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Tribhuvan Gautam

Tragedy Inspirational Others

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Tribhuvan Gautam

Tragedy Inspirational Others

नई प्रतिज्ञा साल के आखिरी दिन

नई प्रतिज्ञा साल के आखिरी दिन

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आज हर कोई न्यू ईयर की ख़ुशी में कुछ ना कुछ पोस्ट कर रहा है। मुझसे भी किसी ने ऐसे ही करने की सलाह दी।

मैंने बहुत सोचा कि क्या लिखूँ आज के दिन...?

आखिर मुझे इस साल में क्या मिल गया जो मैं उसका गुणगान करूँ। क्या अच्छा मिल गया है जिसकी चाहत मैं आने वाले नए साल में भी करूँ।

अंत में इस जगह पर पहुँचा हूँ की जो मुझे इस साल भी नहीं मिला क्या वो मुझे अगले साल मिल जाएगा।

मैं एक आस्तिक इंसान रहा हूँ जिसे अब इस बीते हुए सालों ने नास्तिक बनने पर मजबूर कर दिया है।

मैं भी उनमें से हूँ जो अपनी हर सुबह प्रभु की भक्ति से शुरू और हर रात सोने से पहले प्रभु की भक्ति मे खत्म करता आया है।

फिर भी मैं आज भी सोचता हूँ की कि आखिर मुझे क्या मिल गया है ये सब करके। क्या मेरी बात सुनी गई....?

नहीं सुनी गई....!

आज भी उनकी भक्ति करता हूँ, हर रोज़ उन्हें याद जरूर करता हूँ...


लेकिन इस नए साल मैं उनसे कुछ नहीं मांगूंगा...कुछ भी नहीं...

मेरे अंतर्मन में प्रभु के लिए प्रश्न चिन्ह खड़े हो गए है की वास्तव में इनका अस्तित्व है भी या नहीं, या सिर्फ ये किस्से कहानियों तक ही सीमित रह गए है।

अगर हमारे साथ कुछ अच्छा हो तो क्रेडिट ये ले जाते हैं....

हमारे साथ कुछ बुरा हो तो वो हमारा कर्म है या कोई पिछले जन्म का पाप...

इसमें हम, हम कहाँ हैं...


इसलिए मैंने प्रण लिया है मैं इनसे कुछ नहीं मांगूंगा और ना ही इन्हें किसी चीज़ का क्रेडिट दूँगा।

अच्छा या बुरा जो भी हो सब के जिम्मेदार हम खुद होंगे या मैं खुद हूंगा....

अब मुझे भगवान बनना पड़े या फिर शैतान जो भी बनूँगा मैं खुद हूंगा...


अब मेरे किये हुए कर्म मुझे आगे की मंजिल को ले जाएंगे। इसलिए मुझे सिर्फ चलना है।

अब मैं अपनी सोच से चलूंगा और विज्ञान को बढ़ावा दूँगा....


विज्ञान द्वारा साबित हो चुकी चीजों को मानूंगा ।और वही मेरे लिए अंतिम सत्य होगा।

अगर विज्ञान कहता है कि इस संसार को भगवान ने नहीं बनाया है तो मेरे लिए अंतिम सत्य यही होगा।


अपनी अब की लाइफ में नास्तिक होकर जीना चाहता हूँ और नई चीजों के बारे में जानना चाहता हूँ। किस्से कहानियों से दूर हटकर सत्य को जानना चाहता हूँ।

मुझे किसी भी इंसान या भगवान से मुझे कोई आपत्ति नहीं है और ना होगी।

अब मैं नई नई किताबें और खोजों को पढ़ना चाहूंगा और खुद को श्रेष्ठ बनाने का प्रयास करूँगा।


अब से जो भी होंगे वो हम ही रहेंगे। और जो बनेंगे वो भी हम ही होंगे।

अब से अच्छे या बुरे होने का सारा क्रेडिट मैं खुद लूँगा।

अब मुझे त्रिभुवन पॉवर देखनी है। और इसे एक ब्रॉन्ड बनाना है।


बाय बाय 2022....आप बहुत याद आओगे। काफी यादें जुड़ी है इस साल से मेरी।


2023 मैं आ रहा हूँ...

अगली सुबह एक नए सबेरे के साथ....

 



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