VIKAS KUMAR MISHRA

Others

5.0  

VIKAS KUMAR MISHRA

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"मिस्टर ग्रीन!"

"मिस्टर ग्रीन!"

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लकडियो को रंदे से छीलने की आवाज आ रही है! छीलन जमीन पर गिरती जाती और हर बार लकड़ी की चमड़ी और चिकनी और गोरी होती चली जाती है! कुछ ही देर में कॉफिन बनाने वाले ने कॉफिन तैयार कर ली थी! इस गाँव मे चर्च के पास कॉफिन बनाने वाली उसकी एक मात्र दुकान थी! छोटा सा गाँव है इसलिये कभी कभार ही उसे कॉफिन के खरीददार मिलते, इस लिए उसे लगता कि एक कॉफिन का स्टॉक ही उसके लिए काफी है! उसे मालूम भी नही था कि अगला खरीददार उसे कब मिलने वाला है! रात काफी हो चली थी सोने से पहले कॉफिन बनाने वाला अपनी रात की शराब की आखिरी किश्त हलक से नीचे उतरता है और भीतर कमरें में आकर सो जाता है!

नींद खुलते ही उसकी नजर जब घड़ी पर पड़ती तो देखा के सुबह के नौ बजे चुके थे! अपनी आंखें मींचते वह उठा और हर रोज की तरह शराब के सेवन से ही अपने दिन की शुरआत की! बाहर बरामदे में आकर देखा, जहाँ वह कॉफिन बनाता था वहाँ उसे किसी चीज की कमी महसूस हो रही थी! वो कॉफिन जिसे वो देर रात बनाकर सोया था वो गायब थी! उसने घर भीतर एक कर दिए उसे ढूँढने में पर कॉफिन कहीं नहीं दिखी! बाहर सड़क पर काम कर रहे एक सफाई वाले से उसने पूँछा- "कल रात मैंने एक कॉफिन बनाई थी पर आज वो गायब है तुमने कहीं देखी क्या!"

जवाब मिला- "कैसी बातें करते हो चाचा! भला कॉफिन का मैं क्या करूँ। हां ,इस पगला से पूछो ये पेड़ों से खूब बात करता है शायद इसे बताकर कहीं गयी हो! क्यों रे पगला बेवड़ा चाचा की कॉफिन कहीं देखी तूने?" वो सफाई कर्मी कॉफिन बनाने वाले और उस पागल दोनों का ही मजाक उड़ाते हुए बोला!

आधे कपड़ो में किसी अंग्रेज की तरह लाल मुंह वाला वह पागल अपने दस दाँत दिखाते हुए बस मुस्कुरा दिया!

'भला वो पागल क्या जानेगा?" कहकर कॉफिन बनाने वाले के दिमाग मेम जाने क्या सूझा वो अपना फटा कोट पहनकर कब्रिस्तान की ओर चल पड़ा! छोटा सा गाँव था, उसे वहाँ कितने कब्र थे मुँह जबानी याद थे! पर आज जैसे उसे एक कब्र नई दिख रही थी! जिसके क्रॉस पर उसे "मिस्टर ग्रीन" नाम लिखा दिख रहा था!

"हो न हो किसी ने मेरा ही बनाया कॉफिन चुराया है!" ये शक उसके दिमाग में घर कर गया!

"पर इस नाम का कोई भी व्यक्ति तो गाँव में नहीं है!"वह खुद से बात करते हुए बोला!

वहाँ से कॉफिन बनाने वाला सीधे चर्च गया पर पादरी वहाँ नही थे! उसे लगा कि शायद गाँव के लोग ही उसे कुछ जानकारी दे पायें! गाँव के सरपंच जो इस वक़्त पंचायत में बैठे कुछ पंचो के साथ किसी मुद्दे पर बात कर रहे थे, उनके पास पहुचकर कॉफिन बनाने वाला बोला!

"सरपंच जी गांव में किसी की मौत हुई है क्या?"

"मौत नहीं तो! पर क्यूँ?" सरपंच जी कॉफिन बनाने वाले के चेहरे को देखते हुये बोले!

क्योंकि कब्रिस्तान में एक नई कब्र बनी है जिस पर मिस्टर ग्रीन लिखा हुआ है। पर इस नाम का कोई भी व्यक्ति हमारे गांव में तो नहीं है?

"कोई पड़ोस के गाँव का होगा! इतना परेशान क्यूँ होते हो?" सरपंच जी कहकर फिर से सामने रखी कागज पर कलम चलाने लगे!

"सरपंच जी बात वो नहीं है दरसअल कल रात ही मैने एक कॉफिन तैयार की थी वो गायब है!"

"अच्छा! कॉफिन बनाई भी थी तुमने या नहीं ? या फिर शराब के नशे में तुमने किसी को बेच दी होगी और तुम्हे याद नही होगा! नसेड़ी भी तो ठहरे तुम एक नंबर के!" उनमे से एक पंच ने जवाब दिया!

