Churaman Sahu

Tragedy Inspirational

4  

Churaman Sahu

Tragedy Inspirational

नदी और पहाड़

नदी और पहाड़

2 mins
478


नदी और पहाड़ एक बार मिलते हैं।

जब नदी पहाड़ से निकलती है, उसके बाद नदी अपना रास्ता बनाते हुए आगे बढ़ जाती है। पहाड़ वही रह जाता है।

पहाड़,नदी की तेज प्रवाह को देखता रहता है। नदी और आगे बढ़ जाती है। एक समय के बाद उसकी प्रवाह धीमी हो जाती है, क्योंकि उसके किनारों का विस्तार हो जाता है। तब तक नदी पहाड़ से बहुत दूर जा चुकी होती है। 

पहाड़ उसके विस्तार को देख ख़ुश होता है। वह दुःखी सिर्फ़ इस बात से होता है, कि जब भी कोई नदी का रास्ता रोकने की कोशिश करता है, नदी का रास्ता रोका जाना उसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं होता, यहाँ तक कि उसी पहाड़ के छोटे से चट्टान के द्वारा भी।

जब कोई शिला नदी के सामने आती है तो नदी अपनी प्रवाह और तेज कर लेती है। निरंतर प्रवाह से उस शिला को खंडित करती, चीरती हुई अपना रास्ता बना लेती है और आगे बढ़ जाती है। नदी सदैव बहना पसंद करती है।

पहाड़ को स्थिर (अटल ) होना पसंद है। समय के साथ उसे ऊपर उठना अच्छा लगता है। पहाड़ को यह पता है कि वह जितना ऊपर उठेगा, जितना अपने क्षेत्र का विस्तार करेगा उतना ही उस पर विशालकाय पेड़ पौधे उगेंगे। उन पेड़ों के माध्यम से उससे टकराने वाली मानसूनी हवाओ को रोक पाएगा। उन ऊँचे पेड़ों से टकरा कर काले-काले घने बादल बरस पड़ेंगे ।

जितनी ज़्यादा वर्षा होगी, उतना ही ज़्यादा नदी को पानी मिलेगा।नदी में जल का प्रवाह और तेज होगा। रास्ते में आने वाली सारी बाधाओं को पार करते हुए आगे बढ़ जाएगी। नदी भी जानती है, बहते रहने में ही भलाई है। वह जितनी ज़्यादा दूरी तय करेगी, उतना ही किनारे बसे गाँव, शहर ,खेत-खलिहान सबको जल पहुँचा पाएगी, सबको जीवन मिलेगा।

पहाड़ को शांत रहकर अटल होने की ख़ुशी है। किसी को आगे बढ़ने में,उसकी प्रगति में मदद इतनी खामोशी से करनी चाहिए, कि किसी को पता न चले जैसे पहाड़ करता है।

कठोर खड़े चट्टानों से बने पहाड़ों को तोड़ो मत।

स्वच्छ निर्मल नदियों को किसी और दिशा में मोड़ो मत।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy