जीवन में सिनेमा का असर
जीवन में सिनेमा का असर
सोनू चार साल एक छोटा सा बच्चा है, उसके मम्मी- पापा दोनों ही काम पर जाते हैं तो सोनू को आया की देख-रेख में छोड़कर चले जाते हैं, क्या करें दोनों को ही नौकरी की वजह से अपने परिवार से दूर रहना पड़ता है,और आजकल के दौर में परिवार चलाने के लिए पति-पत्नी दोनों का ही काम करना जरूरी है,
सो सोनू रोज आया के संरक्षण में रहता है, आया, जिसका नाम मोनी है वह पंद्रह-सोलह साल की लड़की है, घर में दिनभर बैठ कर सिनेमा देखती रहती है, साथ ही सोनू भी देखता है, देखता है और उसके बालमन में सिनेमा का असर होने लगता है, वह खुद को सुपरहीरो समझने लगता है जो कि बदमाशों को सबक सिखाता है, यह बात उसके बालमन में बैठ जाती है,सिनेमा देख-देख कर वह बहुत सी बातें सीख जाता है।
हालांकि बड़े होने के बाद उसे सिनेमा के सच का पता चल जाता है, और वह अपने आप पर खूब हंसता है।