"ओ कॉफिन बनाने वाले, अभी और भी मुद्दे हैं जिनके बारे में मुझे सोचना है! तुम ये कॉफिन की बात भूल जाओ, हां दारू के लिए अगर कुछ पैसे कम पड़ रहे हो तो बताओ!" कहकर सरपंच जी ने पचास का नोट उसकी तरफ बढ़ाया!

कॉफिन बनाने वाले ने उस नोट को जेब मे रख लिया! और दबी आवाज में बोला "सरपंच जी बात वो नहीं है पर अचानक कॉफिन ही क्यों गायब हुई जबकि गाँव में कभी कोई और चीज चोरी नहीं होती! क्यों न एक बार वो नई बनी कब्र खोदी....!"

"क्या पागल हो गए हो तुम?" सरपंच गुस्से में उसे बीच मे रोकता हुआ बोला! चल भाग यहाँ से!

कॉफिन बनाने वाला वहाँ से वापस चला गया! रास्ते में उसने उस पचास रुपये की शराब खरीदी, और उसके दो घूँट पीकर बोतल कोट की जेब मे डाल ली!

"उफ़्फ़ क्या मैं इतना शराब पीने लगा हूँ कि मुझे याद नहीं कि मैंने कॉफिन बनाई या नहीं या फिर किसी को बेच दी?

खैर जो भी हो पर अब उसके पास कोई नई कॉफिन नहीं बची थी इसलिए उसे कम से कम एक कॉफिन तो तैयार रखनी थी! वह फिर से जंगल जाकर लकड़िया काट लाता है! और दो दिन के भीतर ही वह उन लकड़ियों को कॉफिन का रूप दे देता है!और एक बार फिर अगली सुबह उसकी बनाई कॉफिन फिर गायब हो जाती है! कॉफिन बनाने वाला कब्रिस्तान का रुख करता है जहाँ उसे आज फिर एक नई कब्र दिखती है!और जिस के क्रॉस पर फिर से मिस्टर ग्रीन ही लिखा होता है! कॉफिन बनाने वाला चर्च जाता है जहाँ पादरी से मिलकर उन्हें सारी कहानी सुनाता है!पादरी उसके साथ कब्रिस्तान आते हैं जहाँ दो कब्रो पर मिस्टर ग्रीन लिखा होता है! उन्हें भी हैरानी होती है कि ऐसे किसी मुर्दे को यहाँ दफनाने की क्रियाविधि तो नही हुईं!

"मैंने ये बात सरपंच जी को बताई थी फादर पर उन्होंने मेरी बात नही मानी!" कॉफिन बनाने वाले ने कहा!

"एक काम करते हैं सरपंच जी को बुलाते हैं!"पादरी ने कहा!

थोड़ी ही देर में सरपंच पंचो के साथ कब्रिस्तान आ पहुँचे थे!.

सभी उन दोनों कब्रों के सामने खड़े थे कॉफिन बनाने वाला बोला-

"सरपंच जी कल फिर मेरी बनाई हुई कॉफिन चोरी हो गयी!और आज फिर एक और कब्र मिस्टर ग्रीन के नाम की!"

"हम्म... पर फादर गांव में किसी भी व्यक्ति की मौत नही हुई है, कोई पड़ोस के गांव से तो नहीं मरा?" सरपंच जी पादरी की ओर देखते हुए बोले!

"मुझे तो ऐसी कोई खबर नहीं और न ही किसी को दफनाने की क्रियाविधि मैंने कराई है!" पादरी ने जवाब दिया!

"फिर क्या ये लाशें खुद ब खुद दफन हो गयीं ?क्यों न हम पुलिस को बुलायें?" कॉफिन बनाने वाला बोला!

"पागलों के जैसी बातें मत करो कॉफिन बनाने वाले! पोलिस के आने पर सबसे ज्यादा दिक्कत हम लोगो को ही होनी है! क्योंकि और किसी को इसकी खबर नहीं! गड़े रहने दो इन लाशों कों यही जबतक कोई कुछ पूछ ताछ करने नहीं आता?" सरपंच जी कॉफिन बनाने वाले पर झिड़कते हुये बोले!

"पर यहाँ लाश ही गड़ी है ये कोई कैसे मान ले सरपंचजी! कुछ और भी तो हो सकता है?क्यों न एक बार हम इन कब्रों को खोदकर देखें?" कॉफिन बनाने वाले ने कहा!

"ए बेवड़े कैसी बात कर रहा है?" वहाँ मजूद एक पंच ने कहा!

"ठीक कह रहा है ये हमें कब्र खोद कर देखना चाहिये!" पादरी ने कहा!

"ठीक है फादर अगर आप कहते हैं तो! लेकिन अभी नही रात में! और ये बात हम आठ लोगों को ही मालूम होनी चाहिए बस!" सरपंच जी ने कहा!

सब इस बात पर राजी हुए और चले गये!

आधी रात को सभी एक-एक करके उस कब्रिस्तान में जमा हुये!

"ए बेवड़े ये फावड़ा ले और खोद!" सरपंच जी ने कॉफिन बनाने वाले से कहा!

