Vimla Jain

Tragedy Action

4.0  

Vimla Jain

Tragedy Action

जिंदगी को धुएं में उड़ाते चले

जिंदगी को धुएं में उड़ाते चले

3 mins
299


हर फिक्र को धुएं में उड़ाता चला गया।  ऐसा ही था वह मात्र 20 साल का लड़का।

 छोटा था ट्यूशन जाता मां से बोलता मैं ट्यूशन जा रहा हूं, और वहां दुकानों पर दोस्तों के साथ में सिगरेट का धुआं छल्ले उड़ाता हुआ चलता। उसे कोई कहता, कोई टोकने की कोशिश करता ,तो उससे उलझ ने लगता, झगड़ा करने लगता।

ऐसे करते-करते दिन निकलने लगे। बहुत लोगों ने सोचा इतना छोटा बच्चा है। सिगरेट पीता है। दुकान वाले को भी बोला इसको सिगरेट मत दिया करो। लोगों ने दुकान वाले को बोला। दुकान वाले बोले हम क्यों मना करें, लेने आएगा तो हमारा तो व्यापार बढ़ेगा।

कुछ लोगों ने हिम्मत करके उस बच्चे के मां-बाप से कहने की कोशिश करी।

मां बाप को अपने मौज, मस्ती, और किटी पार्टी, क्लब ,ताश ,और नौकरी तथाकथित और कैरियर ओरिएंटेड लाइफ इन सब से फुर्सत कहां थी, जो की बच्चे की तरफ ध्यान देते।

कुछ लोगों ने आकर बोला तो भी उनसे ही लड़ पड़े, बोले हमारा बच्चा है हम संभाल लेंगे, तुम कौन होते हो हम को चेतावनी देने वाले ।

हमारा बच्चा कोई ऐसा काम नहीं करता है।

मगर उन लोगों ने इस बात की छानबीन करने की कोई कोशिश नहीं की।

ऐसे ही जिंदगी चल रही थी ।बच्चा कॉलेज में आ गया ।वहां भी उसके सिगरेट और मौज मस्ती चालू थे ।

उसको धीमा हल्का हल्का बुखार रहने लगा था।

 पर उसने उसको ज्यादा ध्यान नहीं दिया।

ना अपने पेरेंट्स को बोला। पेरेंट्स को तो फुर्सत ही नहीं थी ,बच्चे को ध्यान देने की ।

जब उसको ज्यादा तकलीफ हुई तब एकदम पेरेंट्स जागे। उन्होंने उसको हॉस्पिटल ले जा कर के डॉक्टर को दिखाया।

डॉक्टर ने उनके उस बच्चे को देख कर के पहले तो उसके मां-बाप की पूरी क्लास ली बहुत लड़ा। मां बाप एक दूसरे के ऊपर दोषारोपण करने लगे। और वही आपस में लड़ने लगे।

तब तक बच्चे की सारी रिपोर्ट्स भी आ गई। रिपोर्ट देख कर के डॉक्टर काफी चिंता युक्त हो गए। बच्चे के मां बाप ने पूछा क्या हुआ। तो वह बोले आपने आने में बहुत देर कर दी। बच्चे के फेफड़े एकदम खराब हो गए हैं।

और थर्ड स्टेज की टीबी है। हम कोशिश करते हैं अगर यह ठीक हो जाता है, दवाइयों से और सबसे तो ठीक है। कोशिश करना हमारा काम है। मां-बाप एकदम सकते में आ गए। बच्चे को इलाज के लिए हॉस्पिटल में दाखिल किया गया। थोड़े दिन बाद ही उस बच्चे की डेथ हो गई।

मां बाप बहुत दुखी हुए सब दुखी हुए मां बाप को बहुत पश्चाताप हुआ ,कि समय रहते हमने लोगों की बातों को माना होता ,और बच्चे का ध्यान रखा होता ,और उसको धूम्रपान करने से रोका होता, तो आज यह स्थिति नहीं होती।

 मगर क्या करें, जब, अब पछताए क्या होत है जब चिड़िया चुग गई खेत।

मैं अक्सर अपने आजू-बाजू में छोटे-छोटे बच्चों को सिगरेट पान पड़ी कि खाते हुए देखती हूं। 

सुबह-सुबह उठते ही उन पर नजर पड़ती है। बड़ा दुख होता है। शॉप वालों को भी कहने की कोशिश करी। उन लोगों को भी समझाने की कोशिश करी ,मगर कोई फायदा नहीं हुआ। अब तो मैंने कुछ कहना बंद कर दिया है। मगर ऐसा लगता है यह लोग अपनी जिंदगी को ऐसे ही धुएं में उड़ाता चल रहे हैं। अपनी फिक्र को धुएं में उड़ा रहे हैं ।कहने पर बोलते हैं आप कौन होते हो हमको कहने वाले। शॉप वाले बोलते हैं सरकार बंद करेगी तब बंद करेंगे। अरे सरकार क्या क्या करेगी समझ में नहीं आता है जो बाद में पछताते हैं जैसे उस बच्चे के मां बाप।

फिर कुछ नहीं होता है। दुनिया ऐसे ही चलती रहती है।



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy