कभी नहीं
कभी नहीं
रीमा ..मां ने कहा है कि कल मैं तुम्हें डाक्टर के क्लिनिक लेकर जाऊं और फाइनली अब तुम चलोगी ,कोई बहसबाजी नही...।
लेकिन समीर सही बात को कहने के लिए बहस करनी ही क्यों पड़ती है.. तुम इतनी लापरवाही से इतनी बडी बात इग्नोर कैसे कर देते हो..।
अरे यार.. क्या बडी बात है, मां कह रही बच्चे का लिंग परीक्षण करा लो एक बार..। फर्क क्या पडता है..।
हां समीर, फर्क क्यूं नही पडता है.. तुमको..।
हम जैसे पढेलिखे लोग एक गैरकानूनी प्रक्रिया का हिस्सा बनने चले जाएं.. और अगर ईश्वर ना करे बच्ची हो गर्भ में तो फिर घर में एक नये विवाद से गुजरें कि या तो इसको गिरा दो.. नही तो सब मुझे घूर घूर कर देखें और बोले कि अपनी जीत पर अडी है.. बदतमीजी करती है.. अगैरा वगैरा..।
हम एक ऐसी प्रक्रिया को जन्म ही क्यूं दे..।
रीमा ,तुम पहले से पहले ही इतना नेगेटिव क्यों सोच लेती हो. ईश्वर की दी हुयी पहली बिटिया है ना, हमारे पास, इस बार वो हमें जरूर बेटा ही देंगे..।
जब इतना भरोसा है ईश्वर पर तो क्यों किसी इलगिल क्लिनिक के चक्कर काटना..।
अरे तुम समझती नही हो मां की इच्छा है.. "
तो मां को समझाओ.. समीर.. "
मां ने तो बायलोजी पढी नही, तुमने तो पढी है ना, बच्चे का लिंग निर्धारण कैसे होता है..? भूर्ण में लिंग पता करना कानूनी जुर्म है..? और लडका लड़की सब बराबर होते हैं.. ईश्वर को जो इच्छा, वे जो दे दे... उसे खुशी खुशी स्वीकार करना चाहिए..।
समझाओ मां को..प्लीज..।
मुझे इस बेहूदा परोसीजर में मत घसीटो..। हां कल मेरी डाक्टर के पास चलो रूटीन चैक अप के लिए ..तो मुझे अच्छा लगेगा..।
लेकिन मैं अपने बच्चे का लिंग परीक्षण नही करवाऊंगी..।
थोडा देर के लिए दोनों पति पत्नी के बीच एक सन्नाटा पसरा रहा.. फिर समीर चुप्पी तोड़ते हुए कहा.. अच्छा ठीक है, ज्यादा स्टेरैस मत लो... मैं कल सुबह मां से बात करता हूं....लेकिन एक शर्त है मेरी.. "
"क्या.. "
तुम मुझे हमेशा मुस्कुराती मिलोगी.. ऐसी रोनी शक्ल में नहीं।
