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Tribhuvan Gautam

Classics Inspirational Thriller

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Tribhuvan Gautam

Classics Inspirational Thriller

हताश करते लोग

हताश करते लोग

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ज़िन्दगी में ख़ुशी और गम एक दूसरे के पूरक है।इसके बिना हर इंसान अपूर्ण है।

लेकिन हताश होना,हताशा के साथ ऐसे लगता है कि उम्मीद ही खत्म हो चुकी हो जैसे,ऐसा लगता है कि अब ये नहीं हो पायेगा।

इंसान मजबूर हो जाता है जब किसी चीज़ को शिद्दत से पाने की कोशिश करता है उसके लिए बहुत मेहनत करता है।उसके लिए जिंदगी का एक अहम हिस्सा इसके नाम कर देता है और जब इतना करने के बाद भी उसे कुछ नहीं मिलता है....

तब उससे ज्यादा हताश और जिंदगी से हारा हुआ इंसान शायद ही कोई होता होगा।

हताशा ,डिप्रेशन और खुद मे गुम हो जाने वाला ऐसा इंसान जिसे अब जिंदगी से बिल्कुल ही लगाव नहीं रहा उसके लिए सब कुछ खत्म होने जैसा होता है।

लेकिन ये गलत है जिंदगी बहुत बड़ी है इसे इस तरह से हार कर खत्म कर देना कोई समझदारी नहीं है।जिंदगी हर किसी को दूसरा मौका देती है।

आज हमारे समाज मे बहुत से उदाहरण है जिसे देखकर शायद अपना गम कुछ ना लगे उसके आगे।लेकिन उन्होंने वो लड़ाई लड़ी और जीती भी,ये वो है जो समाज को आईना दिखाने के साथ साथ जिंदगी से लड़ने का हिम्मत भी देते है।सही मायने मे वो हमारे मोटीवेट इंसान होने चाहिए ।

मैंने भी अपनी जिंदगी मे कुछ सपने देखे थे और उसे पाने के लिए जद्दोजहद मे लगा हूँ।

और आजतक हारता आया हूँ लेकिन मैंने अपनी ज़िद नहीं छोड़ी और उसे पाने के नए नए रास्ते खोजता रहता हूँ।इस उम्मीद के साथ की एक दिन मैं जरूर जीतूंगा आज नहीं तो कल,कल नहीं तो परसों ....लेकिन जीतूंगा जरूर।

मैं अपनी हार से हताश नहीं बल्कि दोबारा कोशिश करने की एक ज़िद लिए फिरता हूँ।

आपको भी हताश नहीं होना है।जिंदगी मे हर इंसान के अलग अलग लक्ष्य होते है,अलग अलग सपने होते है।लेकिन एक बार हार जाने जिंदगी को खत्म कर लेना कहाँ की समझदारी है।

किसी इंसान ने ही कहा था....कि जितने बड़े हमारे सपने होंगे हमें मेहनत भी उसी के लेवल की करनी होगी।

अगर सपने हमारे हैं,हमने कुछ करने का सपना देखा है तो मेहनत भी हमें ही करनी होगी।

और रही बात सफल और असफल होने की ये किस्मत पर छोड़ देना ही सही रहेगा।क्योंकि हमें सिर्फ कर्म करना है और उसी पर विश्वास भी,वो भी पूरी ईमानदारी से।

मान लीजिए एक छोटा सा प्रयास समझने का....

हमारे देश मे युवा बेरोजगारों कि जनसंख्या बहुत ज्यादा है और सरकार कितने को रोजगार दे ये समझने वाली बात है।

50 हज़ार पोस्ट के लिए 2 करोड़ से अधिक फार्म भरे जाए तो रोजगार तो 50 हज़ार को ही मिलेगी।ऐसा नहीं है की जिनको रोजगार नहीं मिला है वो बेवकूफ है या असफल है।

जिंदगी भर हमें सीखने का मौका मिलता है और हमें सीखते रहना है।हमें सीखने का मतलब सिर्फ रोजगार तक ही सीमित नहीं रहना है। हमें अपना दायरा बढ़ाना होगा और काबिल बनने तक सीखना होगा।


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