“एक पेड़ था”
“एक पेड़ था”


एक व्यक्ति का घर उद्यान के सामने था । उस व्यक्ति ने वहाँ एक पेड़ लगाया । वह रोज उसे पानी देता और उसकी देखभाल करता ।धीरे-धीरे वह पेड़ बड़ा हुआ । तब भी वह व्यक्ति उसका ख़्याल रखने लगा ।पेड़ और उस व्यक्ति की अच्छी दोस्ती हो गई थी ।
कुछ समय बाद उस व्यक्ति को काम से बाहर जाना पड़ा ।जाने से पहले पार्क में काम करने वाले माली से बोला की वह उस पेड़ का ख़्याल रखे, पानी समय पर देता रहे ।काम कि वजह से वहसाल में चार- पाँच बार ही आ पाता था, लेकिन जब भी आता वह उस पेड़ के पास जाकर बैठ जाता । उसकी हालत देखता और जितनेदिन रुकता पानी समय पर ज़रूर देता।
समय निकलता गया पेड़ और भी बड़ा हो गया । समय के साथ उस व्यक्ति का आना अब कम होने लगा । माली भी कभी कभार आने लगा । वह पेड़ बड़ा तो हो गया, चूंकि पेड़ बोल नहीं सकते,किसी को बतला नहीं सकते, पेड़ भी किसी का इंतज़ार कर सकते हैं । उस पार्क में छोटे-बड़े, हरे, पत्तेदार और भी पेड़ थे ।अचानक उस पेड़ की पत्तियाँ सूखने लगी। कुछ समय बाद उसकी टहनियां भी सुखने लगी । माली को समझ ही नहीं आया कि सारे पेड़अच्छे हैं मगर एक पेड़ है जो सुख रहा है ।कुछ समय बाद वह पेड़ पूरी तरह सुख गया ।
उस व्यक्ति को कुछ काम से वापस आना हुआ । पहले की तरह ही पार्क में गया । वह देखकर आश्चर्य में पड़ गया, पार्क में सभी पेड़सही सलामत हैं, लेकिन उसका लगाया हुआ पेड़ पूरी तरह सुख चुका है । उसने माली से भी पूछा, माली ने जवाब दिया साहब एक ही पेड़ है जो सूख गया है, कुछ दिन बाद लोग आएँगे और उसे काट कर ले जाएँगे ।
व्यक्ति को बहुत दुःख हुआ, लगा कि उसका सबसे अच्छा दोस्त उसे हमेशा के लिए छोड़कर चला गया है । सोचने लगा काश! वह कुछदिन पहले आया होता तो उस पेड़ को बचा पाता । भले ही वो कुछ बोल नहीं पाते हैं, लेकिन उसे भी प्यार और अपनो के साथ की ज़रूरत होती है । समय रहते अपनो का ख़्याल कर लेना चाहिए नहीं तो उस पेड़ की तरह सूखने में देर नहीं लगेगी ।