Find your balance with The Structure of Peace & grab 30% off on first 50 orders!!
Find your balance with The Structure of Peace & grab 30% off on first 50 orders!!

VIKAS KUMAR MISHRA

Drama Others

4.3  

VIKAS KUMAR MISHRA

Drama Others

हाँ, दबा देता हूँ!

हाँ, दबा देता हूँ!

2 mins
107


घर में शादी का माहौल था! ताई जी और कुछ अन्य महिलाएं आंगन में रखे चूल्हे में कुछ पकवान तल रहीं थी! वही बगल में रखे एक तख्त में बैठे फूफा जी उन सभी से ठिठोली कर रहे थे! एक तस्तरी में चाय के कुछ प्याले लेकर मैं उन सभी के पास पहुँचा! मुझे देख ताई जी बोली- "ए, ए हीरो सुने है तुम अपनी पत्नी के पैर दबाते हो!"

फूफा जी को जोर से हँसने का एक और मौका मिल गया!

बोले- "क्या? पैर दबाते हो मेहरारू के? राम राम! क्या हो चला है मर्द जात को आजकल!"

अब वहां सन्नाटा हो चला था, श्रीमती भी वहीं बैठी थी! कुछ लोगो की नजर उन पर तो कुछ की नजर मुझ पर थी!

"हाँ, दबा देता हूँ फूफा जी! क्यों आप ने कभी नही दबाया बुआ जी का पाँव?" मैं फूफा जी आंखों में देखते हुए बोला!

फूफा जी को जैसे इस सवाल का अंदेशा न था! तुनक कर बोले- "कभी नही!"

"अच्छा, तो कभी तो ऐसा होता होगा फूफा जी जब बुआ जी दर्द से तड़पती हों! अब बुआ के सास ससुर तो आएँगे नही उसका पैर दबाने क्या तब भी नही?"

फूफा जी चुप थे! और नजर दूसरी तरफ घूमा ली!

ताई जी की ओर देखते हुए मैं बोला "किसी के बंद कमरे के भीतर क्या होता है ताई जी इसका अंदाजा भला लोग क्यों लगाते हैं? एक दिन मैंने भी देखा था जब आपके सर में बहुत दर्द था! ताऊ जी आपका सर दबा रहे थे!"

"हाँ, तो सर और पैर में फर्क होता है!" कहते वक़्त ताई जी का चेहरा तल रहे पकवान की ही तरह लाल हो चला था!

"क्या फर्क होता है क्या पैर पत्नी के शरीर के अंग नही हैं? सुबह से लेकर रात तक बगैर रुके वो मेरा, बच्चों का, घर का काम देखती है और रात में जब उसके पैरों में असहनीय पीड़ा हो तो उसके पैर दबाने से क्या इंसान नामर्दो की श्रेणी में गिना जाता है?" 


Rate this content
Log in

More hindi story from VIKAS KUMAR MISHRA

Similar hindi story from Drama