जिंदगी की राहों में शह और मात
जिंदगी की राहों में शह और मात
ओट में अस्तित्व जब किसी के अस्तित्व को ही नकार दिया जाए और मान लिया जाए कि वह तो जिंदगी में फेलियर ही होगा। और समय के साथ इसके अस्तित्व को नकारा गया है। वह उन सब से अच्छा निकलता है तो इसको क्या कहेंगे शह और मात। शह और मात खेल के अंदर हार जीत है।
इसी तरह जिंदगी में भी हार जीत का खेल ही है। कभी-कभी बचपन से जिसके प्रति यह धारणा बना लेते हैं, कि वह जिंदगी में कुछ नहीं करेगा। और अपने आप के ऊपर अहम करते हैं, कि हम ही सब कुछ है। मगर जिंदगी में उनको ऐसी मात मिलती है। आप जिसके लिए वे समझते हैं कि यह हमारे सामने कुछ नहीं है। उसको ऐसी शह मिलती है कि उसको और सामने वाले पर सोचने के लिए मजबूर कर देती है। वैसे भी जिंदगी का यह खेल है शह और मात जिस में सफलता पाई। उस सफलता को सब नमस्कार करते हैं ।और उसकी पूछ करते हैं और उससे मार्गदर्शन लेते हैं।
वह लड़की बचपन से सीधी-सादी मेधावी नीति नियमों को मानने वाली थोड़ी सी चुलबुली और अच्छी थी। मगर उसके भाई और परिवार वाले उनको ऐसा ही लगता था यह जिंदगी में कुछ नहीं करेगी। मगर समय ने करवट बदली। उसने अपनी शादी के पहले और शादी के बाद अपनी जिंदगी को कुछ इतना अच्छे से संवारा। नीति नियमों के साथ। सब पर परिवार को साथ लेकर चलना। बच्चों को बहुत अच्छी पढ़ाई और बहुत अच्छी परवरिश देना, और जिंदगी के अंदर उन्नति की ऊंचाइयों पर हैं और खुद अपने नीति नियमों के साथ अपनी ईमानदारी के साथ और काबिलियत के साथ जी रही है। नतीजा जो जो लोग पहले बच्चों को इग्नोर करते थे । बात-बात पर डांटते थे ।और जो लोग अपने अहम में रहते थे और उसको कुछ नहीं समझते थे, वही लोग अब उसको पूछने लगे हैं, हर काम करने से पहले। उसे अपना मार्गदर्शक मानने लगे और वे अपनी जिंदगी में कहीं पीछे छूट गए । सभी तरह से अपनी जिंदगी के अंदर मात खा गए हैं। रिश्तों से बच्चों से और जिंदगी की खुशियों से।और जिसको वह लोग बिल्कुल कमजोर समझते थे उनकी इंपॉर्टेंट लिस्ट में आ गई है। हर छोटे-बड़े काम में वे उसको और उसके बच्चों को पूछकर उसके पति की राय लेकर फिर करते हैं। उस लड़की ने अपनी जिंदगी में खुशियां दी और खुशियां बाकी रिश्ते निभाए, और लोगों को निभाना सिखाया।
यह है शह और मात, ओट में से अस्तित्व की पहचान बनाना और आत्मसम्मान बनाना।
