Vinita Rahurikar

Tragedy

0.6  

Vinita Rahurikar

Tragedy

जिम्मेदार

जिम्मेदार

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बहु को जलाकर मार डालने वाले सास, ससुर और पति को जब पुलिस गिरफ्तार करके ले जाने लगी तो सुबकती हुई छोटी बहन अचानक ही इंस्पेक्टर को रोककर बोली- 


"इन्हें भी गिरफ्तार करिये इंस्पेक्टर साहब। दीदी की मौत के लिए ये लोग भी बराबर के जिम्मेदार हैं।" 


"क्या आपके माँ-बाप?" इंस्पेक्टर ने आश्चर्य से पूछा।

वहाँ उपस्थित सभी लोग स्तब्ध रह गए एक बेटी का माँ-बाप पर ऐसा आरोप सुनकर।


"तू पागल हो गयी है क्या? अरे हम खुद उसकी मौत के दुःख में अधमरे हो रहे हैं। भला कोई माँ-बाप अपनी बेटी को कभी मार सकते हैं क्या? हे भगवान" माँ अपना माथा पीटने लगी।


"दीदी शादी के कुछ समय बाद से ही बराबर आप लोगों को अपनी परेशानी बता रही थी कि उसके ससुराल वाले उसके साथ दुर्व्यवहार कर रहे हैं। जीजा और सास मारपीट करते थे। उसे खाना नहीं देते थे। कितनी मिन्नत करती थी वो आपसे कि मुझे बचा लो इन दरिंदों के हाथ से। ये लोग मुझे मार डालेंगे।" छोटी ने बताया।


"हम तो उसका घर-परिवार बचाना चाहते थे। कौन माँ-बाप नहीं चाहते कि लड़की अपने घर में सुखी रहे।" पिता ने अपनी दलील दी।


"सुखी?" छोटी गुस्से से बोली "ये जानने के बाद भी कि उसकी सास और पति की निगाह एक अमीर आदमी की दौलत पर है जो पैसों के बूते पर अपनी बदनाम हो चुकी बेटी की शादी जीजाजी से जल्द से जल्द करवाना चाहता है। और इस लालच में जीजा और उसकी माँ दीदी की जान लेने की पूरी तैयारी में है, क्योंकि तलाक तो आप लेने नहीं देते दीदी को।" 


"हम तो समझौता चाहते थे..." माँ ने कुछ कहना चाहा।


"अरे दरिंदों से कैसा समझौता माँ। कितना रोयी थी दीदी हाथ जोड़कर आप लोगों के सामने कि माँ एक कोने में इज़्ज़त से पड़े रहने दो बस। अपनी रोटी मैं आप कमा लूँगी। लेकिन आपने कभी समाज की, कभी अपने बुढ़ापे को बदनामी से बचाने की दुहाई देकर दीदी का मुँह बन्द कर दिया हर बार कि शादी के बाद लड़कियां ससुराल में ही अच्छी लगती हैं। काश आप समाज और इज़्ज़त की परवाह करने की जगह अपनी बेटी की परवाह करते।" छोटी हिकारत से बोली।

सबको साँप सूंघ गया। इंस्पेक्टर गहरी साँस लेकर रह गया।


" सच है, बेटियों को मारने में ससुराल वाले जितने जिम्मेदार होते है, उससे अधिक जिम्मेदारी मायके वालों की उपेक्षा और बेटियों के विवाह के बाद, अपने कर्तव्यों की इतिश्री समझकर गंगा नहा लेने वाली मानसिकता की होती है। अगर माँ-बाप बेटियों को घर में बराबर का दर्जा और साथ दें तो ससुराल में वो यूँ बली न चढ़ाई जा सकेंगीं।" इंस्पेक्टर ने लड़की के माँ-बाप पर एक क्रुद्ध दृष्टि डाली।





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