Shakuntla Agarwal

Inspirational

4.4  

Shakuntla Agarwal

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जंग

जंग

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मोदी जी का संदेश सुना कि खाने - पीने के सामान को जमा मत करना, हम रोज़मर्रा की चीजों की कमी नहीं होने देंगे ! 

अगर आपने सामान की जमा - ख़ोरी कर ली तो देश में त्राही - त्राही मच जायेगी !

इसलिए मैंने जो सामान घर में था वही रखा और आपा - धापा वाली स्थिति पैदा नहीं होने दी ! परंतु लॉकडाउन के दूसरें दिन मुझें बेसन की ज़रूरत पड़ी, तो मैंने अपने ऊपर रहने वालें भाईसाहब को पास की किराना शॉप पर भेजा ! परंतु जो दुकान 7 बजे खुल जाती थी, वो आज 9 बजे तक भी नहीं खुली ! वो तीन - चार चक्कर लगा चुके, लेकिन फ़िर भी वो दुकान नहीं खुलीं ! मैंने उन्हें फ़ोन किया - क्या बात है भईया, आज दुकान नहीं खोली क्या ? दूसरी तरफ़ से आवाज़ आयी - नहीं खुलेगी ! मैंने कहा क्यों ?दूसरी तरफ़ से आवाज़ आयी - क्यों का कोई ज़वाब नहीं है,

यह कहकर फ़ोन काट दिया ! मुझें त्रिशूल फिल्म का एक डायलाग याद आ गया कि जहाज़ जब डूबने लगता है तो चूहें सबसे पहले भागते है ! यह अब सत्य हो रहा था ! हम मोहल्ले वालों ने उन्हें समझाया की पास की दुकानों पर अगर सामान नहीं मिलेगा तो स्तिथियाँ बद्तर हो जायेंगी ! अगर रोज़मर्रा की चीजें नहीं मिलेंगी तो देश में त्राही - त्राही मच जाएगी ! आज समझों, समाज़ पे जो संकट आया है, उसमें समाज़ का साथ दो, न कि नाँव को मझदार में छोड़कर चल दो, उनको यह बात समझ में आ गयी और रोज़मर्रा की चीजें मुहैया होने लगी !

सरकार तो अपना कर्त्तव्य पालन कर रही है, पर क्या हम अपना कर्त्तव्य पालन कर रहें हैं ? सरकार के साथ - साथ हमें भी सजग रहना पड़ेगा, तभी हम यह जंग जीत सकते हैं ! दुनिया पर जो संकट आया है, उसके बादल छटते देर नहीं लगेगी ! पर जरूरत है आपसी विशवास और काँधे से काँधा मिलाकर साथ चलने की !        


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