जीने की वजह
जीने की वजह
"फिर देर अभिषेक! तुमसे कहा था ना करवा चौथ है आज! उस पर भी देर से आ रहे हो, जरा टाइम तो देखो क्या हो गया है?" राधिका अभिषेक के लिये घर का दरवाजा खोलते ही उस पर नाराज होते हुए बोली!
अभिषेक ने घड़ी देखी तो रात के 11 बज रहे थे!
"क्या करूं यार,तुम ही बताओ!" अभिषेक बैग कंधे से उतारकर सोफे पे रखते हुए बोला!
"कुछ मत करो एक तो छुट्टी के दिन बैंक जा रहे हो। और पता नही कहाँ गये हो? एक फ़ोन नही लग रहा तुम्हारा! मिन्नी की तबीयत खराब है! और इस नये शहर में जहाँ आये अभी महीने भर भी नही हुए है कहा डॉक्टर ढूंढती फिरती रही तुम्हे मालूम भी है! तुम्हे तो नौकरी से फुरसत नहीं!"
"तो क्या करूँ बताओ तुम, क्या करूँ?नौकरी छोड़ दूं? छुट्टी के दिन शौक नही है जाने का पर जाना पड़ता है! रिकवरी में जाना पड़ता है डेढ़ दो सौ किलोमीटर दूर! देर तो होगी न!नही जाऊंगा तो बॉस नाराज होता है! रात के ग्यारह बजे तक रोज काम करता हूँ पर फिर भी गालिया ही मिलती है! कर्मचारी नही हमें कामचोर समझा जाता है, और अब अगर तुम भी इसी तरह बात करोगी तो कैसे चलेगा!"
"ये नौकरी छोड़ देने की धौस मत दो! मुझे और मिन्नी के लिए कपड़े और खाने के लिए ही तुम्हारी नौकरी नही है बल्कि इस नौकरी के बाद के समय पर भी हम दोनों का हक़ है!"
"बस!अब बहुत हुआ , एक और शब्द नहीं!"
"यू आर होपलेस!" गुस्से से भरी राधिका सोती हुई मिन्नी को उठाकर उसे अपने साथ दूसरे कमरे में ले गयी!अभिषेक वही सोफे पर बैठकर सिगरेट के कश लेने लगा और रास्ते से खरीदी शराब की बोतल से शराब के घूंट पीने लगा!
"आई एम होपलेस? उसके दिमाग मे यही बाते चलने लगीं! यही शब्द तो उस प्रबंधक ने भी अभी आधे घंटे पहले फ़ोन पर कहे थे!काम का प्रेशर अब मुझसे नहीं सम्हलता, और न इन उच्च अधिकारियो के काम करवातरीका उनके शब्द -ये काम आज ही हो जाने चाहिये बाय हुक आर क्रूक! इंसान तो रह ही नही गये जैसे सुपरमैन हो चले हैं! क्या फायदा जीने का, इसी रवैय्ये पर एक दिन बीवी छोड़ ही देगी फिर किसके लिए कमाना! वैसे भी फिर से ट्रांसफर की धमकी मिली है चलो आज जिंदगी ही खत्म कर लेते है सारे झंझट सारे प्रेशर खत्म!"
नशे में लड़खड़ाते अभिषेक ने रस्सी ढूंढ ली कमरे का दरवाजा बंद किया और पंखे पर फंदा तैयार कर लिया एक कुर्सी पर चढ़कर गले पर फंदा डाल ही रहा था कि बगल के कमरे में मिन्नी के जोर-जोर से रोने की आवाज आ रही थी, अचानक जैसे अभिषेक किसी नशे से बाहर आया! कुर्सी से नीचे उतर कर अभिषेक दूसरे कमरे की तरफ भागा जहा से मिन्नी के रोने की आवाज आ रही थी! पर अंदर जाकर देखा तो मिन्नी और राधिका दोनों ही सो रही थी! अभिषेक हैरान था फिर ये किसकी रोने की आवाज थी? एक बार फिर से मिन्नी के चेहरे को देखा तो मासूमियत भरे उस छः महीने की बच्ची के सोते हुए चेहरे ने अभिषेक के दिमाग के सारे बुरे खयाल निकाल दिये!
