कागज और कलम
कागज और कलम
लिखना आसान है क्या ?
प्रारंभ में कोई भी कार्य आसान नहीं लगता है । निरंतर प्रयास से उसे आसान बनाया जा सकता है ।अगर लिखने को काम समझ लेंगे तो ये आपको उबाऊ लगेगा मगर जब इसे कला या खेल के जैसा देखेंगे तो लिखने में आनंद आयेगा । जैसे कोई रंगो से चित्र बनाता है, कोई वाद्य से संगीत बनाता लेता है और बहुत कुछ कला जो हम देख पाते हैं । वैसे ही मेरे लिए लिखना एक कला हैं ।लिखना कागज और कलम से दोस्ती करने जैसा है ।
ओ कैसे ?
दोस्त कौन होता है वही न जिससे कोई भी बात कहने में हमें कोई डर नहीं लगता या जिसके साथ हम खुल कर हर बात रख सकते है । वैसे ही ये डायरी होती है ।बस लिखते जाना है ,हर ओ बात जो हमें अच्छा या बुरा लगता है ।जब लिखते है तब हम ख़ुद से बातें करते है ऐसा मुझे लगता हैं । वर्तमान में सभी बहुत व्यस्त हैं । लोग घर के एक ही कमरे में रहकर भी बात कम बात करते है । ऐसा नहीं कि ओ किसी से बात नहीं करते है । करते है मगर अपने ख़ास लोगों से करते है । वैसे में किसी से कोई जबरदस्ती तो नहीं कर सकते । हाँ ये तो सच है । तब हमें ये कागज और कलम बहुत उपयोगी लगता है । लिखना ख़ुद से बातें करना जैसा है । जो विचार मन में चलता रहता है उसी को शब्दों के द्वारा कागज पर उतारना है ।
जब मैं लिखता हूँ तो लिखे हुए कुछ वाक्य को बार बार पढ़ता हूँ इसी बहाने जो कुछ त्रुटि हो जाती है उसे सुधार भी लेता हूँ ।ठंड का समय चल रहा है । एक रात कुछ लकड़ियाँ इकट्ठा कर उसे जला कर बैठा हुआ था । जलने से धुआँ उपर उठ रहा था । फिर कुछ लिख लिया
दिसम्बर की बर्फीली शर्दी में , जब तनमन ठंड काँप जाता हैं
यादों की अलाव जलाता हूँ उठते धुएँ से तुम्हारी तस्वीर बनाता हूँ..
धुआँ में तस्वीर बनाना एक कल्पना है । हकीकत में जिसे हम चाहते है उनकी तस्वीर तो हृदय में बना होता है ।उनके प्रति जो प्रेम है वह शब्दों के द्वारा कागज पर उतरती है । फिर बन जाती है सुंदर कविता ।
तुम्हें याद ही नहीं तुम्हें हर पल जी लेता हूँ।
बारिश ,सर्दी या गर्मी कोई भी मौसम न पुछो
हवाओं में ख़ुशबू की तरह मुझमें घुल सी ग़ई हो तुम।
जब उसे हम याद करते है ,तो उससे बाते करना चाहते है , उसके साथ कहीं घूमने जाना चाहते है ।लेकिन हर वक्त ऐसा नहीं हो पाता है । तब ये लिखी हुई कविता को पढ़ कर सुकून सा मिलता है । ओ पास नहीं तो क्या उनका होने का अहसास तो कराती है ।
जिस दिन लिखना आदत बन जाएगी उस दिन ख़ुद को कभी अकेला महसूस नहीं करोगे । जब कोई त्योहार होगी तो जरूरी सामान ख़रीदते समय ख़रीदोगे एक सुंदर सा डायरी और चार पाँच रंग बिरंगे पेन । घर की अलमारी में थोड़ी जगह अच्छी किताबों के लिए भी बनने लगेगी । फूल और दीये के साथ साथ सजने लगेगी किताब ,डायरी और पेन ।
अकेलापन तब एक अवसर की तरह लगेगा । ढलते सूरज के साथ घर लौटते पक्षियों को देख कर कोई कहानी लिखने का मन करेगा । अगर घर में होंगे तो अदरक वाली काली चाय पीने का मन करेगा ।धीमी आवाज में पसंद का कोई संगीत बजने लगेगा । अलमारी से निकाल पढ़ने लगोगे अपनी ही लिखी डायरी । उसे पढ़ कर ख़ुद को यकीन भी नहीं होगा कि ये मैंने लिखा है । हाँ ऐसा होता है और सच में अच्छा लगता है ।
लगातार लिखने का असर होने लगता है । पहले किसी व्यक्ति विशेष से लगाव होता था अब ओ लगाव आस पास के प्रकृति के सुंदर दृश्य को देख कर होने लगेगा । फूलो के उपर बैठे तितली को देख कर , उड़ते पक्षी को देखकर और बहते झरने नदी को देखकर और बहुत कुछ जितना देख सकते हो सभी में कविता नजर आएगी । जैसे एक दिन मेरे दोस्त फूल पौधे खरीदने गए थे वहाँ से सुंदर फूलो की एक फोटो भेज दी । उन फूलो को देख कर कुछ पंक्ति लिख दिया ..
