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PANKAJ GUPTA

Drama Romance Fantasy

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PANKAJ GUPTA

Drama Romance Fantasy

कच्ची उम्र का प्यार (भाग-6)

कच्ची उम्र का प्यार (भाग-6)

3 mins
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लेटर पढ़ने के बाद मेरी खुशी की सीमा नही थी.. मैंने उस लेटर को अपने अधरों से कई बार स्पर्श किया।खुश था बहुत,अंदर से....दिल से।

और इसी खुशी में मैंने आरती को मेसेज कर दिया..

"I cant express my feelings after reading your awesome letter. Thankyou so much dear. I'm so happy right now"

मेसेज करने के बाद ध्यान आया कि आरती के पास मोबाइल तो है ही नही..वह जिस नम्बर से कॉल करती है, वह उसके घर का नम्बर है..

अब मेरी सिट्टी पिट्टी गुम हो गई। कई तरह के डर मेरे मन मे हिलोरे मारने लगे..

आरती के अलावा मेसेज कोई और पढ़ लिया तो क्या होगा?? फिर तो आरती और हमारी बैंड बज जायेगी।

लेकिन ठीक दस मिनट बाद उसी नम्बर से मेरे मोबाइल मे नोटिफिकेशन आया

"इतनी खुशी??...आपको ध्यान भी नही है कि ये मोबाइल मेरा पर्सनल नही है। शुक्र है खुदा का कि मोबाइल मेरे पास था जब आपका मेसेज आया। मैं आपको रात मे मेसेग करूँगी। ठीक है? अपना ध्यान रखना आप..बाय"

मेसेज पढ़कर मैंने राहत की सांस ली और ईश्वर का शुक्रिया अदा किया।

अब मैं रात का बेसब्री से इंतजार करने लगा। मन नही लग रहा था किसी भी काम मे। बार बार मैं अपने मोबाइल का इनबॉक्स चेक कर रहा था..

रात्रि करीब 11 बजे मेरा इंतजार खत्म हुआ जब आरती का मेसेज आया

आरती-"डिनर हो गया आपका??"

मैं- हा.. तुम्हारा??

आरती- "hmmm मेरा भी। आपके मोबाइल मे मेसेज पैक है न?

मैं- हा..मैंने दोपहर मे कराया था मेसेज पैक

आरती- हा तो आप बताइये ..इतना खुश क्यों थे उस समय?

मैं- ये पूछने वाली बात नही है। जिसको दिल से चाहो, उसका लेटर मिले वो भी इतना प्यारा.. तो खुशी स्वभाविक है।

आरती- अच्छा सुनिये..एक गुड न्यूज़ है।

मैं- जल्दी बताओ।

आरती- मैंने पापा से अपने लिए मोबाइल के लिए बोला है और वो राजी भी हो गये है। मेरे जन्मदिन पर मुझे मोबाइल मिल जायेगा

मैं- wow..कब है तुम्हारा जन्मदिन??

आरती- 14 अक्टूवर

मैं- मतलब दिवाली के दिन?

उस दिन तो दिवाली भी है

आरती- हा.. दिवाली के दिन। आपका जन्मदिन कब है?

मैं- 14 फरवरी

आरती- क्या बात है Mr. Valentine

मैं- ...Miss दिवाली....

 आरती से चैटिंग करते हुए समय कैसे बीता इसका ध्यान ही नही रहा और रात के 2 बज गये।

अगले दिन क्लास मे आरती के चेहरे पर मोहक मुस्कान थी। ऐसी मुस्कान जो किसी को घायल कर दे।

आरती को जब भी मौका मिलता हम दोनो मोबाइल पर बात करते क्योकि कोचिंग मे बात करना संभव नही था।धीरे धीरे हम दोनो एक दूसरे की पसंद-नापसंद से पूरी तरह वाकिफ हो गये। एक दूसरे को इम्प्रेस करने के लिए हम दोनो ने अपने अपने ड्रेसिंग सेंस मे भी काफी बदलाव किये। हम दोनो बेहद खुश थे और धीरे धीरे हम दोनो का प्यार भी परवान चढ़ रहा था।

आरती के जन्मदिन पर हम दोनो का मिलने का प्लान था। काफी दिमाग खर्च करने के बाद शहर के विनि रेस्तरां में दोपहर के समय हमदोनो के मिलने का प्लान तय हुआ हालांकि इसके लिए आरती को अपने घर पे झूठ बोलना पड़ा कि दोस्तो के साथ bday सेलिब्रेट करने जाना है

आरती के जन्मदिन पर मैंने उसे सामने से प्रोपोज़ करने का प्लान बनाया और इसके लिए मुझे घर पर शीशे के सामने खूब रिहर्सल भी करनी पड़ी। काफी माथापच्ची के बाद मैंने आरती को घड़ी गिफ्ट करने का निर्णय लिया। 

......शेष कहानी अगले भाग में  


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