KP Singh

Drama Romance

3  

KP Singh

Drama Romance

हर क्लास का प्यार

हर क्लास का प्यार

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आज बारिश बड़े ज़ोर से बरस रही हे,क्लास रूम की खिड़की से नज़र आते आसमाँ से नज़र हट ही नहीं रही तभी भनभनाती सिर पर लगी चोक ने मेरा मेह मोह तोड़ा ओर क्लास में पढ़ाती मेम की चुभती बातों से नज़रें बोर्ड की तरफ़ बढ़ गई पर मन बाहर ओर नज़रें छुप छुपाके आसमाँ की तरफ़ बढ़ ही जाती।

तभी दरवाज़े से आई “मे आई कम इन” की मीठी आवाज़ ने ध्यान अपनी ओर खिच लिया देखा तो दरवाज़े पर सफ़ेद लिबास में भीगे बालों में अप्सरा सी लगने वाली परी खड़ी नज़र आई वास्तव में मेरा मेह मोह इस मेनका ने ही तोड़ा अब मेह की जगह माया ने ले ली हाँ इस मेनका का नाम माया ही था।

थोड़ी थोड़ी भीगी इस लड़की के खुले ओर गिले बालों में मैं बारिश में झूमती सिमरन देख रहा था ओर खुद में राज महसूस कर रहा था। उसको पूरे समय देखता ही रहा ओर उसकी हल्की मुश्कुराहट ओर बालों में अंगुलिया फिराने की अदा का तो क़ायल ही हो गया ओर अंदर ही अंदर खुद को ही कह रहा था यही तो है पहली नज़र वाला प्यार यूँही ही घंटे भर गुजरने के बाद ये मुझ से अनजान लड़की मेरी प्रेमिका बन चुकी थी। मेरे सपनो मे रोज़ आने वाली माया का अब रोज़ इंतज़ार करता हूँ जब कभी वो स्कूल नहीं आती तो मन ही नहीं लगता ओर जब वो स्कूल होती तो पुरी स्कूल ही रंगीन नज़र आती।

छुपके छुपके उसको ताड़ना अब मेरा मेन काम हो गया था,उसके पास से गुजरने भर से पूरे शरीर में झुनझूनी सी उठ जाती थी ओर एक बार जब क्लास में बैठे हम 5-6 जनो को जोईंटली कुछ पूछा ओर मेरे हाँ में सिर हिलाने का एहसास ही ऐसा था जैसे आज तो उसने मुझसे अपने प्यार का इजहार ही कर दिया हो हाँ कभी कभी यानी 5-6 दिनो में एकाध बार उस से हाँ या ना वाली बात ज़रूर होती पर मझाल थी जो उसका कभी नाम भी पुकारा हो कुछ ऐसे ही चल रही थी मेरी फिफ़्टी परसेंट वाली लव स्टोरी ओर जुलाई से शुरू हुए स्कूल ने भी अब दिसंबर तक का सफ़र पुरा कर दिया।सर्दियों के स्वेटर ओर जैकेट तो जैसे उसके लिए ही बने थे।अब रहा नहीं जा रहा,अब सोच रहा था माया को कुछ बोलू, अपने बैचेन दिल का हाल बता ही दूँ,कई बार हिम्मत करी पर उसको देखते ही हिम्मत बहानो के पहलू में छिप जाती ओर सामने से आती माया मेरे पास से गुजर जाती।रोज़ हिम्मत जुटाता फिर हारता भी रोज़,इसी कशमकश में सर्दियों का दौर भी चला गया।माया रोज़ निखर रही थी ओर मेंरी हिम्मत रोज़ बिखर रही थी।उसको देखना ,पास से गुजरना ओर कभी कभार साइकिल स्टैंड में छुपके से उसकी साइकिल को छूना ही मेरा प्यार रह गया था अब बोर्ड की परीक्षाओं का मौसम आ गया था पर मुझे तो हर किताब में उसका चेहरा ही नज़र आ रहा था स्कूल से हमारी विदाई का दिन तय हुआ।

आज हमें मालाएँ पहनाई जाएगी,गुलाल से रंग कर आशीर्वचन भी दिए जाएँगे तो मेने भी सोच लिया कुछ भी हो जाए आज तो सब कुछ माया को बोल ही दूँगा ,खुद को तैयार भी पुरा कर लिया था, ठान भी पुरा लिया था, आज हम विदाई लेने वालो को भी गुरुओ के पास कुर्सी पर बैठना था,एक एक कर सबको PT सर बैठा रहे थे तभी मेरे पास मेरे पीछे खड़ी माया को बिठाया आज पहली बार पूरे साल में वो इतना मेरे पास थी,मुझे पता नहीं क्यू डर ओर शर्म दोनो थी पर मन के अंदर किसी कोने में उसकी नज़दीकी की ख़ुशी का समंदर भी हिलोरे मार रहा था दो घंटे के क़रीब मेरे पास बैठा मेरा पहला प्यार मुझ से एक बार बोला पर मैं तो वो भी बोल ना पाया आज फिर मेरी हिम्मत मेरी ख़ुशी के पहलू में छुप गई ओर मेरी पहली प्रेमिका मुझ से निकल गई।

अब बोर्ड परीक्षाएँ भी हो चुकी थी नया कोलेज भी मिल गया पर मन में माया का प्यार वही था,सोच रहा था कह दूँगा मिलते ही दिल के हाल कभी तभी नज़र ठहर सी गई उस अप्सरा पर जिसने मुझ से पूछा फस्ट ईयर की क्लास कहा हैं,इस हसी चेहरे में भी मुझे पहली नज़र का पहला प्यार ही नज़र आया ओर फिर लग गया हिम्मत जुटाने में ओर दिल का हाल बताने में.......


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