हम तो मुस्कुरा लेते हैं, इन ख़ूबसूरत फूलो को भी देखकर,
दिल के सुकून के लिए तुम्हारा मुस्कुराना जरुरी है ।
जब ओ यह पंक्ति पढ़ी तो उसे बहुत अच्छा लगा और मुझे मेरा लिखना सफल हुआ जैसा लगा । लेकिन याद रहे कोई हमारे लिखे कविता कहानी को पढ़ कर तारीफ़ न करे तो निराश नहीं होना है और हमे लिखते रहना है ।
तब अकेले मुस्कुराने की आदत भी हो जाएगी उन फूलो की तरह । जब बहते नदी को देख को लिखना प्रारंभ करोगे तो जीवन में आने वाले कठिनाइयों से लड़ने की ताक़त मिलेगी ।हमारे तरह नदी का राह भी आसान नहीं होता ऊँचे पहाड़ से निकल कर ,पत्थरों को चीरती हुई निकल पड़ती है उसके प्रवाह को भी रोका जाता है ।फिर नदी पर लिखी गई एक छोटी सी कविता
बहती नदी ,बहती नदी ,बहुत कुछ कहती नदी
ऊँचे पहाड़ो से गिरती नदी ,चट्टानों को चीरती नदी
बाँधो के दीवारों में घिरती नदी ,खेती को सींचती नदी
शहरों की प्यास बुझाती नदी ,गंदे नालो को समा ले जाती नदी
कितना दुख सहती नदी ,फिर भी कुछ न कहती नदी
फिर भी नहीं रुकती नदी ,कोन देखभाल करेगा सोचती नदी
चीखती,पुकारती सूखती नदी ,बहती कुछ कहती नदी
बहती नदी ,बहती नदी
ये कैसा लगा ये तो पढ़ने वाले ही बता पायेंगे । वक्त तो निकलता जाएगा । उम्र बढ़ती जाएगी । मन शांत होता जाएगा । अपने पास जो भी है उसे देख कर ख़ुशी महसूस होगी ।
लिखना हमें उदार बनाती है । अब चिंता नहीं चिंतन होगा ।लिखने के लिए कागज चाहिए ये कागज बनाने के लिए कितने पेड़ काटे होंगे । पेड़ो के साथ पानी,बिजली और मजदूरी भी लगा होगा ।छोटे से कारखाना से बन कर दुकानों तक पहुंचती है जिसे हम ख़रीद कर लाते हैं ।तब जाकर सुंदर सा डायरी हमारे पास होता है ।
तो आगे हमें क्या करना होगा ? ये एक अच्छा सवाल हैं ।
हमें लगाने होने कुछ पेड़ और बड़े होने तक उसका देखभाल करना होगा ।उम्र बड़ती जाएगी और ये लगाए हुए पेड़ भी बड़ते जाएँगे । उसी पेड़ की छांव में फिर बैठ कर लिखना एक कहानी और कुछ कविता । पेड़ की सूखी टहनी इकट्ठे करते जाना । आस पास उगे घास काट कर गौशाला में जा कर गायो को खिला आना । इस तरह बार बार जायेगे तो वहाँ गायो से दोस्ती हो जाएगी ।उसे देखभाल करने वाले ग्वाले को बोल कर गोबर से बने कुछ उपले रखवाना । पेड़ पर लिखी कुछ पंक्ति
ओ नन्हा पौधा फिर एक दिन बड़ा वृक्ष बनेगा,
खट्टे मीठे फल और ताजी शुद्ध हवा मुफ़्त में देगा।
कभी वहाँ से गुज़रोगे तो उसकी छाँव में ठहरना,
पक्षियाँ भी दुआ देंगे तुम्हें,गजब का सुकून मिलेगा।।
लिखी हुई कविता और कहानी की कुछ प्रतियां छपवाना और उसे बेच कर कुछ पैसा बचाकर गुल्लक में भरकर किताब के पास रख देना ।डायरी के अंतिम पृष्ठ पर लिखना अपनी कुछ बाते । जिंदगी को जितना भी जीया जी भर जीया, अब किसी से कोई शिकायत नहीं ।उन सभी का शुक्रिया जो हर समय साथ दिया । अंतिम इच्छा जो हो ओ भी लिखना । मैं जब दुनिया से चला जाऊँ तो कविता लिखते लिखते जाऊँ।क्योंकि जानता हूँ मेरे उस पल में मेरे साथ कोई साथ नहीं होगा ।किताबों के पास रखे गुल्लक में जो रुपये है उतने पैसे ही कफ़न ख़रीदा जाए ।मेरी चिता मेरे जन्म भूमि मेरे गांव में जले उसके के लिए मेरे लगाए हुए पेड़ की सुखी टहनी और गौशाला से उपले ही उपयोग में लाया जाए ।कोई भी हरे भरे पेड़ को नहीं छेड़ा जाए । लगाए हुए उन पेड़ो से इतना प्रेम करना …
जब तुम दुनिया छोड़ जाओगे,ओ पेड़ भी रो पड़ेगा
वही पेड़ की सुखी टहनी तुम्हारे साथ-साथ जलेगी ।
ओ पेड़ इशारों में तुम्हारी कहानी सभी को सुनाएगा,
छाँव की तलाश में जब कोई भटकता हुआ आएगा।।
छाँव की तलाश में ....
