खुराक
खुराक
“पापा, समझने की कोशिश कीजिये....आपको दवा की सख्त जरुरुत है। दवा की सही खुराक नहीं लेने पर कोई फायदा नहीं होगा।” बेटे ने झल्लाते हुए कहा।
“नहीं..नहीं....मुझे कोई खुराक-उराक नहीं लेना। अब मौत आ जाय वही सही ! दिन-रात बिछावन पर पड़े -पड़े ..... मैं इस जीवन से तंग आ गया हूँ!
जो कहता हूँ, वो तुमलोग सुनते नहीं ! कितनी बार कहा, दोनों बेटियों से जल्दी मिलवा दो ! तुम हमेशा मेरी बात को टाल देते हो। अब मैं कुछ ही दिनों का मेहमान हूँ ! “ पिता नम आँखों से पुत्र की ओर आकुल होकर बोले।
“पापा, आप भी हद्द करते हैं, दोनों दीदी का फ़ोन हमेशा आता ही रहता है। ऐसा कुछ होगा तो उन्हें तुरंत बताया जाएगा। झूठ-मूठ का भीड़ लगाने से कोई फायदा नहीं!
सुनो,आजकल किचन का काम कोई करना नहीं चाहता, बैठे-बैठे खाना-नाश्ता मिल जाय, बस इसी फिराक में सब रहते है। आपको पता है न...घर में सारा दिन काम रहता हैं।एक काम निपटो, दूसरा मुँह बाये खड़ा हो जाता है।फिर.. आप .. ?” बेटे ने चकरघिन्नी बनी पत्नी की ओर देखते हुए कहा।
“जल्दी से आ....(मुँह खोलिए ) कीजिये, मैं दवा पिला देता हूँ।” चम्मच में झट दवा पापा के मुँह में डालकर सीधे अपने कमरे की ओर गुमसुम बढ़ गया।
बहू, ससुर का चेहरा उतरा देख उनके सिरहाने के पास पहुँच गई।
“ दोनों बेटियों से मिलवा दो बहू...जी भर उन्हें देखना चाहता हूँ। बेटी पराई धन होती है... अधिक नहीं रहेगी !” कहते-कहते ससुर का गला भर गया । दो बूंद गर्म आँसू उनके पोपले गालों पर लुढक आए।
तभी फ़ोन की घंटी घनघनाई।
“किसका फोन है बहू ? “
“छोटी दीदी का।” बहु ने फ़ोन को जैसे ही हाथ में उठाया, फ़ोन कट गई। फिर से घंटी बजी।
“किसका फोन है..बहू ?” कहते हुए ससुर एकटक बहू का मुँह ताकने लगे।
“ बड़ी दीदी का।” फोन रिसीव करते हुए बहू बोली,
“ प्रणाम दीदी।“
“खुश रहो, पापा की हालत बताओ, आज कैसा है ?”
“ दीदी, हालत सही नहीं है! कल से खाना बिल्कुल बंद है, बस दो-चार चम्मच जूस ही ले पाते हैं। आप आ जाइए...पापाजी बहुत याद कर रहे हैं। हाँ.. छोटी दीदी को भी रास्ते में साथ ले लीजियेगा।”
“भाभी, कल हमलोग जरूर पहुँच जायेंगे ।पापा जी को बतला देना। हमलोग तो कब से आने का सोच रहे थे। पर... वो.. तो...बस, भैया के...फोन...का..|” बड़ी दीदी की आवाज गले में अटक कर रह गई।
“ दीदी, बगल में पापा जी हैं... आप खुद उनको बता... उधर से सिसकने की आवाज आयी और दीदी का फोन स्विचऑफ़ हो गया।
“ बहू ने ससुर के माथे को सहलाते हुए कहा, “पापा जी, दोनों दीदी कल पहुँच रहीं हैं।अब सो जाइए।”
ससुर के स्याह चेहरे एकाएक ऐसे खिल उठे मानो उन्हें सही खुराक मिल गई हो।