जलदेवी
जलदेवी
माँ मैने रात में सपना देखा कि मैं अपने गाँव में पहुँचा हूँ, वहां बहुत हरे भरे पेड़ पौधे है। गाँव के पास एक नदी है। पर उस नदी के पास ना कोई जाता है, गाँव वाले कहते है कि वहां किसी के रोने की आवाज़ सुनाई देती है। और उस नदी का पानी पीने से लोग बीमार हो जाते है। उधर कोई आता जाता नहीं है? मुझे भी हिदायत दी गई वहां ना जाने की।
पर मेरी बड़ी ललसा हुई उस नदी को देखने कि मैं उस नदी के पास गया। वहाँ सच में मुझे रोने की आवाज़ सुनाई दी। पहले तो मैं डर गया। फिर बड़ी हिम्मत कर के मैं उस ओर गया जिधर ये आवाज़ सुनाई दे रही थी।
मैने देखा एक ख़ूबसूरत औरत जो सफेद रंग के कपड़े पहनी उस नदी के तट पर बैठी रो रही है। देखने में वो जलदेवी नजर आ रही थी।
मैने पूछा आप हो कौन? और क्यूँ रो रही है?
मैं इस नदी की जलदेवी हूँ। मैं इसी नदी में वास करती हूँ? जब मैं आई इस गाँव में तो लोग पूरे उत्साह से मेरा स्वागत किया। गाँव वाले मेरा पानी सीचने के पीने के और अन्य दैनिक कार्यो में उपयोग लाते थे। जब बच्चे मेरे पानी में आकर जल क्रिड़ा करते थे मुझे बहुत सुकून मिलता था। जिस दिन मैं गाँव आई थी, पहाड़ों से गिरते मैदानों से होते हुऐ...जब भी वो दिन आता गाँव वाले वर्षगाठ के रूप में यहाँ मेला लगाते।
पर जब से शहरों, और कारख़ानों का कचरा मेरे जल में गिरने लगा यह जल दूषित हो गया। तब से जब भी कोई पानी पिता बीमार पड़ जाता। गाँव वाले मुझे ही दूषित समझते अब गाँव वाले भी कूड़ा कचरा डाल देते। वो जल देवी फिर रोने लगी।।
माँ इस सपने का कारण क्या है? क्या सच में जो हमारे गाँव की नदी है वो दूषित नहीं है? क्या उस नदी में शहर का कचरा जाता है? क्या सच में उस नदी की जलदेवी हमेशा रोती रहती है? ऐसे अनेकों सवाल राजू के ज़हन में दौड़ने लगा।
अब वह समझ गया था इस सपने का कारण क्या है क्यूँ वह नदी की देवी अपनी आत्मकथा सुनाई मुझे अब उसने एक फैसला किया फिर से उस नदी को पहले जैसा बनाने को।