'ख़ुद्दारी'
'ख़ुद्दारी'
गुरु/बाबा में अनेकानेक गुण हैं जिनका अनुकरण किया जा सकता है। उनमें से एक गुण है, सदैव कलम संग रखना। मैं ठहरी ज्यादा से ज्यादा कामों के लिए मोबाइल का प्रयोग करने वाली। कोई नया शब्द मिला जीमेल के ड्राफ्ट में लिख लिया। कुछ दिमाग में आया हाइकु, कविता, लघुकथा की पंक्तियाँ जीमेल के ड्राफ्ट में लिख लिया। बाबा से अक्सर मुझे कलम मांगना पड़ता वे खुद को गौरवान्वित महसूस करते रहे।
एक बार किस काम से वे बैंक में गए। वहाँ पर एक आदमी मिला जिसे कलम की आवश्यकता पड़ गयी। उसने बाबा से कलम मांगा और बाबा बिना समय गंवाए उसे कलम दे दी। बाबा अपना काम पूरा कर जब घर निकलने लगे तो उस आदमी से अपना कलम मांग लिया। बाबा के कलम मांगते ही वह आदमी चिल्लाने लगा कि क्या महाराज आपने तो हद्द कर दिया, दो रुपये में मिलने वाली इस साधारण सी कलम के लिये आप हलकान हुए जा रहे हैं।
"बाबा दो रुपये की बात सुनते ही गरज पड़े, ख़बरदार जो आपने मेरी कलम का अपमान किया उसे दो रुपये की बात कहकर। किसी लेखक की नजर से देखिए करोड़ों में भी नहीं मिलेगा। सृजन करने वाला हथियार को दो रुपये का मूल्य आंका तो आंका आपने कैसे...!"