"कैसी बात कर रहे हो सरपंच जी! मैंने गले तक शराब पी रखी है! मैं वहाँ बैठता हूं आप लोग खोदिये, जब कॉफिन दिखने लगे तो बताइयेगा मुझे तो बस ये देखना है कि वो कॉफिन मेरा ही है या नही!" कहकर कॉफिन बनाने वाला दूर एक पेड़ के नीचे जाकर बैठ गया!

सरपंच और उनके साथ मौजूद लोगों ने कब्र खोदना शुरू किया और दोनों ही ताबूत थोड़ी देर में कब्र खोद कर निकाल लिए गये!

"अरे ये तो मेरे ही बनाये कॉफिन है! फादर देखिए मैंने ही बनाया था इन्हें!" कॉफिन बनाने वाला नशे की हालत में बोला!

" सरपंच जी कॉफिन खोलिये!" पादरी सरपंच की ओर देखते हुए बोले!

दोनों कॉफिन खोले गये पर उनमें जो लाशें थी वो पहचाने जाने के काबिल नही थी! हाथ-पैर, सर-धड़ सबकुछ अलग कटा रखा था! सरपंच जी फादर की ओर देखते हैं और बोले- "फादर ये लाशें तो नहीं पहचानी जा सकतीं !"

"तो क्या पुलिस को बुलायें ?" कॉफिन बनाने वाले ने कहा!

"नहीं ये मर्डर है और हमारे गाँव के कब्रिस्तान में दफ्न हैं! पुलिस हमें ही परेशान करेगी! और कॉफिन बनाने वाले मत भूल के ये कॉफिन तेरे ही हैं! इसलिए फादर मुझे लगता है जब तक कोई नहीं पूछता हमें ये कॉफिन ऐसे ही दफन रहने देना चाहिये!"

पादरी कुछ देर सोचने के बाद बोले- "आप ठीक कहते हैं सरपंच जी!अब इन लाशो का जिक्र कोई भी नहीं करेगा! सरपंच जी इन लाशों को पहले की ही तरह दफना दीजिये!"

दोनों लाशों को दफ्न कर के सभी वहाँ से चले गये! गांव में इन लाशो का जिक्र किसी और से न हुआ! कॉफिन बनाने वाले ने एक और कॉफिन बना ली और अब वो कॉफिन को एक बंद ताले वाले कमरे में रखता था!

आज रात फिर कॉफिन बनाने वाले ने खूब शराब पी और सो गया! रात को दरवाजे पर हो रही दस्तक ने उसकी नींद खोल दी! नशे की हालत में लड़खड़ाते वह दरवाजे की ओर बढ़ा! दरवाजा खोल कर देखा तो सामने पगला अपने दोनों हाथ पीछे किये हुए खड़ा था! "अरे पगला तू ? इस वक़्त? देख खाने के लिए तो मेरे पास तो कुछ नहीं बचा! हा कुछ पीना हो तो आजा मैं भी तेरे साथ थोड़ा सा पी लूँगा!"


कहकर कॉफिन बनाने वाला मुड़कर लड़खड़ाते हुये वापस अपने कमरे की ओर बढ़ने लगा! तभी जैसे उस पर एक बिजली सी गिरी हो। दर्द में वो अपनी पूरी ताकत से चीखा! और अपने बायें हाथ से अपने दाये हाथ की बाँह पर हाथ रखता है! पर दाया हाथ तो कटकर ज़मीन पर गिरा था। और कटे बाँह से खून की धार जमीन पर गिर रही थी। पीछे मुड़कर देखा तो पगला अपने हाथों में कुल्हाड़ी लिए हुए खड़ा था। और इससे पहले की कॉफिन बनाने वाला कुछ कहता अगली कुल्हाड़ी से उसके बायें हाथ पर वार करता है और बायें हाथ का भी वही हश्र! कॉफिन बनाने वाला जमीन पर गिर गया! बेहोशी से पहले कॉफिन बनाने वाले के कानों पर जो बात सुनाई दे रही थी वो थी "अब पता चला के पेड़ो को भी कितना दर्द होता होगा!कभी महसूस किया है? मैंने किया है वो मुझसे बात करते हैं ! अपना दर्द मुझे बताते हैं !कब्रिस्तान में दफन वो लाश जानता है किसकी है? पास के गाँव मे व्यक्ति जो की बढ़ई का काम करता था! और दूसरी एक औरत थी जो जलाने वाली लकड़िया बेचा करती थी! तुम सब निर्दोष, जीवित पेड़ पौधों को काटते हो! इसलिए तुम्हारी भी वही दशा होगी! और मैं करूँगा!"

कहकर पगला जोर से चिल्लाता है और कुल्हाड़ी के अगले वार से कॉफिन बनाने वाले की छाती लहू लुहान कर देता है! लाश के कई टुकड़े करके उसे एक बोरी में भरकर उसे बगल के कमरे में रखे कॉफिन में रख देता है!

और बाहर उसी सफाई वाले को आवाज देता है! दोनों उस कॉफिन को ले जाकर कब्रिस्तान में दफना देते है! और उस कब्र के क्रॉस पर लिखा होता है! "मिस्टर ग्रीन!"


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