खुद से संकल्प

खुद से संकल्प

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राघव इसलिए मशहूर था कि वह जो भी वादा करता है वह कभी पूरा नहीं करता है। लेकिन फिर भी वह अक्सर कोई ना कोई संकल्प लेता रहता था। कुछ दिन तक तो उस वादे के अनुसार चलता‌ था। पर जल्दी ही वादा तोड़ कर अपनी पुरानी रफ्तार पर आ जाता था।


उसका सबसे अधिक दिन चलने वाला संकल्प पंद्रह दिनों तक चला था। वह भी इसलिए क्योंकी उसका दोस्त जयेश उसे प्रेरित करता रहता था। वह वादा था रोज़ सुबह वॉक पर जाने का। जयेश रोज़ सवेरे ही आ धमकता और उसे जगाकर वॉक पर ले जाता था। 


पर उसके इस संकल्प में जयेश का बीमार पड़ जाना बाधा बना। बीमारी के कारण जयेश का आना बंद हो गया। राघव का संकल्प टूट गया।

हाल ये हो गया था कि कोई उसके किए संकल्प पर विश्वास नहीं करता था। जब भी वह कहता कि मैं यह करके दिखाऊँगा तो लोग उसके मुंह पर कह देते 'तुम रहने ही दो'।


अब राघव को यह बात खलने लगी थी। पर वह भी जानता था कि अपनी यह छवि उसने खुद ही बनाई है। पर सबसे बुरा उसे तब लगा जब उसकी छह साल की बेटी ने भी उसके वादे पर यकीन नहीं किया।


राघव अपनी बेटी रूपल से बहुत प्यार करता था। रूपल के स्कूल में एक प्रतियोगिता हो रही थी। इस प्रतियोगिता में बच्चे के साथ उसके मम्मी या पापा को भाग लेना था। लड़की के साथ उसके पापा और लड़के के साथ मम्मी को।


रूपल ने घर आकर जब यह बात अपने मम्मी-पापा को बताई तो हमेशा की तरह राघव ने उत्साह के साथ कहा,

"देखना हम दोनों ही ये प्रतियोगिता जीतेंगे।"


रूपल खुश हो गई। प्रतियोगिता में तीन टास्क थे। उसके हिसाब से राघव व रूपल को एक स्किड करना था, राघव और रूपल को एक गाना गाना था। तीसरा था राघव को रूपल की प्रतिद्वंद्वी लड़की के पापा के साथ बैडमिंटन का मैच खेलना था। तीसरा टास्क सबसे महत्वपूर्ण था।


हर बार की तरह शुरुआत में तो राघव ने अपनी फिटनेस के लिए कसरत करना शुरू कर दिया। पर जल्दी ही वह ढीला पड़ गया। रूपल दुखी हो गई। उसने कहा,

"पापा आप कभी अपना कोई वादा पूरा नहीं करेंगे। सब सही कहते है। आप बस ऐसे ही कह देते है।”


रूपल की बात सुनकर राघव को बहुत बुरा लगा। पर जब उसने ठंडे दिमाग से सोचा तो उसे रूपल की बात सही लगी। वह अपनी बेटी के लिए अपनी छवि सुधारना चाहता था। उसके लिए आवश्यक था कि अपना वादा पूरा करे।


राघव ने इस बार अपने आप से संकल्प लिया कि वह रूपल के लिए प्रतियोगिता जीत कर रहेगा। इस बार संकल्प खुद से खुद के लिए था। उसने अपने आप को पूरी तरह से झोंक दिया।


एक महीने के बाद रूपल के स्कूल में होने वाली प्रतियोगिता में राघव ने सबसे अच्छा प्रदर्शन कर प्रतियोगिता जीत ली।


रूपल खुश थी। पर उससे अधिक राघव खुश था। पहली बार उसने खुद से वादा किया और पूरा किया।


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