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Saroj Verma

Romance

3  

Saroj Verma

Romance

इत्तेफाक...

इत्तेफाक...

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एक फाइव स्टार होटल की लॉबी__

  समीरा के फोन पर कोई फोन आया, उसने रिसीव किया, कुछ बात की फिर फोन ऑफ करके अपना बैग उठाकर बाहर की ओर निकल पड़ी।

    तभी बाहर से आ रहे किसी व्यक्ति ने उसे टोका....

समीरा...समीरा... यहां कैसे?

    समीरा ने दिमाग पर ज़ोर डाला, कुछ देर सोचने के बाद उसने फिर उस व्यक्ति को गौर से देखा और बोली___

   अरे, आकाश तुम!!इतने सालों बाद, मुझे तो अपनी आंखों पर भरोसा ही नहीं हो रहा, समीरा बोली।

   हां, मैंने भी तुम्हें देखा तो मुझे भी यही लगा था कि तुम यहां कैसे? आकाश बोला।

   मैं तो यहां एक मीटिंग के लिए आई थी, फोन आया कि मीटिंग कैंसिल हो गई इसलिए वापस जा रही थी, समीरा ने आकाश से कहा।

    अच्छा और मैं इस शहर में बिजनेस के सिलसिले में आया था बस, दो तीन दिनों से इसी होटल के कमरे में रह रहा हूँ, चलो मेरे रूम में चलकर बैठते हैं, आकाश बोला।

ठीक है, तो चलो, समीरा बोली।

समीरा और आकाश रूम में पहुंचे__

    आकाश ने समीरा से पूछा, चाय या कॉफी।

  चाय!! वो भी अदरक वाली, समीरा ने कहा।

  समीर ने रूम के फोन से दो चाय आर्डर की फिर बोला और बताओ कैसी हो?

   मैं ठीक हूं!! और तुम बताओ कैसे हो, शादी की या नहीं, समीरा ने आकाश से कहा।

   बस, ठीक हूं, शादी भी हो चुकी है, दो बेटियां हैं, अब तुम बताओ ,आकाश बोला।

   मेरी भी शादी हो गई हैं, एक बेटा और एक बेटी है, समीरा बोली।

फिर आकाश बोला___

   पता है कितने साल गुजर गए, पूरे इक्कीस साल बाद मिली हो तुम, पता है, वो ट्यूशन जाना, तुम तब दो चोटियां बनाती थीं, याद है, सब, आकाश बोला।

    हां, याद है, सब याद है, कैसे भूल सकती हूं, बारहवीं में ही तो थे हम दोनों, जब हम लोग ट्यूशन पढ़ने बैठते थे तो तुम्हारी नज़रें मेरी ओर ही तो होतीं थीं हमेशा, मैं हमेशा नोटिस किया करती थीं, समीरा बोली।

   तो तुम नोटिस किया करतीं थीं और मुझे लगता था कि तुम मुझे देखती तक नहीं हो, लेकिन साथ पढ़ने वाले लड़के मुझे तुम्हारा नाम लेकर छेड़ा करते थे, आकाश बोला।

    पता है आकाश, जो चिट्ठी तुमने मेरे लिए लिखीं थीं, वो चिट्ठी ट्यूशन में फर्श पर गिरी हुई मेरी सहेली मीरा को मिली थी, उसने मुझे देकर कहा, देख तेरे दीवाने की है, समीरा बोली।

     अच्छा! तो वो चिट्ठी तुम्हें मिल गई थी और मैं सोच रहा था कि वो चिट्ठी कहीं खो गई या गिर गई, आकाश बोला।

     पता है, मैंने तुम्हारा कॉलेज में भी इंतजार किया कि शायद तुम इजहार करोगे लेकिन तुमने कॉलेज में भी तीन साल निकाल दिए और फिर भी इजहार नहीं किया और ना ही कभी बात की फिर मेरे लिए अच्छे घर से रिश्ता आया और मैंने शादी के लिए हां कर दी और तुमसे शादी का सपना नैनों में सपना बनकर ही रह गया और आज मिले हो तुम, इतने अरसे बाद, इतना कहते हुए, समीरा की आंखें भर आईं।

       कैसे इजहार करता? गरीब घर से जो था और फिर बाद में पढ़ा लिखा बेरोजगार, कुछ भी नहीं था मेरी मुट्ठी में ना पैसे ना नौकरी और जब नौकरी मिली तब तक तुम किसी और की हो चुकी थी, इतना कहते-कहते आकाश की आंखें छलक पड़ी, मेरा भी तो तुमसे शादी का सपना नैनों में बस सपना बनकर ही रह गया।

     समीरा भी रोते हुए आकाश के गले लग गई, दोनों जी भर के एक दूसरे के गले लगकर रोए ,आकाश ने समीरा के माथे को चूमा तब तक किसी ने दरवाज़ा खटखटाया, शायद चाय आ गई थीं।

   दोनों ने चाय पी फिर समीरा ने कहा__

अच्छा, अब मैं चलती हूं, अपना फोन नंबर तो दे दो।

   आकाश ने कहा नहीं, तुम अपने परिवार में खुश रहो और मैं मेरे परिवार में खुश हूं, इस खूबसूरत पल को बस हमेशा के लिए दिल में कैद कर लो, मेरे और तुम्हारे नैना बस ऐसे ही सपनों से भरें रहने चाहिए , ये हमारी आखिरी मुलाकात थी वो भी इत्तेफाक वाली।

 



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