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VIKAS KUMAR MISHRA

Comedy Drama

4.8  

VIKAS KUMAR MISHRA

Comedy Drama

लंदन वाली फ़ाइल

लंदन वाली फ़ाइल

3 mins
559


बरसात की एक सुनसान रात। करीब ग्यारह का वक़्त। सड़कों के किनारों के छुटपुट गढ्ढे, बरसाती पानी से खुद को तालाब समझ बैठे थे। टर्राते मेढको और झींगुर की आवाज के साथ-साथ सड़क पर मेरे जूतों के खटपट की जुगलबंदी जारी थी।

पर ऐसा लगता जैसे कि पीछे कोई चला आ रहा है।पर जब पीछे मुड़कर देखता, तो कोई भी नजर नही आता। एक दो बार तो लगा कि वहम होगा। पर अब जैसे वहम यकीन में बदल चुका था। इस बार रुका और मोबाइल फ़ोन के टार्च से देखा तो नीचे जमीन पर कुछ नजर आ रहा था। आवाज आई- "हेलो"।

हेलो, पर कौन हो तुम।

मैं फाइल हूँ।

फाइल हो ? कौन से फाइल ? 

मैं कोर्ट से गुमा फाइल हूँ ?

अरे। तुम तो वही हो न जो सुबह से समाचार चैनलों पर छाए हुए हो ? 

हा मैं वही हूँ।

तो तुम यहाँ क्या कर रहे हो भाई, सुबह से टीवी वाले ढूंढ रहे हैं तुम्हें।जाओ, वापस जाओ।

मैं गुमा कहाँ हूँ सर जी। मुझे तो गुमाया गया है।

क्या मतलब ?

मतलब सर जी मेरे अंदर कुछ ऐसे पन्ने हैं जिसे अगर जज साहब पढ़ ले तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाये। लेकिन कुछ लोग चाहते है कि जनता को पानी मिला दूध ही पिलाया जाए। इसलिए मुझ पर हमला किया गया।और हमारी बस्ती में यानी कि हम जहाँ रहते है वहाँ आग लगा दी गईं।मेरे बाँकी के फाइल वाले तो जल गए। बस मैं बच गया और इसलिये मैंने प्रतिज्ञा ली है कि मैं उन सब की मौत का बदला लूँगा।

लेकिन वो लोग तुम पर हमला कैसे करा सकते हैं। जब से तुम गए हो सभी दुखी है। तुम्हारी गुमशुदगी की रिपोर्ट भी डाली है देखो मोबाइल पर देखी मैंने, लिखा है "हे काली फाइल, तुम जहाँ भी हो सही सलामत लौट आओ। कोई तुमसे सवाल नही करेगा कि तुम कहाँ और क्यों गए ? तुम्हारी याद में आधी जली बड़ी आलमारी का रो-रोकर बुरा हाल है। जल्दी लौट आओ" 

सब फरेब है सर जी, काहे का प्यार। दुख तो इस बात का है कि उन्हें मेरा रंग भी नही मालूम, कि मैं काला नही बल्कि नीले रंग का हूँ।

क्या बात कर रहे हो पर मुझे तो तुम काले ही दिख रहे हों।

वो तो धूल जमीं है सरजी। जरा एक कपड़ा मार कर तो देखिए। 

कपड़ा मार कर देखा तो वो सच मे नीला था। "अरे तुम तो वाकई नीले हो।"

फाइल अब रुआंसा हो चला था। बहते आंसुओं के साथ बोला "कितनी हसरत पाली थी हम सबने, के इतने सालों के बाद आखिर जज साहब हम लोगो को देखेंगे।अपराधी सलाखों के पीछे होंगे।पर हमारी उम्मीदों को मिला तो गेलन भर मिट्टी का तेल। और माचिस की तीली ?" 

फाइल को ज़मीन से उठा उसके कंधे पर हाथ रख उसे दिलासा देते हुए मैंने कहा- "क्या करोगे मेरे भाई, यही दुनिया है मेरे दोस्त।"

अपने आँसू पोछते हुए फाइल ने कहा- "सरजी आप मेरा एक काम करेंगे ?"

बिल्कुल, बताओ क्या करना है ?

मुझे उस जज के पास ले चलेंगे ?

हां,बताओ कहाँ रहते हैं जज साहब ?

चलिए मैं बताता हूँ। 

हाथ में फाइल को रखे मैं जज साहब के निवास तक पहुच गया। जज साहब अपनी सफेद अम्बेसडर में बैठ ही रहे थे कि मैने आवाज दी "जज साहेब ये फाइल आप से कुछ कहना चाहती है।"

जज साहब मेरी ओर घूमें और अपनी घरघराहट भरी आवाज में बोले "एहह, कौन सी फाइल ?"

फाइल बोला "मैं वो लंदन वाले कि फाइल, कल जिसकी सुनवाई है।"

जज साहब अम्बेसडर के अंदर बैठेते हुए बोले "अब क्या फायदा, मेरा तबादला हो गया है।"

फाइल उदास हो गया बोला "एक बार देख लीजिए, कम से कमआप तो सच जान जाएंगे।"

"तुम्हारे सच का अब मैं क्या करूँ। नए जज को बताना चलो ड्राइवर।" खन्न और जुम की आवाज के साथ ही सफेद पर्दों वाली, सफेद गाड़ी में, सफेद कुर्ता पहने जज साहब वहाँ से निकल गए।मैं और फाइल एक दूसरे का मुँह ताकते रहे। 

"सरजी मेरा एक और काम करेंगे ?" फाइल बोला ।

हा बोलो।

"सरजी मुझे आग ही लगा दीजिए।"


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