काम कैसे होगा

काम कैसे होगा

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है भगवान दोपहर के तीन बज गए अभी तक ताराबाई का अता-पता नहीं, शाम को मेहमान आने वाले है ओर घर भी बिखरा पड़ा है, बर्तनों का ढ़ेर पड़ा है। निशा हड़बड़ा गई जाकर पास पड़ोस में भी पूछ आई जहाँ तारा काम करती है पर किसके घर आज तारा नहीं आई।

अब तो दूसरी कामवालियां भी चली गई होंगी क्या करूँ।

ये आकाश भी ना अपना कुछ काम तो खुद किया करते तौलिया, जूते, फाइलें सब इधर-उधर रख देते है जैसे बच्चें हो। शाम के खाने की तैयारी ओर घर काम सब कैसे होगा।

सोच ही रही थी की डोरबेल बजी दरवाजा खोलते ही सामने तारा को देखकर निशा की जान में जान आई, क्या रे कहाँ थी तू आज ?

तारा बोली मैडम आज मेरे बेटे का एक्सिडेंट हो गया तो अस्पताल ले जाना पड़ा इसलिए देर हो गई ओर डरते-डरते बोली मैडम आज पाँच सौ रुपये एडवांस चाहिए बेटे की दवाइयां लेनी है.! 

निशा ने कहा ठीक है जाते वक्त लेती जाना, ओर निशा सोचने लगी ये विधवा ताराबाई सिर्फ़ तीन-चार घर का काम करती है इतने पैसों में कैसे चलता होगा ओर क्या सुझा की पूछ बैठी, ताराबाई इतनी कम आय में कैसे गुज़ारा करती हो पति का पैंशन वगैरह आता है क्या ?

ताराबाई तुरंत बोली कहाँ होता मैडम इसिलिए आपको बोलने ही वाली थी अगले महीने से पगार बढ़ा दीजिए।

निशा को पूछना भारी पड़ा तो चिड़ते हुए मन ही मन बोली इसे कहते है आ बैल मुझे मार अच्छा खासा दो हज़ार में कर रही थी काम आई बड़ी पूछने वाली।


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