ईश्वर को धन्यवाद(लघुकथा)
ईश्वर को धन्यवाद(लघुकथा)
अचानक तेज झटके से देवयानी की नींद खुल गई गाड़ी अनूप चला रहे थे और अचानक रोड ऊबड़-खाबड़ आ गई थी। देवयानी और अनूप सुबह 4:00 बजे ही निकल पड़े थे क्योंकि घर से जोधपुर का रास्ता लंबा था और अनूप हमेशा दिन में ही गाड़ी ड्राइव करना पसंद करते थे इसलिए शाम से पहले पहुंचना चाहते थे। देवयानी ने चिढ़ कर घड़ी में देखा 7:30 हुए थे अभी आधा घंटा पहले ही तो अनूप ने कहा था कि देवयानी तुम पीछे गाड़ी में बैठ कर थोड़ा सो लो और अभी पूरी झपकी आई भी नहीं थी कि... कितनी खराब रोड है। सरकार रोड टैक्स लेते समय तो कोई रियायत नहीं करती, ऊपर से रास्ते में जगह-जगह हैवी टोल टैक्स दो और रोड की हालत तो देखो। देवयानी भुनभनाई! अनूप मुस्कुराए- 'शांत हो जाओ देवयानी! हम सुबह साढ़े चार बजे से चल रहे हैं और अब तक पूरे दो घंटे से मैटेलिक रोड पर ही चल रहे थे बस खराब रास्ता दो-तीन किलोमीटर ही तो है अभी निकल जाएगा फिर आगे स्मूथ रोड है। अब उसके लिए सरकार को धन्यवाद भी तो दो भई। देवयानी चौंक उठी! सच ही तो कह रहे हैं अनूप! जीवन भी तो ऐसा ही है। जब तक हम जीवन का आनंद उठाते रहते हैं ईश्वर को कोई धन्यवाद नहीं और दुख के कुछ क्षण आते ही खुद को कोसना और ईश्वर से शिकायत शुरू कर देते हैं। हे ईश्वर! क्षमा करना और इतने समझदार पति के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद भी। देवयानी मन ही मन मुस्कुरा उठी।