खेल नहीं कोई
खेल नहीं कोई
एक लड़की एक लड़के से प्यार करती है पर उस लड़के के लिए प्यार एक खेल था। एक दिन वो लड़का उस लड़की से अलग हो जाता है, किसी और लड़की से प्यार का नाटक खेल कर, पर वो लड़की उस लड़के को भूल नही पाती और उसी से प्यार करती रहती है, पर किस्मत का खेल कुछ और ही था। उस लड़के को दूसरी लड़की धोखा दे जाती है और वो फिर पहले वाली लड़की के पास लौटकर आता है, पर वो लड़की अब उससे रिश्ता जोड़ने को मना कर देती है- कहती है-
मैं तुमारे लिए अपनी जान दे सकती हूँ पर फिर से तुमसे रिश्ता नही जोड़ सकती।
जो इंसान एक बार धोखा देकर जा सकता है, क्या वो दोबारा धोखा नहीं देगा, इस बात का क्या भरोसा। मैं तन्हा तुमारे बगैर जिंदगी गुजार लुंगी पर तुमारे साथ नहीं। प्यार कोई खेल नहीं जब जी चाहे खेल लो जब जी चाहे छोड़ जाओ दिल तोड़ कर। अब तो तुम्हारी यादों के सहारे जिंदगी कट जाएगी अलविदा।