STORYMIRROR

Diwa Shanker Saraswat

Inspirational Others

2  

Diwa Shanker Saraswat

Inspirational Others

जिम्मेदारी

जिम्मेदारी

1 min
393

सांता को विदा हुए एक दिन बीत चुका था। रामदास जी अभी तक शादी के बाद फुर्सत में नहीं आये थे। आखिर शादी के बाद भी बहुत सारा काम रहता है। फूल बाले, मैरिज होम बाले, केटरिंग बाले सभी का हिसाब बाकी था।


 वैसे तो रामदास जी के दो बेटे भी हैं। दोनों अपनी जिम्मेदारी भी निभा रहे हैं। बड़ा लड़का विदा हो रहे रिश्तेदारों को भेंट देने में लगा है। छोटा भी जरूरी काम निपटा रहा है।

 रामदास जी को अपने दोनों बेटे बहुत प्यारे हैं। कह सकते हैं कि बेटों के प्रेम में वह बेटी को कुछ भूल गये। सांता को बस जरूरत भर का प्यार दिया।

रामदास जी को हलके से चक्कर आने लगे। ध्यान आया कि सुबह ब्लडप्रेशर की दबाई लेना भूल गये थे। वैसे सांता थी तो वही समय से दवाई देती थी। कल ही सांता विदा हुई। और आज ही भूल हो गयी। धीरे धीरे आदत पड़ जायेगी।

दवाई लेकर रामदास जी अपना मोबाइल देखने लगे। कैटरिंग वाले ने हिसाब का व्हाट्सअप किया या नहीं। कैटरिंग वाले का तो मैसेज नहीं था पर सांता का व्हाट्सअप था।

  " पापा। अभी शगुन के कामों में व्यस्त हूं। फोन नहीं कर सकती। नौ बजे तक कुछ खाकर दवाई ले लेना।"


 रामदास जी की आंख गीली हो गयीं। केवल बेटे ही नहीं बल्कि बेटियां भी जिम्मेदारी निभाती हैं।



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational