जिद्दी भगवान
जिद्दी भगवान
भगवान की लीलाऐं भी बहुत विचित्र और निराली होती हैं जिन्हे समझना और जानना एक टेड़ी खीर के सामान है, अगर माँग ले हम भगवान से कभी दुआओं में अपने लिये सौ का नोट तो भगवान को नजर आता है हमारे अन्दर बहुत बड़ा खोट और उस नोट मिलने की फरियाद को भगवान ऐसे रद्द करता है जैसे किसी अगुँठा छाप ने कलेक्टर की नौकरी माँग ली हो, और यदि जोखिम का काम करते वक्त भूले से हमारे मुँह से यह निकल जाए कि हे भगवान कहीं हमारे चोट ना लग जाए तो तुरन्त ही टूट जाती है हमारी टाँग की हड्डी और कभी फट जाता है हमारा होठ और शादी के लिये यदि हम भगवान से सुन्दर कन्या की माँग कर लें तो सुन्दरता को छोड़कर बाकी सबकुछ मिलेगा, और जो लोग चाहते हैं कि है भगवान हमारी तो बस जैसे तैसे शादी ही हो जाये तो उनके लिये इतने हसीन नगीने मिलते हैं जैसे उन्होने सौ साल की तपस्या करके भगवान से वरदान में उसे माँगा हो।
परीक्षा के समय दिन-रात भगवान से फरियाद करने के बावजूद भी रिजल्ट में कुछ लोगो के 35% परसेन्ट से उपर नहीं आते हैं, और उन नास्तिकों के 90% तक आ जाते है। जिन्होंने कभी मन्दिर के सामने हाथ तक भी ना जोड़े हो। बेटों की अन्धी चाह में ना जाने कितने ही लोगों ने दस दस बच्चों को जन्म दे दिया पर भगवान उनकी एक नहीं सुनता और ऐसे लोगों के घर में बेटियों की लाइन लग जाती है, भले ही घर में खाने को ना हो, और एक बेटे के बाद में जो भगवान से एक बेटी माँगते हैं उनके घर में फिर से बेटा ही आता है। जिन्होंने दुआओं में भगवान से कभी गर्लफ्रेंड का जिक्र तक ना किया हो उन काले पिले लड़कों की चार चार खूबसूरत गर्लफ्रेंडे होती है जो मन्दिर के सामने बैठकर सिगरेट पीते हैं और गुटखा खाते हैं वो नशेड़ी कभी उन्हे पार्क ले जाते हैं तो कभी मॉल में मूवी दिखाने ले जाते हैं, और जो और जो बेचारे गर्लफ्रेंड के लिए कभी शुक्रवार का और कभी शनिवार का व्रत रखते हैं उनको लड़की का चेहरा भी ठीक से शादी के बाद ही देखने को मिलता है। कभी कभी तो ऐसा लगता है जैसे भगवान जिद करके बैठा है कि बेटा जो भी तू मुझसे माँगेगा वही तुझे नहीं देना बदले में अपनी तरफ से चाहे कुछ भी दे दूँ और भगवान की ऐसी जिद भरी लीला देखकर तो मुझे ऐसा ही प्रतीत होता है जैसे भगवान का अभी बचपना खत्म ही नहीं हुआ है। और मासूम बच्चों की तरह वो अपनी जिद पर अड़ा रहता है ।