खिड़की के बाहर
खिड़की के बाहर
दिव्या के माता पिता दोनों नौकरी पर जाते थे दिव्या व छोटा भाई घर पर ही रहा करते थे। घर पर एक छोटी सी खिड़की थी वह दोनों दोपहर में बैठ जाते हो और बाहर का नजारा देखते रहते।
एक दिन दोपहर के समय दिव्या के घर में किसी ने दरवाजा खटखटाया बच्चों ने खिड़की में जाकर पूछा कौन है तो उन्होंने जवाब दिया कि हम तुम्हारे पापा के दूर के रिश्तेदार हैं। बच्चों ने खिड़की से देखा उनको वह चेहरा अनजाना लगा। और उन्होंने यह जवाब दिया। पापा मम्मी तो अभी नहीं है आप शाम को आना। तब उसने कहा कि बेटा पापा मम्मी नहीं है तो हम अंदर आ जाते हैं जब आएंगे तो मिलेंगे। बच्चों ने उन्हें साफ मना कर दिया और खिड़की भी बंद कर ली। फिर उन्होंने अपने पापा को फोन कर दिया। उस आदमी ने 2-4 बार फिर दरवाजा खटखटाया। बच्चे डर गए। थोड़ी देर बाद आवाज जब बंद हो गई तब बच्चों ने पापा मम्मी के आने के बाद खिड़की खोल कर देखी।
शाम को गली में पुलिस की गाड़ी की आवाज आ रही थी जैसे ही दिव्या उसके भाई ने बाहर देखा तो लोग बातें बना रहे थे। दिव्या के घर से चार मकान छोड़कर सुनसान मकान में बहुत बड़ी चोरी की वारदात हुई थी। पुलिस ने पूछताछ की दिव्या ने दोपहर वाली घटना अपने पापा मम्मी को बताई। दिव्या के पापा ने पूछताछ के दौरान पुलिस को सब बता दिया। पुलिस ने दिव्या की सहायता से उसका स्केच बनवाया और वह आदमी पकड़ा गया।
दिव्या को वीरता पुरस्कार के लिए सम्मानित किया गया। जब उससे पूछा गया कि वह अभी मात्र 12 साल की है साथ में छोटा भाई भी 9 साल का है तो उसमें इतनी सोच समझ कैसे रखी, तब उसने कहा कि हमारे पापा मम्मी ने खिड़की बना रखी हैं उन्होंने हमें कह रखा है की जो भी आए उसको दरवाजा नहीं खोलना है जब तक तुम उसको जानते नहीं हो चाहे वह कोई हमारा खास रिश्तेदार ही क्यों ना हो ।
इसलिए हम पहले खिड़की के बाहर देखते हैं क्योंकि हमारे सब जानकार तो यह जानते हैं कि पापा मम्मी 5:00 बजे ऑफिस आते हैं। तो कोई भी दोपहर के टाइम में मिलने नहीं आता। दिव्या की सूझबूझ से बहुत बड़ा चोर पकड़ा गया था अगर बच्चे खिड़की के बाहर नहीं देखते तो सच्चाई का पता नहीं पड़ता। दिव्या के माता-पिता की सोच रहे थे अगर बच्चों को हमने नहीं सिखाया होता तो इतनी बड़ी वारदात हमारे साथ हो जाती है और न जाने क्या होता। खिड़की तो बच्चों के लिए खुला आसमान देखने के लिए बनवाई थी पर खिड़की ने आज इतने बड़े खतरे से भी बचा लिया।