जीवन के पाँच चरण
जीवन के पाँच चरण
दोस्तों क्या आपने कभी गौर किया है कि हमारी जिन्दगी एक गेम की तरह हैं। जिसमें लेवल बाइ लेवल हम आगे बढ़ते जाते है, और हर नये लेवल में पुराने लेवल से ज्यादा मुश्किलें आती हैं। हमारी जिन्दगी कुछ विशेष चरणों में बँटी होती है, और उनमें से कुछ चरणों में हमें विशेष फायदे मिलते हैं, तो कुछ में हमें मुश्किलों का सामना भी करना पड़ता है। पर एक अच्छा, सच्चा और बेहतरीन खिलाड़ी जिन्दगी के हर खेल को चुटकियों में जीत लेता है।
अगर हम बात करें जीवन में आने वाले इन चरणों की तो पहला चरण माँ के दूध पीने से शुरू होता है, और बाप की उँगली पकड़ कर चलने पर खत्म हो जाता है। इस चरण में हमें सिर्फ प्यार ही प्यार मिलता है, ना जल्दी उठने की चिन्ता ना स्कूल जाने का डर, कभी भी खाओ कभी भी सो जाओ, बस यूँ समझ लो हमारा बचपन फूलों की तरह सहज होता है, और हर कोई हमें पलको पर बिठाकर रखता है, और बाँहों के झूले हमारे लिये हर पल तैयार रहते हैं।
दुसरा चरण बाप के काँधे पर बैठने से शुरू होता है और शरारत करने पर माँ की पिटाई पर खत्म होता है इसमें हमें खेलने कूदने की भरपूर आजादी मिलती है, हमारी हर जिद को पूरा किया जाता है और साथ ही शैतानी करने पर कभी कभी बाप से डाँट और माँ से पिटाई भी खानी पड़ती है। इस चरण में हर कोई टकटकी लगाए हमारी हरकतों और शैतानियों के लिये व्याकुल रहते है, हमारे मुँह से निकलने वाले तुतले शब्द हर किसी के लिये मनमोहक होते है। यही वो चरण है जिसमें लोग कभी हमारे मुँह से गालियाँ सुनना चाहते हैं तो कभी हमें नाचते गाते देखना चाहते हैं।
तीसरा चरण स्कूल में पहला कदम रखने पर शुरु होता है, और कालेज की आखिरी सीढ़ी पर खत्म हो जाता है, पर इस चरण में हर बच्चा स्कूल जा पाये यह कहना लाजिमी ना होगा। इस तीसरे चरण में हमें बहुत से अच्छे और बुरे अनुभवों का सामना करना पड़ता है, और साथ ही यही वो चरण है जो हमारे मन को भटकाता है। इस चरण के बाद ही हमारे जीवन के नये रास्ते खुलते हैं। यह रास्ते हमें अलग अलग मंजिल पर पहुँचने की राह दिखाते हैं। इस तीसरे चरण में ही दिखावा, छल, कपट, इश्क, यारी, दोस्ती, प्यार, मोहब्बत जैसे काँटे हमें रास्ता भटकाने की कोशिश करते हैं। अगर हमने इस तीसरे चरण को अच्छे से पार कर लिया तो समझो कि हमारी जिन्दगी की नींव एक विशालकाय मन्जिल के लियें तैयार है। पर ऐसा होता नहीं है, अधिकतर बच्चे इस तीसरे चरण में गलत रास्ता ही इख्तियार करते हैं, बीड़ि - गुटखा, सिगरेट-शराब, चोरी-डकैती, झूठ-फरेब और बाकी बचा कुचा लड़कियाों का चक्कर, हमें पाप रुपी अँधेरे कुएं में ऐसे धकेलता है कि सारी जिन्दगी सर पटकने पर भी हम उस कुएं से बाहर नहीं निकल पाते हैं।
चौथा चरण पत्नी के साथ सात फेरे लेने पर शुरु होता है और बच्चों की परवरिश की चिन्ता पर खत्म होता है। यह चरण हमें जिम्मेदारियों का एक अलग और अनुठा एहसास दिलाता है। जिसमें हमें माता पिता के जीवन में होने वाले दुख तकलिफों की चिन्ता भी रहती है पत्नि से प्यार मोहब्बत बरकरार रखने की चिन्ता भी रहती हैं, और बच्चों के भविष्य को सुधारने की चिन्ता भी रहती है। इसके साथ ही यह चरण हमारे लियें एक मिडिल पॉइन्ट भी है या फिर कहलो कि एक पड़ाव है, जिसमें हमें माँ बाप का भी प्यार मिलता है , पत्नि का भी प्यार मिलता है और साथ ही बच्चो का भी प्यार भी मिलता है। यह चरण हमें सपनो की दुनियाँ की तरह प्रतीत लगता है, जिसमें कुछ सुहावने तो कुछ डरावने मंज़र हमारी ज़िन्दगी में ख्वाबों की तरह आते हैं और कुछ पल ठहरकर हवा हो जाते हैं।
तो भइया इन सब के बाद बारी आती है आखिरी चरण यानी पाँचवा चरण की जो कि बुढ़ापे में चलने वाली दवाई गोली से शुरु होता है, और जीवन की अन्तिम साँस पर खत्म हो जाता है। इस चरण में यादों की परछाइयाँ हमारे मन से अटखेलियाँ करती हैं, कभी हमें हँसाती हैं तो कभी हमें रुलाती हैं। बुढ़ापे में उठने वाला हड्डियों का दर्द हर मर्द के हौसले ढीले कर देता हैं है। इस चरण में हमारी सभी क्षमताओं में निरन्तर गिरावट आती जाती है, और कभी कभी तो यह गिरावट इतनी बढ़ जाती है कि हमें लाचारी का अनुभव होने लगता है। प्रथम चार चरणों में किये गये अच्छे कर्म ही इस चरण में हमारे लियें उपयोगी और सहयोगी होते है।
अन्त में बस इतना ही कहना चाहूँगा कि अच्छा सोचिए, अच्छा कीजिए, अच्छा रहिए, अच्छा पहनिए, अच्छा खाइए सबकुछ अच्छा करने पर आपका जीवन हमेशा मंगलमय रहेगा।।