Kumar Vikrant

Comedy

3.2  

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जटाधारी/मैं कौन हूँ?

जटाधारी/मैं कौन हूँ?

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दिलदार सिंह के तबेले में बेगार करते झम्मन लाल को आज तबेले की कुछ भैंसो को नदी किनारे चराने का काम दिया गया था।

'बेटे झम्मन लाल आज कल भैंस हाँकने वालो का गैंग आया हुआ है इसलिए जरा होशियार रहना, कहीं ऐसा न हो कि कोई भैंसो के साथ के साथ तुझे भी हाँक ले जाए, सभी भैंसे सही सलामत लेकर वापिस आना नहीं तो तेरी खाल उतरवा कर उसमे भूसा भरवा दूँगा।' दिलदार सिंह ने झम्मन लाल को चेतावनी देते हुए कहा था।

नदी के किनारे भैंसो को चरता छोड़कर झम्मन लाल एक पेड़ के नीचे जा लेटा और कुछ ही देर में नींद की आगोश में खो गया।

अचानक भैसो के झुण्ड के बीच बैठे एक जटाधारी को देखकर झम्मन लाल को थोड़ी हैरानी हुई और वो लपक कर जटाधारी के पास पहुँचा और गुर्रा कर बोला, 'कौन है बे तू?'

जटाधारी के हाथ में एक सुलगती चिलम थी उसने चिलम का एक जोरदार कश लिया और गुर्राकर जवाब दिया, ' मैं कौन हूँ? तुझे क्या लगता है मैं कौन हूँ? हिम्मत है तो जवाब दे।'

'अबे इसमें हिम्मत की क्या बात है, तेरी शक्ल देख कर ही लगता है कि तू कोई भैंसा हांकू है।' झम्मन लाल ने नदी के किनारे डेरा डाले उस जटाधारी के पास पड़े मोटे से रस्से को देख कर बोला।

'खबरदार, अब तेरी जुबान से मेरे बारे में एक भी बकवास निकली तो अपने चिमटे से तेरा सिर फोड़ दूँगा।' जटाधारी चेतावनी भरे स्वर में बोला।

'अबे मर गए सिर फोड़ने वाले, ला ये रस्सा मुझे दे।' कहते हुए झम्मन लाल ने उस जटाधारी का रस्सा छीन लिया।

'अजीब गधा है बे तू, तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरा रस्सा छीनने की? बेटे मैं जादूगर झाँसा हूँ, तेरी इस हरकत की एक ही सजा है कि तुझे गधा बना दिया जाए।' कहते हुए जादूगर झाँसा ने एक अजीब सी लकड़ी हाथ में लेकर कहा, 'गीली-गीली छू।'

दूसरे ही पल झम्मन लाल एक गधा बन गया और जोर-जोर से ढेंचू-ढेंचू करने लगा। जादूगर झाँसा ने एक जोरदार डंडा उसकी पीठ पर मारा और उछल कर गधा बने झम्मन लाल की पीठ पर बैठ गया।

इसके बाद जादूगर झाँसा ने गधा बने झम्मन लाल की पीठ पर बैठ कर सभी भैंसो को इकट्ठा किया और उन्हें हाँककर नदी के पार जाने के लिए नदी की तरफ बढ़ चला। नदी के पार जाने के लिए उन्हे में घुसना पड़ा। जैसे-जैसे वो नदी में आगे बढे नदी का पानी बढ़ता चला गया, एक टाइम ऐसा आया कि गधा बना झम्मन लाल पूरी तरह पानी में डूब चुका था और उसका दम घुटने लगा। दम घुटने के उन पलो में झम्मन लाल की नींद खुली और वो चिल्लाते हुए उठ बैठा।

आँख खुलने पर उसने देखा कि उससे थोड़ी दूर बैठा वो जटाधारी उसे देख कर हँस कर बोला, 'पहचाना मैं कौन हूँ?'

'तू जादूगर झाँसा है, मैं तुझे कुछ नहीं कहूँगा बस तू मुझे गधा मत बनाना।' झम्मन लाल लगभग रोते हुए बोला।

'नहीं बनाऊँगा, बस बेटे जब तक मैं इस शहर में हूँ मेरी दारू और मुर्गा तेरी तरफ से आएगा।' जादूगर झाँसा ठहाका मारकर हँसते हुए बोला।

'जो हुक्म मेरे आका।' कहते हुए झम्मन लाल जादूगर झाँसा के कदमो में लेटते हुए बोला।


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