Dipesh Kumar

Abstract Others Tragedy

4.7  

Dipesh Kumar

Abstract Others Tragedy

जब सब थम सा गया (पाँचवा दिन)

जब सब थम सा गया (पाँचवा दिन)

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186


लॉक डाउन पाँचवा दिन

29.03.2020


प्रिय डायरी,   


आज की सुबह बड़ी अच्छी लग रही थी क्योंकि मैं सुबह सुबह सपना देख रहा था कि जल्दी ही यह सब ठीक हो जायेगा और हम सब वापस अपने काम की और चल पड़ेंगे। लेकिन जल्द ही नींद खुल गयी और जब आँखे खोलकर देखा तो हँसने लगा। मैंने सोचा क्या सपना था,लेकिन प्राथना तो यही कर रहा था कि ये 21 दिन के लॉक डाउन के बाद अच्छी खबर मिले और सब वापस ठीक हो जाये। सुबह 7 बजे तक नहाने के बाद मैं पूजा करके माँ दुर्गा से यही प्राथना कर रहा था कि सपना सच हो जाये जल्दी क्योंकि अमीरो का तो पता नहीं पर गरीब बेचारे भूख से ज्यादा दिन लड़ नहीं पाएंगे।


खेर मैं पूजा समाप्त करने के बाद अपने कमरे में आया और मोबाइल उठा कर देखा तो व्हाट्सएप्प पर एक सन्देश ने सच में सोचने पर मजबूर कर दिया उस संदेश में ये लिखा था कि जो भी अभी हो रहा हैं ये सब मनुष्य की इच्छा ही तो थी,उसको पढ़ने के बाद मैंने सोचा की जिसने भी लिखा बहुत खूब लिखा। फिर में कुछ समाचार देखने लगा ,समाचार क्या बस वही कोरोना प्रकोप और मजदुरो का पलायन। ये सब देखते देखते मैंने कुछ समय के लिए मोबाइल को स्विच ऑफ कर दिया,और कमरे से बहार निकल कर आँगन मैं चला गया। आँगन में मेरी माँ और चाचीमाँ बैठी थी साथ मैं मेरी बहन बीना मेरी भांजी नायरा को नहलाकर तैयार कर रही थी। मैने पूछा नायरा बेटा कहा जा रही हो बच्ची ने कहा मामा घुम्ममी करने,पर उस बच्ची को क्या बताऊँ की लॉक डाउन के चलते उसको कही घुमाने नहीं ले जा सकते हैं।

लेकिन बच्चों के जिद के आगे कुछ नहीं कर सकते तो मैंने एक उपाय लगाया। कार खोला और उसको लेकर बैठ गया और गाना चालू करके गाडी स्टार्ट की और गाडी का हॉर्न बजाय बस इतने मैं वो मान गयी। कुछ देर उसके साथ कार में खेलने के बाद हम बहार निकले। उसके बाद में कमरे में आ गया। आज मेरे साथ मैं काम करने वाले मित्र विजय जी, जो अब रेल्वे में काम करते हैं उनका जन्मदिन हैं। पिछले वर्ष हम सबने मिलकर उनका जन्मदिन मनाया था। लेकिन इस साल ये संभव नहीं था। मैंने उनको व्हाट्सएप्प के जरिए संदेश देकर बधाई दी और ये तय किया गया कि ग्रुप के चारो लोग वीडियो कॉल करके बधाई देंगे। जिसके लिए हमने 1 बजे का समय निर्धारित किया। ठीक समय पर मैं,विजय जी,शुभम जी और हमारे बड़े ही प्रिय साथी विक्रम जी वीडियो कॉल पर एक साथ विजय जी को बधाई दी और कुछ देर बाते हुई। लगभग 20 मिनट के बातो के बाद सबने सब चीज़ सही हो जाने के बाद विजय जी से पार्टी के लिए निवेदन किया। विजय जी दिलदार आदमी उन्होंने भी कहा बिलकुल।


1:30 बजे मैं वापिस अपने पास मैं पड़ी किताब जो की मेरे पाठ्यक्रम की थी उसको पढ़ने लगा। लगभग 4 बजे मेरी प्यारी बहन प्रियांशी मुझे कैरम खेलने के लिए बोलने लगी ,मैंने भी उसको मना नहीं किया और कुछ देर तक कैरम खेल जल्द ही शाम हो गयी। फिर माता रानी और मंदिर की आरती समाप्त करके हम सब दादी जी के कमरे में एकत्रित हुए और कुछ पुरानी बातें करने लगे। बातो मैं पिताजी एवं चाचाजी अपने बचपन के किस्से बताने लगे जिनको सुनकर हम बड़ा आनंद ले रहे थे। भारत मैं लोग अक्सर अंधविश्वास पर ज्यादा ध्यान देते हैं और मेरी माता जी हमारे घर में सबसे ज्यादा इन चीज़ों को मानती हैं। लेकिन हम उनके अक्सर बोल देते हैं कि ये सब क्या करती रहती हो कुछ नहीं होता इन सब से लेकिन माँ हैं बच्चो और परिवार के लिए कुछ भी कर सकती हैं। दरहसल मेरी बहन को किसी ने बताया कि नवरात्र चल रहे हैं और सभी सुहागिन औरतो को परिवार की सुख शांति के लिए लाल साडी कल पहननी हैं। मैंने कहा अजीब बात हैं लाल साडी से सुख शांति और हंसते हुए हम सभी ने फलहार करने के बाद अपने कमरे में चले गए । मैं भी 10 बजे के लगभग अपने कमरे में आया और कोरोना की ताजा आंकड़ा देखने लगा । संख्या बढ़ ही रही थी और मैं बस सब ठीक होने की प्राथर्ना। बस यही चीज़ मेरे बस मैं थी। थोड़ी देर बाद दिन भर की जानकारी और सबका हालचाल लेने के लिए जीवन संगिनी जी का फ़ोन आया। बात खत्म करने के बाद मैंने कुछ देर पढाई की और फिर अपनी कहानी जिसकी अब धीऱे धीरे आदत सी पड गयी थी लिखने लगा। 12 बजे मैं सो गया।

लेकिन सोते वक़्त मैं यही सोच रहा था कि कल मैं कोई सिनेमा देखूंगा क्योंकि अब कोई प्रेरणादायक सिनेमा देखना मनोरंजन के लिए जरूर हैं और मैं सोचते सोचते सो गया।



इस तरह लॉक डाउन का पांचवा दिन भी खत्म हो गया। लेकिन कहानी अभी अगले भाग में जारी रहेगी..........💐


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