्ले की बातें हो रही है।)
रूबी- ( समर अपने आप में बिजी) समर, कल का तुम्हारा एक्ट कमाल का था। तुम बहुत इंप्रेसिव लग रहे थे।
लक्ष्मण - रूबी आप भी कमाल लग रही थी। कितना क्रिएटिव आईडिया था। और समर तू कैसा है?
रूबी -(लक्ष्मण को इग्नोर करते हुए ) समर इवनिंग में फ्री है क्या ?
समर - नहीं यार मै और रिया जा रहे हैं, मूवी का प्लान था, वह पहले से ही था। नेक्स्ट टाइम पक्का...
लक्ष्मण - रूबी कौन सी मूवी है वैसे ?
रूबी - (दुखी होकर) तुम्हें क्या करना?
लक्ष्मण- ( समर जाने लगता है) समर !
समर - क्या है?
लक्ष्मण - तुझे नहीं दिखता यह तुझसे कितना प्यार करती है।
समर - तो क्या करूं? मेरी वह अच्छी दोस्त है बस।
रूबी -(नजरें झुका लेती है) समर ठीक ही तो कह रहा है, दोस्त ही तो है बस।
लक्ष्मण - और यह जो तुम लोग रूम पर मिलते हो वह।
समर - अबे साले तुझे कैसे पता है
रूबी - तो तू पीछा करता है मेरा?
समर - रूम पर आती है तो क्या? बैठते हैं, ड्रिंक करते हैं। तुझे कोई तकलीफ है ?
( लक्ष्मण समर की गर्दन पकड़ लेता है)
रूबी -, नहीं नहीं, ये बस ये जानना चाहता है कि हममें कुछ हुआ कि नहीं? कुछ फिजिकल। है कि नहीं ?
(तभी वॉइस ओवर, सर की आवाज )
सर - क्या हो रहा है ऊपर?
(सर आते हैं उनको देखते ही )
रूबी - सर, यह लक्ष्मण पागल हो गया है।
समर - बेवकूफ हाथापाई कर रहा है सर।
लक्ष्मण -(सारी फिलिंग दबाते हुए, रिलैक्स करते हुए )- अरे सर, इन दोनों को तो क्या, सबको बेवकूफ बना दिया। इंप्रोवाइज कर रहा था। हाउ वाज़ द एक्ट ?
सर - (लक्ष्मण की आंखों में देखते हैं, सब कुछ समझते हुए भी ) चलो चलो ठीक है। आज के प्ले की रिहर्सल स्टार्ट करो।