ख़ौफ़
ख़ौफ़
आज वन्दना को अपने कोचिंग से लौटने में देर हो गई तो माँ शालिनी बहुत ही बेचैनी से घर के बरामदें में टहल रही थी।
वो कभी रात के आठ बजे तक नहीं आती थी। माँ का दिल घबरा रहा था, तरह - तरह की शंकाओं ने घेर लिया था।
शालिनी के पति जैसे ही घर में घुसे शालिनी ने रुंआसी होते हुए कहा, “देखिए न आज वन्दना को इतनी देर हो गई है, मेरा दिल घबरा रहा है।”
उसके पति घनश्याम अभी-अभी अपनी दुकान से घर आए थे। उन्होंने जैसे ही सुना, “शालिनी तुम घबराओ नहीं, मैं जा कर देखता हूँ।”
कहकर उन्होने स्कूटर स्टार्ट की और रास्ते में वो सोचते जा रहे थे क्योंकि, आज कल जो माहौल चल रहा है। अखबारों में रोज़ के रेप, बच्चियों का किडनैप और उनके साथ दरिंदगी कर के जला देना। ये सब आम हो रहा है, घनश्याम सोच रहे थे शालिनी का डरना ग़लत नहीं है।