ख़ुशियों की दस्तक
ख़ुशियों की दस्तक
रविवार के दिन विनीता के घर में सुबह से ही पिता-पुत्री में गरमागरम बहस छिड़ी हुई थी। विनीता की इकलौती बेटी रोली दसवीं कक्षा की छात्रा है और पढ़ाई में काफ़ी अच्छी है। इसीलिये विनीता के पति और रोली के पिता, मोहन चाहते हैं कि रोली आई आई टी की प्रवेश परीक्षा देकर देश के किसी प्रतिष्ठित कॉलेज से इंजीनियरिंग करे। दरअसल आई आई टी से इंजीनियर बनना मोहन जी का अपना सपना था जो वे पारिवारिक ज़िम्मेदारियों के बोझ तले दब कर अधूरा रह गया। अब उनकी हार्दिक इच्छा है कि रोली इंजीनियर बन कर उनका नाम रोशन करे।रविवार होने के कारण आज मोहन घर पर थे।
मोहन रोली को डाँटते हुए बोले “ पढ़ाई कर लो बेटा, कितना कम समय रह गया है तुम्हारी परीक्षा में दसवीं अच्छे नम्बरों से पास करोगी तभी तो किसी अच्छी कोचिंग में ऐडमिशन मिलेगा।”
रोली ने उत्तर दिया “ मैं इंजीनियर नहीं बनना चाहती पापा,मुझे विज्ञान में बिलकुल रुचि नहीं हैमुझे पायलट बनना हैआसमान में उड़ान भरनी है “
“आसमान में उड़ान तो तुम इंजीनियर बन के भी भर सकती हो, आई आई टी से इंजीनियरिंग कर इतना पैसा कमाओगी कि हमेशा हवाई यात्रा ही करोगी “ मोहन ने बेतुका सा तर्क दिया।
“पर पापा, हवाईजहाज़ उड़ाने और हवाईजहाज़ में बैठने में बहुत अंतर होता है “ रोली भी कहाँ हार मानने वाली थी।
“रोली जो भी बनना चाहती है या करना चाहती है, उसे करने दीजिये न “ विनीता ने मेज़ पर नाश्ता लगाते हुए कहा।
“तुम तो मत ही बोलोतुम्हें किसी बात की समझ तो है नहींहो तो एक घर में बैठने वाली औरत ही न तुम्हें तो आईआईटी का फ़ुल फ़ॉर्म भी नहीं पता होगा “मोहन ने हमेंशा की तरह तंज कसा और अपनी प्लेट में नाश्ता निकालने लगे।
विनीता ने हमेशा की तरह ही अपमान का कड़वा घूँट पी लिया और चुपचाप रोली की प्लेट में नाश्ता लगाने लगी। मोहन ने फिर आदेशात्मक लहजे में रोली से कहा “ तुम्हें इंजीनियर ही बनना है रोलीपायलट बनने का फ़ितूर अपने दिमाग से निकाल दोतुम मेरी इकलौती बेटी हो, तुम मेरे सपने पूरे नहीं करोगी तो और कौन करेगाअब इस विषय पर और कोई बहस नहीं होगी।“
रोली ने ग़ुस्से में अपने सामने से नाश्ते की प्लेट दूर सरका कर रुआँसे स्वर में बोली “ मुझे भूख नहीं हैमैं पढ़ने जा रही हूँ “ और वहाँ से उठ कर जाने लगी।
विनीता ने गम्भीर स्वर में कहा “ रुको रोली, नाश्ता करो बेटायह सच है कि मैं घर में रहने वाली बेकार सी औरत हूँ, परन्तु मेरी इस स्थिति के लिये तुम्हारे पापा ही ज़िम्मेदार हैंमैं भी तुम्हारी तरह ही पढ़ाई में अच्छी थीमुझे हिन्दी बहुत अच्छी लगती थी, इसलिये मैंने हिन्दी में एमए कियामुझे लिखने का भी शौक़ था, साथ ही मेरा गला भी बहुत सुरीला था,इसलिये तुम्हारे नाना नानी ने मुझे संगीत की भी विधिवत शिक्षा दिलाईमैं गायिका बनना चाहती थी, ऑल इंडिया रेडियो पर मुझे कई बार गाने के अवसर भी मिलेफिर तुम्हारे पापा से मेरा विवाह हो गयातुम्हारे पापा ने कभी मेरी इज़्ज़त नहीं कीविवाह के बाद भी मुझे नज़दीक के विद्यालय में संगीत शिक्षा की नौकरी मिल रही थीपरन्तु तुम्हारे पापा ने यह कह कर मना कर दिया कि उन्हें पत्नी की कमाई नहीं खानी हैउसके बाद तुम मेरी गोद में आ गईंमैं तुम्हें देख कर अपने सारे दुख भूल गई और तुम्हारी मुस्कुराहटों में अपनी ख़ुशियाँ ढूँढने लगीबाद में भी लोग मुझसे पूछते कि मैं जब इतना अच्छा गाती हूँ तो संगीत सिखाने के ट्यूशन्स ही क्यों नहीं ले लेती, पर उसमें भी तुम्हारे पापा को आपत्ति हैवे कहते हैं कि लोग क्या कहेंगे कि मोहन की पत्नी ट्यूशन्स लेती हैसमाज में इनकी नाक नहीं कट जायेगी “
फिर विनीता ने मोहन से कहा “ मेरी तरह मेरी बेटी अपने सपनों की क़ुर्बानी नहीं देगी। इसे अपने सपने पूरे करने का पूरा हक़ हैरोली आपके सपने को नहीं जियेगीवह अपना सपना पूरा करेगी और पायलट ही बनेगी आपको चाहे पसन्द हो या नहीं।“
मोहन और रोली दोनों ही पहली बार विनीता के इस रूप को देख कर स्तब्ध थे। मोहन न जाने क्यों रोली को देख कर मुस्कुरा दिये, शायद उन्हें भी रोली की ख़ुशियाँ अधिक प्यारी थीं। रोली भी झट विनीता के गले लग गई और चहकते हुए बोली “ माँ, आप अपने गाने रिकॉर्ड कर यू-ट्यूब पर अपलोड कर दिया कीजिये, सीक्रेट सुपरस्टार की तरह और अपनी कविताएँ या कहानियाँ भी हिन्दी से जुड़ी विभिन्न वेबसाइट्स परमैं आपको यह सब करना सिखा दूँगी “
“हाँ बिलकुलअब तुम मेरी टीचर बन जाओ “ कह कर विनीता भी हँस पड़ी।आज विनीता और रोली दोनों के सपनों को ऊँची उड़ान मिल गई थी और ख़ुशियाँ उनके दरवाज़े पर दस्तक दे रहीं थी।