जीनत आपा की होली
जीनत आपा की होली
जीनत आपा यानि सब की आपा, गोरा सा रंग हिजाब से ढके बाल दीनो ईमान की तालिम देने वाली एक नेक खातून, हर दिल अजीज सबकी राह दिखाने वाली सफेद लिवास में ही नजर आती हम ने बचपन से ही इनको इसी लिवास में ही देखा हैं,बस बहुत ही खूबसूरत खातून,जो भी देखे कायल हो जाये मन होता था पुछूँ कि आप आम औरतो की तरह सजती काहे वहीं है काहे नही कोई आप की हवेली में दिखायी पड़ता है, पर छोटे से हम कभी साहस ही नहीं कर पाते थे बस जब भी जाऊँ तो गोदी में बैठा लेती फिर खूब लाड लडाती।कहाँनी सुनाती खिलाती पिलाती और माँ के हवाले कर देती।
एक दिन का वाकया है जब हमने कहिये विधाता ने सोच लिया के हमसे ही इनकी जिंदगी कुछ रंगदार कर दिया । हम हठ कर गये होली खेलेगें तो बस जीनत आपा के साथ हमको तो यह तक नहीं मालूम था कि ऐसा नहीं करना है यह सब हराम है हमने गुलाल लेकर उनकी गोदी में बैठकर बहाने से लगा दिया वह चौंक गयी हमने सोचा ना समझा रंग भी डाल दिया वह बहुत रोयी और बोली बिटियाँ यह कैसे किया ?
जिंदगी में पहली बार मार भी पडी, पर जीनत आपा घर आयी और वर भी रंग बिरगें लिवास में और हँसते हुये बोली कि तुमने हमको जीने का हौसला दे दिया और अहसास कराया कि मैं भी जी सकती हूँ यह दुनिया बहुत खूबसूरत है। वाकई में दुनिया बहुत खुबसूरत है बस देखने का नजारिया होना चाहिये।